नहीं मिला कोई सहारा तो पैदल ही चल पड़े घर
कोरोना के भीषण संकट काल में जब रोजी रोटी के सारे रास्ते बंद हो गए और खाने के भी लाले पड़ने लगे तो मीलों लंबी सड़क पर पैदल ही चल पड़े। यूपी बॉर्डर जलालपुर से कटिहार अपने परिवार के साथ जा रहे मो. सलीम,...
कोरोना के भीषण संकट काल में जब रोजी रोटी के सारे रास्ते बंद हो गए और खाने के भी लाले पड़ने लगे तो मीलों लंबी सड़क पर पैदल ही चल पड़े। यूपी बॉर्डर जलालपुर से कटिहार अपने परिवार के साथ जा रहे मो. सलीम, राजू, रेहाना को ताजपुर रोककर कुछ पूछने की कोशिश की गई। तो बरबस ही सभी की आंखों से अश्रु की धारा बहने लगी। बताया कि जलालपुर में वे लोग राजमिस्त्री के साथ दिहाड़ी का काम करते थे।
पत्नी फुटपाथ पर चाय बेचती थी। लॉकडाउन में जब काम बंद हो गए तो ठीकेदार उन्हें छोड़कर चुपचाप भाग गया। पास में इतने पैसे भी नहीं थे कि कोई निजी गाड़ी या ट्रक से आते। मरता क्या न करता। सो परिवार के साथ पैदल ही चल पड़े। पास में थोड़े-बहुत पैसे रहने के बाद भी दुकान बंद रहने के कारण खाने पीने का कोई सामान नहीं मिल रहा था। बिस्किट का डिब्बा खरीदकर उसे खाकर पानी पीकर चलने लगे। रास्ते में कुछ स्थानों पर मददगारों ने भोजन करा दिया। आठ दिन से पैदल चल रहे हैं। अब हिम्मत जवाब दे रहा है। ताजपुर में बेगूसराय की तरफ मजदूरों को लेकर जा रहे एक ट्रक वाले को दया आ गई तो उसने मजदूरों की भीड़ में उसे भी ट्रक में बैठा लिया।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।