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शादी में कम आ रहे रिश्तेदार, बेटी को बचत का उपहार

पूर्णिया। हिन्दुस्तान संवाददाता कोरोना के वार के बीच शाही समारोह में कुटुंब और रिश्तेदार...

Newswrap हिन्दुस्तान, पूर्णियाTue, 11 May 2021 03:35 AM
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पूर्णिया। हिन्दुस्तान संवाददाता

कोरोना के वार के बीच शाही समारोह में कुटुंब और रिश्तेदार कम आ रहे हैं। इस वजह से शादी में होने वाला खर्च बच रहा है। कई मां-बाप ने राशि बचने के बाद बेटी को बचत का उपहार दिया है। बेटी के नाम से बचत की राशि बैंकों में एफडी (फिक्स डिपॉजिट) करा दी है। जिले के कई ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के पोस्ट ऑफिस में माता-पिता के द्वारा शादी के बाद अपनी बेटियों को एफडी और अन्य तरह खाते खुलवा कर उसमें मोटी रकम जमा करवाए गए हैं। इसके अलावा माता-पिता के द्वारा बेटी को कई अन्य तरह के महंगे उपहार भी प्रदान किए जा रहे हैं। ऐसी परंपराएं बनी हुई हैं कि किसी के घर में होने वाली बेटी की शादी को लोग उत्सव के रूप में मनाते हैं। उसमें सभी लोग सहयोग करते हैं। कई लोग ऐसे होते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं रहती है लेकिन जब बेटी की शादी करते हैं तो वह कई गुणा अधिक शादी में खर्च कर बैठता है। मगर कोरोना के कारण शादी में होने वाला खर्च काफी कम हो गया है। इस वजह से यह राशि बेटी के नाम कर दी जा रही है। प्रधान डाकघर के पोस्ट मास्टर अरुण चक्रवर्ती ने बताया कि आम लोग काफी सजग हुए हैं। कोरोना काल में बेटी की शादी में कम खर्च कर उनके भविष्य को लेकर जमा खाता के अलावा अन्य स्कीम में रुपया जमा करवा दे रहे हैं।

रूपया बचा तो बेटी को गिफ्ट

पूर्णिया शांति नगर के रहने वाले बैंक कर्मी अररिया जिला निवासी दिनेश कुमार झा ने अपनी पुत्री की शादी काफी धूमधाम से सिलीगुड़ी में छह मई को की। शादी में काफी मेहमानों को डिजिटल कार्ड देकर निमंत्रण दिया था । कोरोना की वजह काफी कम मेहमान ही शादी समारोह में पहुंचे। दिनेश कुमार झा ने शादी में खाने के लिए होटल वाले से प्रत्येक प्लेट की रेट तय किया था। जब कम मेहमान आया तो होटल वाले ने कम ही खाना का प्लेट तैयार किया । इस वजह से करीब ढाई लाख रुपए वापस हुए वह अपनी बेटी और दामाद को ही दे दिया।

सौ शादियों में पहुंचे महज दो हजार मेहमान

शहरी क्षेत्रों में पिछले तीन माह के दौरान सौ से अधिक शादियां हुई । इस दौरान शादी समारोह में कोरोना की वजह से मेहमान काफी संख्या में पहुंचे। कोरोना से बचने के लोग भी सजग हैं। इसलिए शादी समारोह या अन्य कार्यक्रमों में भागीदारी घट गयी है। शादी में कम लोग के पहुंचने की वजह से शादी समारोह के व्यवसाय से जुड़े लोगों को काफी घाटा का भी सामना करना पड़ता है लेकिन बावजूद भी प्रतिदिन शादियां हो रही हैं।

फूल, कारीगर, बैंड और टेंट संचालक को हो रहा है घाटा

शादी समारोह में मेहमानों की कम संख्या की वजह से फूल, कारीगर, बैंड, टेंट संचालक और अन्य व्यवसाय से जुड़े लोगों को दोहरे घाटे का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से कई ऐसे लोग हैं जिनके सामने रोजी रोटी का संकट है। शहरी क्षेत्रों में इसका अधिक असर अधिक देखा जा रहा है। राजेंद्र बाल उद्यान के समीप फूल की दुकान चलाने वाले तपन कुमार दास ने बताया कि प्रत्येक साल लगन के समय में पांच लाख से अधिक रुपए की फूल की बिक्री की जाती थी। इस बार यह आंकड़ा महज दो लाख भी नहीं पहुंच पाया है। उन्होंने बताया कि लगन के समय में लंबी लंबी गाड़ियों का काफिला उन्हें सजाने के लिए लगा रहता था । इस बार ऐसा नहीं हो रहा है। लोग काफी शॉर्टकट में ही काम निकाल रहे हैं। इस वजह से फूल की खेती करने वाले लोगों के सामने भी आर्थिक संकट है।

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