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त्याग तपस्या व सेवा की प्रतिमूर्ति थी दादीजी

सहरसा में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय ने पूर्व अंतरराष्ट्रीय मुख्य प्रशासिका डा. दादी रतन मोहिनी के लिए श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया। दादी जी ने 1936 से 2025 तक संस्थान का सफल...

Newswrap हिन्दुस्तान, सहरसाMon, 21 April 2025 02:50 AM
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त्याग तपस्या व सेवा की प्रतिमूर्ति थी दादीजी

सहरसा। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के शांति अनुभूति भवन में पूर्व अंतरराष्ट्रीय मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी डा. दादी रतन मोहिनी के निमित्त श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। दादी जी ने ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थापना 1936 से लेकर 2025 तक सदा सक्रिय रूप से अनेक जिम्मेवारियों का निर्वहन करते हुए 101 वर्ष की दीर्घायु तक संस्थान को सफल नेतृत्व प्रदान किया। इनका अंतिम संस्कार 10 अप्रैल को आबू रोड के शांतिवन परिसर में किया गया। श्रद्धांजलि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्नेहा बहन ने कहा- दादी जी का संपूर्ण जीवन त्याग, तपस्या और सेवा का ज्वलंत उदाहरण था। उनके श्रेष्ठ प्रशिक्षण के फलस्वरुप आज विश्व के 140 देशों में 9000 से अधिक सेवाकेंद्रों में 50,000 से अधिक बहनें ईश्वरीय कार्य में समर्पित होकर भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा में निरंतर कार्यरत हैं। दादी जी के उमंग-उत्साह के बोल सभी में ऊर्जा का संचार कर देते थे। युवा प्रभाग की अध्यक्षा होने के साथ-साथ इतनी बड़ी उम्र में भी वे स्वयं को युवा ही समझती थी। उनका जीवन सादगी-सरलता-नम्रता का जीता-जागता स्वरूप था। वे शक्तियों से सजी और ज्ञान-रत्नों की धनी थीं। उनका अंतिम संदेश स्नेह और एकता के सूत्र में बंध कर रहने का संकल्प लेना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से अवधेश भाई, शत्रुघ्न भाई, ओमप्रकाश भाई, डॉ० संजय भाई, मनोज भाई, चंद्रभूषण भाई, राकेश भाई सहित 100 से अधिक भाई-बहन शामिल थे।

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