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आरजेडी और कांग्रेस में आने लगी दरार, बिहार चुनाव से पहले एकजुट हो पाएगा इंडिया गठबंधन?

इंडिया गठबंधन के नेतृत्व को लेकर आरजेडी और कांग्रेस में मतभेद खुलकर सामने आए। बिहार उपचुनाव में मिली हार के बाद आगामी विधानसभा चुनाव से पहले इंडिया अलायंस के सामने राज्य में एकजुट होने की चुनौती है।

Jayesh Jetawat हिन्दुस्तान ब्यूरो, पटनाSat, 21 Dec 2024 01:00 PM
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बिहार के विधानसभा चुनाव में अगले साल क्या होगा? एनडीए 225 पार का लक्ष्य हासिल करेगा या महागठबंधन 2020 का अपना प्रदर्शन दोहरा पाएगा? इन सवालों पर कयासों का दौर जारी है। लेकिन, हाल के सियासी घटनाक्रम ने महागठबंधन यानी इंडिया गठबंधन की चुनौतियां बढ़ा दी हैं। नवंबर, 2024 में जो उपचुनाव हुए हैं, उसे सेमीफाइनल कहा जा रहा था। उसमें बिहार के इंडिया ब्लॉक को बड़ा झकटा लगा था। उसकी बड़ी चुनौती नए साल में विधानसभा का आम चुनाव है। अभी जब उपचुनाव से सीख लेकर एकजुटता के साथ तैयारी करने का वक्त था, तब इस गठबंधन में बिखराव नजर आने लगा है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस की अटूट दोस्ती में दरार दिखने लगी है। खासकर राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी गठबंधन के नेतृत्व पर। ऐसे में आम चुनाव इसके लिए अग्निपरीक्षा होगी।

दूसरी तरफ एनडीए अपनी एकजुटता का प्रदर्शन करने में कोई मौका नहीं चूक रहा है। लगातार प्रदेश अध्यक्षों की बैठक रहो रही हैं। नीतीश कुमार पांचों दलों के प्रखंड स्तर से राज्य तक के संगठन प्रमुखों से सीधी बात कर चुके हैं। 15 जनवरी से इनका साझा जिला कार्यकर्ता सम्मेलन शुरू हो रहा है। इस साल नवंबर में बिहार की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। इनमें तीन सीटों पर इंडिया गठबंधन का कब्जा था। राजद के पास दो और एक सीट माले के पास थी। उपचुनाव के नतीजों में ‘इंडिया’ को भारी झटका लगा और उसकी तीन सीटें निकलकर एनडीए की झोली में चली गईं। जीत का अंतर भी बड़ा रहा।

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2020 में हुए विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने एनडीए के सामने बड़ी चुनौती पेश की थी। उस समय वीआईपी इसके साथ नहीं थी और लोजपा एनडीए से अलग चुनाव लड़ रही थी। उस चुनाव में परिणाम भी करीब का रहा। बहुमत एनडीए को मिला पर दोनों गठबंधनों में सीटों का अंतर कम था। एनडीए 125 तो महागठबंधन ने 110 सीटें जीती थीं। इस बार एनडीए पहले से ज्यादा सशक्त है। चिराग की पार्टी लोजपा रामविलास एनडीए में मजबूती से है। एनडीए ने एक बड़ा लक्ष्य 225 पार का रखा है। इसे हासिल करने की सधी हुई रणनीति पर काम कर रहा है। यह भी तय हो चुका है कि नीतीश कुमार के चेहरे पर ही अगला चुनाव लड़ा जाएगा।

इंडिया गठबंधन के नेतृत्व पर आरजेडी और कांग्रेस में दरार

दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन में राष्ट्रीय कप्तान के सवाल पर आरजेडी और कांग्रेस की दूरी बढ़ी है। आरजेडी ने ममता बनर्जी को इसका संयोजक बनाने की वकालत कर दी। इससे साफ है कि दोनों दलों के दो दशक पुराने रिश्ते में दरार पड़ चुकी है। कांग्रेस ने राजद के तर्क पर सशक्त जवाब भी दिया है। इसके बाद से बिहार में दोनों में संवादहीनता की स्थिति है। ‘इंडिया’ की कोई साझा बैठक पिछले कई माह से नहीं हुई है। इस गठबंधन की सभी पार्टियां अपने-अपने हिसाब से कार्यक्रम चला रही हैं। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पार्टी कार्यकर्ताओं से संवाद करने की यात्रा पर निकले हुए हैं। इस यात्रा में गठबंधन के अन्य दलों के नेताओं से उनकी मुलाकात नहीं हो रही है। इस संवादहीनता का बड़ा असर अगले चुनाव में एकजुटता पर पड़ सकता है।

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क्या कमाल कर पाएंगे प्रशांत किशोर?

इस बीच बिहार के चुनाव में वैकल्पिक राजनीति का नारा देकर उतरी जनसुराज के सुप्रीमो प्रशांत किशोर एड़ी चोटी की मेहनत कर रहे हैं। दावे भी उनके बड़े-बड़े हैं। लेकिन, विधानसभा की चार और विधान परिषद की एक सीट पर हुए उपचुनाव में उनकी पार्टी को कोई सफलता नहीं मिली। हालांकि, पहली बार चुनाव में उतरी इस पार्टी को विधानसभा की चारों सीटों पर हार मिली। वहीं, विधान परिषद की तिरहुत स्नातक सीट पर उपचुनाव में यह दूसरे नंबर पर रही।

माना जा रहा है कि विधानसभा उपचुनाव में इसने ‘इंडिया’ और एमएलसी उपचुनाव में एनडीए को नुकसान पहुंचाया। लेकिन, इस अवधारणा से जनसुराज को बड़ी ताकत नहीं मिलेगी। सिर्फ वोट का एक हिस्सा अपनी झोली में डालकर नतीजों को प्रभावित करने की ताकत से सियासत में बड़ी लकीर खींचना संभव नहीं होता है। इसे अपने संगठन को विस्तार देना होगा और अभी से विधानसभा चुनाव 2025 की रणनीति बनानी होगी। तभी, कोई फलाफल सामने आ पाएगा।

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बहरहाल, एकजुट एनडीए को मजबूत चुनौती ‘इंडिया’ तभी दे पाएगा, जब वह समानांतर एकजुट प्रदर्शित कर सकेगा। बिखरी हुई ताकत व मतभेद का लाभ एनडीए को मिलेगा। अब देखना है कि बिखराव, मतभेद को दूर करने की पहल ‘इंडिया’ में कौन करता है। यह होगा भी या नहीं..यह सवाल भी उठता है कि अगर आरजेडी एवं कांग्रेस में दूरी बनी रही तो वामदलों की रणनीति क्या रहेगी? वीआईपी कितनी मजबूती से इनके साथ खड़ा रहेगी। इन सवालों का जवाब आने वाला वक्त देगा। पर, अभी के हालात बताते हैं कि अगले चुनाव में इंडिया को बड़ी चुनौती से सामना होगा। लोकसभा चुनाव में भी विधानसभा इलेक्शन के अनुपात में इंडिया को कम सीटें मिली हैं। उसे नौ सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। पप्पू यादव निर्दलीय जीते। अभी उनके लिए इंडिया गठबंधन में जगह बन पाई है या नहीं, यह तय नहीं हो पाया है।

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