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पारंपरिक रूप से आज मनाया जाएगा मकर संक्रांति पर्व

सिमरी बख्तियारपुर में मकर संक्रांति का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। बाजारों में चूड़ा, मूढ़ी, तिलकुट और गुड़ की बिक्री जोरों पर है। हालांकि, महंगाई के कारण बिक्री में कमी आई है। दूध की कीमतें भी...

Newswrap हिन्दुस्तान, सहरसाTue, 14 Jan 2025 02:08 AM
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सिमरी बख्तियारपुर, निज संवाददाता। अनुमंडल के सिमरी बख्तियारपुर, सलखुआ एवं बनमा इटहरी प्रखंड में मकर संक्रांति का पर्व आज मंगलवार को है। जिसको लेकर आज सोमवार को मकरसंक्रांति की तैयारी जोरों पर है। सिमरी बख्तियारपुर नगर परिषद मुख्य बाजार स्थित लगने वाली प्रसिद्ध गुदरी हाट में मकर संक्रांति के त्योहार को लेकर सामग्री से हाट- बाजार सजा हुआ है। यहां तक कि रेडीमेड लाई बनाकर कर भी बिक्री की जा रहा है। पर्व को लेकर गुड़, चूड़ा, मूढ़ी एवं तिलकुट की दुकानों में बिक्री अंतिम चरण में है। चूड़ा एवं मुढ़ी मिलों में अहले सुबह से ही कतार लग जाती है। लेकिन कमरतोड़ महंगाई के कारण बाजारों मे मंदी छाईं हैं। दूध की किल्लत: सिमरी बख्तियारपुर में ग्रामीण क्षेत्रों से आए दिन दूध विक्रेताओं द्वारा दूध की बिक्री होती रहती है। लेकिन पर्व को लेकर दूध की कीमतें आसमान छू रही है। साथ ही दूध आपूर्ति में भी कमी है। सिमरी बख्तियारपुर नगर परिषद मुख्य बाजार, एवं रानी बाग में पैकेट वाले सुधा एवं राज फ्रेश दूध की बिक्री प्रतिदिन हजारों लीटर है। लेकिन मकर संक्रांति को लेकर इन कंपनियों ने भी बाजार में कम दूध की आपूर्ति की कर रहे है। वही रेडीमेड सुधा दही, राज फ्रेश दही सहित अन्य ब्रांड के दहीं भी बाजार उपलब्ध है।

चूरा मिल उमड़ी भीड़: इस क्षेत्र चूरा मिलों में सुबह से ही कोपरिया एवं धमारा घाट स्टेशन सहित ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं माथे पर धान की लिए चूरा को कुटाने चूरा मिलो की और चल पड़ती है। मिलो में पहले अपना नंबर लगाने के लिए महिलाओं में होड़ सी मची रहती है। वही बाजार सहित गुदरी हाट नप क्षेत्र के विभिन्न बाजारों में चूरा मूढ़ी एवं गुड़ के फुटकर व्यवसाई पूरी तरह व्यस्त हैं।

गुदरी हाट मिलते हैं, रेडीमेड लाई: गुदरी हाट में सोमवार को मुढ़ी एवं चूरा का रेडीमेड लाई महिलाओं द्वारा बिक्री हेतु लाई गई है। मूढ़ी के रेडीमेड लाई 60 रूपए किलो एवं चूरा के लाई 70 रूपए किलो बिक रहे है। तिलकुट 200 से 400 रूपए किलो जबकि बाजार में शरीर के लिए गर्म माने जाने वाले सफेद एवं काले तिल 250 रूपए किलो है। चूरा का मूल्य 30 रूपए किलो, ग्रामीण चूरा 28 रूपए किलो, कतरनी चुरा 50 से 80 रुपए प्रति किलो, मुढ़ी 40 रूपए किलो के मूल्य से बिक रहा है। एवं शक्कर से 40 से 50 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। वहीं काले एवं उजला तिल 180 से लेकर 250 रुपए किलो भी आसमान छू रही है। तिलवा 80 रूपए किलो है।

गया के तिलकुट की मांग: नप मुख्य बाजार के दुकानदार खगड़िया के रौशन कुमार ने बताया कि गया के कारीगर से बने तिलकुट की मांग बाजार में अधिक है। मेरे यहां गया कहीं कारीगर काम करते हैं। गुड, चीनी, तिल, आरा रोट, खोवा के लट्ठा तैयार कर उसे कूट-कूट कर तिलकुट तैयार किया जाता है। इस मकर संक्रांति आयुर्वेदिक एवं सुगर फ्री तिलकुट भी बाजार में उपलब्ध है जिसे डायबिटीज के मरीज भी आसानी से खा सकेंगे। इसे बनाने में तीसी, दाल चीनी, मेथी, अखरोट आदि का उपयोग किया जाता है। यह बिल्कुल हीं सुगर फ्री होता है। आयुर्वेदिक तिलकुट 300 रुपए प्रति किलो उपलब्ध है।

महंगाई को लेकर हालांकि मकरसंक्रांति के सामग्री बिक्री पर असर पड़ा है। किराना दुकानदार आदेश कुमार, सुशील केशरी, बिनोद भगत, राहुल कुमार आदि ने बताया कि मकरसंक्रांति को देखते हुए हम सभी ने पूर्व में ही सामान का भंडारण कर लिया था। लेकिन पूर्व की अपेक्षा इस बार बिक्री कम हो रही है।

क्या करते हैं, पुरोहित: सिमरी बख्तियारपुर के पुरानी बाजार निवासी पंडित सच्चिदानंद दुबे लालसर, रामू जी के अनुसार मकर संक्रांति सूर्य उपासना का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सूर्य भूमध्य रेखा को पार कर उत्तर की ओर अर्थात मकर रेखा की ओर बढ़ना शुरू होता है। इसी सूर्य को उत्तरायण कहते हैं। इससे पूर्व यह दक्षिणायन होता है। सूर्य की गति से संबंधित होने के कारण यह पर्व हमारे जीवन में गति नवचेतना, नव उत्साह एवं नव स्फूर्ति का प्रतीक माना जाता है। इस समय से दिन धीरे-धीरे बड़ा एवं रात छोटी होने लगती है। दिन बड़े होने का अर्थ जीवन में अधिक सक्रिय होने से है। इसमें सूर्यप्रकाश भी अधिक समय तक होने लगता है। जो हमारी फसलों के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह पर्व अधिक क्रियाशील एवं उत्पादकता का भी प्रतीक होता है।

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