पचास वर्गमीटर में कुल 16 किलो से अधिक धान का उत्पादन
सिमरी बख्तियारपुर के सरोजा पंचायत में, डीएम वैभव चौधरी ने धान की फसल की पैदावार का जायजा लेने के लिए क्रॉप कटिंग की। बरुण सिंह के खेत में 10 गुणा 5 मीटर में से 16 किलो 910 ग्राम धान प्राप्त हुआ। कृषि...
सिमरी बख्तियारपुर। सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के सरोजा पंचायत में सोमवार की संध्या डीएम वैभव चौधरी ने बरुण सिंह के धान लगे खेत में क्रॉप कटिंग कर क्षेत्र में धान के फसल की पैदावार का जायजा लिया। बरुण सिंह के लगे धान के फसल के10 गुणा 5 मीटर में लगे धान की फसल को सामने में कटा कर तैयारी करायी गई। जिसमें कुल 16 किलो 910 ग्राम धान प्राप्त हुआ। जिससे कृषि विभाग द्वारा क्षेत्र के धान की औसत उत्पादन तय किया गया। जिला सांख्यिकी पदाधिकारी जयप्रकाश सिंह ने बताया कि सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के सरोजा पंचायत में जिलाधिकारी के उपस्थिति में क्रोप कटिंग कर इलाके में होने वाले धान का औसत उत्पादन निकाल कर बिहार एवं भारत सरकार को भेजा जायेगा।
मौके पर उपनिदेशक जनसंपर्क पदाधिकारी, कृषक बरुण सिंह, सरोजा पंचायत की मुखिया कुमारी चित्रा सिंह, प्रतिनिधि शैलेन्द्र सिंह, जयशंकर सिंह, नंदकिशोर पासवान, बैजनाथ साह, भवेश यादव, राजू रजक, कन्हैया यादव, रणबीर यादव, राजन सिंह, संतोष सिंह, कपिल यादव, मुन्ना सिंह, कपिल यादव, मुन्ना सिंह, गोपाल सिंह, विकास यादव आदि सहित अन्य अधिकारी एवं कृषि कर्मी मौजूद थे।
सटीक अनुमान के लिए कराते हैं क्रॉप कटिंग: इस संबंध में सिमरी बख्तियारपुर के अनुमंडल कृषि पदाधिकारी आनंद चौधरी ने बताया कि अधिकारी को फ़सल कटाई या क्रॉप कटिंग करते समय रहते हैं। ताकि किसी क्षेत्र में फ़सल की पैदावार का सटीक अनुमान लगाया जा सके। इसके अलावा फ़सल कटाई के ज़रिए, किसी क्षेत्र में फ़सल की औसत पैदावार का पता चलता है। फ़सल कटाई के आधार पर, कृषि उत्पादन के आंकड़े तैयार किए जाते हैं एवं ये आंकड़े प्रशासन को भेजा जाता हैं।
फ़सल कटाई के आंकड़ों के आधार पर, कृषि योजनाएं तैयार की जाती हैं। फ़सल कटाई के आंकड़ों के आधार पर ही, फ़सल बीमा धारकों को नुकसान का मुआवज़ा दिया जाता है। फ़सल कटाई के ज़रिए, यह तय किया जाता है कि किसी खास फ़सल का आयात या निर्यात किया जाना है या नहीं। वहीं फ़सल कटाई के ज़रिए, मौसम की वजह से फ़सलों को हुए नुकसान का आकलन किया जाता है। इसमें कम से कम 10 किसानों की फ़सलों की कटाई की जाती है। जिसके आधार पर फसल उत्पादन का सटीक अनुमान लगाया जाता है।
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