बनारस कारखाना के जीएम के बाद एसएसई की टीम पहुंची देखने मधेपुरा
मधेपुरा के ग्रीनफील्ड इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव कारखाने में 12 हजार हॉर्स पावर का हाईस्पीड इंजन तैयार हुआ है। बनारस रेल इंजन कारखाना इसे अपनाने की योजना बना रहा है। महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह ने इंजन की...
सहरसा, निज प्रतिनिधि। कोसी क्षेत्र के मधेपुरा स्थित ग्रीनफील्ड इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव कारखाना में तैयार देश के सबसे शक्तिशाली हाईस्पीड इंजन मॉडल को बनारस रेल इंजन कारखाना जल्द अपना सकता है। बनारस रेल इंजन कारखाना के महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह के बीते 28 नवंबर को ग्रीनफील्ड इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव कारखाना आगमन के बाद वहां के एसएसई की टीम का अब दौरा हुआ है। महाप्रबंधक भी मधेपुरा स्थित कारखाना में तैयार 12 हजार हॉर्स पावर के एसी इलेक्ट्रिक इंजन को देखने आए थे। उन्होंने उस समय सहरसा में पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि मधेपुरा में तैयार होने वाले देश के सबसे शक्तिशाली इंजन का निर्माण बनारस रेल इंजन कारखाना सहित अन्य कारखाने में करने की योजना है। लेकिन इस संबंध में फाइनल निर्णय रेलवे बोर्ड का होगा। अब बनारस रेल इंजन कारखाना के एसएसई की टीम ने मधेपुरा स्थित कारखाना पहुंचकर इंजन की एसेंबलिंग होते देखा। इंजन की खूबियों को नजदीक से देखकर समझा। जीएम के निरीक्षण के समय बनारस रेल इंजन कारखाना के डिप्टी सीईई माणिक गुप्ता, ग्रीनफील्ड इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव कारखाना मधेपुरा के डिप्टी सीईई स्मृता नारायण, एडीईएन किशोर कुमार भारती, जीईएलएफ के एसएसई इलेक्ट्रिक नवलकिशोर कुमार, रूपक कुमार, मनोज कुमार सहित अन्य थे। बता दें कि वर्ष 2022 के 6 दिसंबर को बनारस रेल इंजन कारखाना की तत्कालीन महाप्रबंधक अंजली गोयल देश के सबसे शक्तिशाली 12 हजार हॉर्स पावर के इंजन की खूबियों को देखने मधेपुरा पहुंची थी। सूत्रों की माने तो उस समय बनारस रेल इंजन कारखाना में उस समय मधेपुरा की तरह ही 12 हजार हॉर्स पावर का इलेक्ट्रिक इंजन तैयार करने के लिए 20 हजार करोड़ राशि का प्रावधान भी कर दिया गया था।
मधेपुरा रेल कारखाना से निकल चुका है 480 इलेक्ट्रिक इंजन: जीएलईएफ मधेपुरा में तैयार होकर 12 हजार हॉर्स पावर का अब तक 480 इलेक्ट्रिक इंजन बाहर निकल चुका है। यह इंजन भारतीय रेल के विभिन्न हिस्से में अपनी सेवा दे रहा है। इससे छह हजार टन के माल की ढुलाई संभव हुई है। बताया जा रहा है कि हर माह आठ, दस या 12 इंजन कारखाना से बनकर निकलता है। भारतीय रेल ने एक साल में 100 इंजन तैयार कर देने का लक्ष्य कारखाना को दिया है। इस तरह का सबसे शक्तिशाली इलेक्ट्रिक इंजन तैयार करने वाला देश का यह पहला कारखाना है।
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