श्रेष्ठतम अभिव्यक्ति अपनी मातृभाषा में ही है संभव
-विश्व मातृभाषा दिवस पर पूर्णिया विश्वविद्यालय में समारोह पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। पूर्णिया विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिंदी , उर्दू , मैथिल
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पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता।पूर्णिया विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिंदी , उर्दू , मैथिली और संस्कृत विभाग के संयुक्त तत्वावधान में विश्व मातृभाषा दिवस का आयोजन समारोहपूर्वक किया गया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पत्र के आलोक में यह आयोजन किया गया। समारोह में मातृभाषा के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला गया और कहा गया कि श्रेष्ठतम अभिव्यक्ति अपनी मातृभाषा में ही संभव है। मातृभाषा दिवस पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता स्नातकोत्तर उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो. आफताब आलम ने की । कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए डॉ नवनीत कुमार ने कहा कि भारत सरकार ने मातृभाषा व सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। भारतीय भाषाओं में शिक्षण, अनुसंधान एवं संचार में प्रचार प्रसार एक सार्थक कदम साबित होगा। यह पहली बार हुआ है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देश पर विश्वविद्यालयों में मातृभाषा दिवस मनाया जा रहा है। अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. सुमन सागर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषा को बढ़ावा देने का निर्णय हुआ है। मोदी सरकार में मातृभाषाओं के दिन फिरने वाले हैं। इस अवसर पर हिंदी विभाग के प्रो. जीतेंद्र वर्मा ने अपने शोध आलेख में बताया कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बांग्लादेश में शहीद हुए लोगों की याद में प्रतिवर्ष विश्व मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 में मातृभाषाओं में पठन-पाठन पर जोर दिया गया है। यह एक क्रांतिकारी पहल है। इस अवसर पर विभिन्न स्नातकोत्तर विभागों के छात्र-छात्राओं ने बड़ी संख्या में भाग ले कर अपनी मातृभाषा मैथिली , अंगिका ,सुरजापुरी, भोजपुरी व मगही में अपनी अपनी रचनाओं का पाठ किया। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि मनुष्य की श्रेष्ठतम अभिव्यक्ति अपनी मातृभाषा में ही संभव है। अर्जित की हुई भाषा में मनुष्य के श्रेष्ठतम विचारों की अभिव्यक्ति संभव नहीं हो पाती है । विश्व की जितनी भी महान रचनाएं हुई हैं, वे सभी मातृभाषा में ही संभव हो पायी हैं । अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रो. आफताब आलम ने कहा कि मातृभाषाओं में ही मनुष्य के अंतकरण के भावों की अभिव्यक्ति हो सकती है। विचार अपनी भाषा में ही जन्म लेते हैं। अंत में धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग की प्रो. अनामिका सिंह ने किया। उन्होंने बताया कि मातृभाषा वह है जिसे बच्चा अपनी माता से सीखते हैं। वह उसकी अपनी भाषा है।
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-मातृभाषा के महत्व पर डाला गया प्रकाश :
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पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। पूर्णिया महिला महाविद्यालय में शुक्रवार को विश्व मातृभाषा दिवस मनाया गया। कालेज के प्रभारी प्राचार्या डॉ उषा शरण ने इस मौके पर मातृभाषा के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए मातृभाषा के विभिन्न रूपों से अवगत कराया। वहीं डॉ मृदुलता ने मातृभाषा दिवस के शुरूआती परिस्थितियों एवं वर्तमान में उसकी उपादेयता पर प्रकाश डाला। डॉ राधा ने मातृभाषा मैथिली की महत्ता के बारे में बताते हुए काव्य पाठ किया । डॉ राकेश रोशन सिंह , डॉ संजय कुमार दास एवं डॉ प्रमोद कुमार ने भी मातृभाषा के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हुए छात्रों को मातृभाषा का सम्मान करने एवं गर्वपूर्वक स्वीकार करने के प्रति प्रेरित किया। डॉ जागृति राय एवं गौरव कुमार ने भी मातृभाषा दिवस के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अपनी बात रखी । वहीं मंच संचालन डॉ नीतू कुमारी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ राकेश रोशन सिंह ने किया। इस आयोजन को महत्वपूर्ण बनाने में कई छात्राओं ने अपना सार्थक योगदान दिया। कार्यक्रम की सबसे अच्छी बात यह रही कि सभी शिक्षकों एवं छात्राओं ने अपनी अपनी मातृभाषा में अपने विचार प्रस्तुत किया एवं संबोधन दिया।
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