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सत्संग से जीवन में आती हैं दिव्यता : हेमचंद्र

जब भी मानव के जीवन में परमात्मा की कृपा होती अथवा पुण्योदय होता हैं तभी सत्संग समागम हो पाता है । उक्त बातें रामकथा मर्मज्ञ वृन्दावन के आचार्य हेमचंद्र ठाकुर जी महाराज ने कहीं। वे प्रखंड अंतर्गत मऊ...

Newswrap हिन्दुस्तान, समस्तीपुरSun, 16 Feb 2020 04:57 PM
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जब भी मानव के जीवन में परमात्मा की कृपा होती अथवा पुण्योदय होता हैं तभी सत्संग समागम हो पाता है । उक्त बातें रामकथा मर्मज्ञ वृन्दावन के आचार्य हेमचंद्र ठाकुर जी महाराज ने कहीं। वे प्रखंड अंतर्गत मऊ बाजार स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में आयोजित चौथा वार्षिकोत्सव सह राम चरित्र मानस नवाह महायज्ञ के अवसर पर आयोजित रामकथा में शनिवार को कथा सुना रहे थे।

पहले दिन की कथा में उन्होंने कहा कि सत्संग के बिना विवेक नहीं आता वहीं विवेक के बिना शांति एवं आनन्द का अनुभव नहीं हो पाता । राम कथा के माध्यम से मर्यादा पुरूषोत्तम राम के चरित्र को दर्शाते हुए कहा कि राम एक आदर्श एवं मर्यादा के सर्वोच्च मानदंड का नाम है। यदि हम अपने जीवन में शांति एवं आनन्द का अनुभव करना चाहते हैं तो रामकथा सत्संग के माध्यम से हमें राम के आदर्श एवं मर्यादा को अपने जीवन में अपनाना होगा। वहीं दूसरे सत्र में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में झांसी से पधारी साध्वी मंजू लता देवी जी ने अपने कथावाचन के दौरान भागवत कथा के मर्म को आत्मसात करने की बात कहीं। रामकथा की शुरुआत में पंडित विकास झा ने शांतिपाठ व व्यास पूजन किया। मंगलाचरण जय जय भैरवि असुर भयाउनि ... से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। मौके पर मंदिर के महंथ सह कार्यक्रम संयोजक श्री विष्वकशैण रामानुज श्री वैष्णव दास उर्फ पंडित विनोद झा, सासंद प्रतिनिधि संजय कुमार सिंह, मुखिया दिनेश प्रसाद सिंह, सरपंच रामदयाल झा, पैक्स अध्यक्ष रामबिहारी सिंह पप्पू, मंडल भाजपा अध्यक्ष प्रकाश सिंह पिंटू, नवीन कुमार सिंह आदि ने रामकथा मर्मज्ञ हेमचंद्र ठाकुर जी महाराज जी को माल्यार्पण कर सम्मानित किया।

इस अवसर पर समाजसेवी रामकुमार चौधरी ,रंजीत मिश्रा, अनिल सिंह, अंजनी सिंह, गणेश साह, सुरंजन चौधरी, अरविंद सिंह, नवीन कुमार सिंह, राजेश जायसवाल, अमरनाथ सिंह मुन्ना, रमेश प्रसाद आदि मौजूद रहे। सभी आगत अतिथियों का स्वागत मंदिर के महंथ सह कार्यक्रम संयोजक श्री विष्वकशैण रामानुज श्री वैष्णव दास ने किया। संचालन रामाधार झा ने किया। इधर आनंद नारायण शरण उर्फ अशोक जी द्वारा रामायण पाठ किया गया। रामनाम ध्वनि संकीर्तण व रामायण पाठ से माहौल भक्तिमय बना हुआ है।

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