Hindi NewsBihar NewsSaharsa NewsMassive Offerings of 56 Dishes to Goddess Ugratara on Makar Sankranti

मां उग्रतारा को लगने वाले 56 व्यंजनों का भोग देखने पहुंची भक्तों की अपार भीड़

मकर संक्रांति के अवसर पर स्थानीय सिद्धपीठ उग्रतारा स्थान में मां उग्रतारा को 56 व्यंजनों का महाप्रसाद भोग अर्पित किया गया। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देर रात तक मन्दिर परिसर में रही। यह पूजा वैष्णव...

Newswrap हिन्दुस्तान, सहरसाWed, 15 Jan 2025 02:56 AM
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महिषी एक संवाददाता। मंगलवार की देर शाम अन्य वर्षों की भांति इस वर्ष भी स्थानीय सिद्धपीठ उग्रतारा स्थान में मकर संक्रांति के अवसर पर मां उग्रतारा का मां अन्नपूर्णा रूप में 56 व्यंजनों के महाप्रसाद का भोग लगाया गया। इस पूजा को देखने और महाप्रसाद लेने के लिए सहरसा, दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, मधेपुरा सहित कई जिलों से आये श्रद्धालु भक्तों की भीड़ देर रात तक मन्दिर परिसर में जमी रही। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश के कारण होने वाले मकर संक्रांति को लेकर मां उग्रतारा की पूजा भगवती अन्नपूर्णा के रूप में कर उन्हें 56 व्यंजनों का भोग लगाकर किया गया। शास्त्रों की मानें तो 56 व्यंजनों के भोग की परंपरा पहली बार वैष्णव परम्परा की देन है। भगवान कृष्ण द्वारा इंद्र के प्रकोप से लोगों की रक्षा के लिए उन्हें एक सप्ताह तक भूखे प्यासे रहकर गोवर्धन पर्वत को उठाना पड़ा था। प्रकोप खत्म होने के बाद लोगों ने प्रसन्न होकर पहलीबार भगवान श्रीकृष्ण को 56 व्यंजनों का भोग चढ़ाया था। वैसे मात्र कहने को यह 56 व्यंजनों का भोग होता है, लेकिन गिनती में व्यंजनों का प्रकार ढाई सौ से भी अधिक होता है। ग्रामीण, श्रद्धालु भक्त और मन्दिर के पुजारियों के सहयोग से माता की यह विशेष पूजा चीनाचार के पंचमकार पद्धति से की जाती है। कहा जाता है कि उग्रतारास्थान में 56 व्यंजनों के भोग की परंपरा की शुरुआत सैकड़ों वर्ष पूर्व दरभंगा स्टेट की महारानी पद्मावती द्वारा किया गया था। उससमय राजदरबार से प्रसाद के लिए भोज्य सामग्री आता था। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी महाप्रसाद के रूप में फल, फूल, मिष्ठान सहित सामिष निरामिष भोज्य पदार्थों का भोग लगाया गया। कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन माता के दर्शन व प्रसाद ग्रहण करने से लोगों के मनवांछित कामनाओं की पू्त्तित होती है।

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