मकर संक्रांति हर्षोल्लासपूर्ण माहौल में मना
मकर संक्रांति पर्व मंगलवार को मिथिला के विभिन्न गांवों में धूमधाम से मनाया गया। इस पर्व में स्नान और दान का विशेष महत्व है। पंडितों के अनुसार, नदियों में स्नान कर अन्न, कंबल, और घी का दान उत्तम माना...
महिषी एक संवाददाता । ठंढ़ भरे मौसम के बाबजूद मंगलवार को प्रखंड के विभिन्न गांवों में मकर संक्रांति पर्व हर्षोल्लासपूर्ण माहौल में मनाया गया। इस पर्व में स्नान एवं दान को महत्वपूर्ण माना जाता है। आज से सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करती है। खरमास की समाप्ति पर मनने वाले मकर संक्रांति में नदियों में स्नान और दान करने की घार्मिक मान्यता है। पंडितों के कहना है कि मकर संक्रांति को नदियों में स्नान कर अन्न, कंबल एवं घी के दान को उत्तम माना जाता है। इस पर्व में गुड़ और तिल खिलाने की पुरानी परंपरा का आज भी निर्वहन किया गया। इस अवसर पर कहीं दही चूड़ा तो कहीं खिचड़ी खाने की परंपरा है। महिषी सहित मिथिला के कई क्षेत्र में मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने की पुरानी परंपरा का आज भी विधिपूर्वक निर्वहन होता है। खिचड़ी को आयुर्वेद चिकित्सा में सुपाच्य भोजन माना जाता है। इस पर्व में गुड़ और तिल की सबसे अधिक महत्ता है। शास्त्रों में चावल को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है। काली उड़द की दाल को शनि का प्रतीक माना गया है। हल्दी बृहस्पति का प्रतीक है। नमक को शुक्र का प्रतीक माना गया है। हरी सब्जियां बुध से संबंध रखती हैं। खिचड़ी की गर्मी का संबंध मंगल और सूर्य से है। ऐसी भी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन नए अन्न की खिचड़ी खाने से शरीर पूरे साल आरोग्य रहता है। बच्चों सहित बड़ों ने भी दिनभर पतंग उड़ा पर्व का आनन्द उठाया।
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