वास की जमीन के लिए किया प्रदर्शन
सरकारी स्तर पर महादलित परिवारों के लिए किए गए वादे धरातल पर खोखले साबित हो रहे हैं। जीरबा नहर पर बसे महादलित परिवार लंबे समय से भूमि के लिए अंचल कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। उन्होंने जिला पदाधिकारी...
पतरघट, एक संवाददाता। सरकारी स्तर पर महादलित परिवार का सहयोग के लिए जितनी भी दावा की जाती हो। लेकिन धरातल पर खोखला साबित हो रहा है। जिसका जीता-जागता उदाहरण पस्तपार पंचायत का जीरबा नहर पर लम्बे समय से घर बनाकर जमें दर्जनों महादलित परिवार है। इन महादलित परिवार के सदस्यों का कहना है कि वे सभी पूर्व से बसोबास का जमीन के लिए अंचल कार्यालय का चक्कर लगाते थक चुका है। लेकिन उन लोगों की समस्या का समाधान करना कोई मुनासिब नहीं समझा। उसके बाद उक्त महादलित परिवार के सदस्यों ने अपनी समस्या का समाधान के लिए 6 रोज पूर्व जिला पदाधिकारी सहरसा से मिलकर आवेदन दिया था। जिसमें उन सभी का मांगे पुरी नहीं होने पर अनिश्चितकालीन धरना देने की बात कही थी। सोमवार को जीरबा नहर पर बसे दर्जनों महादलित परिवार के सदस्यों ने एकत्रित होते आक्रोश जाहिर कर कहा कि सरकार द्वारा भूमिहीन महादलित परिवार का बसोबास के लिए जमीन उपलब्ध कराने का घोषणा किया गया। जिसका लाभ उन लोगों को अभी तक नहीं मिला है। आखिर इसके लिए कौन जबावदेह है। जीरबा नहर पर बसे गीता देवी, दयन देवी, रबिया देवी, मीना देवी, सीता देवी, रोहित सादा, मोना देवी, निर्मला देवी, सोमनी देवी सहित कई ने कहा कि उन लोगों को आज तक सिर्फ जमीन उपलब्ध कराने का भरोसा मिलते रहा लेकिन उस दिशा में कोई पहल नहीं हो सका। उन लोगों ने कहा 21 जनवरी तक उन लोगों का समस्या का समाधान नहीं होने पर धरना देंगे। वहीं 23 जनवरी को मुख्यमंत्री का सहरसा आगमन पर मिलकर अपनी समस्या से अवगत करायेंगे। जिसकी तैयारी में वे सभी जुटे हैं। इस बावत सीओ राकेश कुमार ने बताया कि रविवार को स्वयं वे पस्तपार के जीरबा नहर पर जाकर महादलित परिवार की समस्या को सुना। सीओ ने कहा भूमिहीन महादलित परिवार को चिन्हित कर बंदोबस्ती प्रस्ताव दिये जाने की कार्रवाई उनके स्तर से की जा रही हैं।
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