चार सदस्यीय समिति करेगी पूर्णिया विश्वविद्यालय में आउटसोर्सिंग पर बहाल कर्मियों की जांच
-कम मानदेय भुगतान के साथ बहाली में आरक्षण रोस्टर के अनुपालन की तैयार करेगी रिपोर्ट पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। अब चार सदस्यीय समिति पूर्णिया वि
पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। अब चार सदस्यीय समिति पूर्णिया विश्वविद्यालय में आउटसोर्सिंग पर बहाल कर्मियों की जांच करेगी। साथ ही कम मानदेय भुगतान के साथ बहाली में आरक्षण रोस्टर के उल्लंघन को लेकर रिपोर्ट तैयार करेगी और विश्वविद्यालय को सौंपेगी। नियमानुकूल तरीके से आउटसोर्सिंग स्टाफ नहीं रखने की शिकायत पर पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो पवन कुमार झा ने चार सदस्यीय कमेटी गठित की है और मिली शिकायत के आलोक में तहकीकात करने का निर्देश दिया है। पूर्णिया विश्वविद्यालय बनाओ संघर्ष समिति के संस्थापक एवं राष्ट्रीय जनता दल के जिला प्रवक्ता डॉ. आलोक राज के आवेदन पर पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.पवन कुमार झा के निर्देशानुसार आउटसोर्सिंग कर्मी के मामले में कर्मियों के मसले पर जांच करने के लिए चार सदस्य कमेटी बनाई गई है। डॉ. आलोक राज ने पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो पवन कुमार झा को आवेदन देकर इस मामले में एजेंसी द्वारा कम मानदेय भुगतान के साथ आरक्षण रोस्टर का भी उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। पूर्णिया विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो अनंत प्रसाद गुप्ता ने बताया कि पूर्णिया विश्वविद्यालय में 87 आउटसोर्सिंग स्टाफ हैं। इसके अलावा महाविद्यालय स्तर पर महाविद्यालयों में आउटसोर्सिंग स्टाफ रखे गये हैं। आउटसोर्सिंग स्टाफ की बहाली में आरक्षण रोस्टर का पालन के साथ कर्मियों को एजेंसी के द्वारा कम मानदेय भुगतान की जांच करने के लिए चार सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। कमेटी में सायकोलॉजी विभाग के एचओडी संतोष कुमार सिंह, डिप्टी रजिस्ट्रार एकेडमिक डॉ. मनोज कुमार, अस्सिटेंट रजिस्ट्रार लीगल डॉ. सुमन सागर और बजट एकांउटेंट व पेंशन ऑफिसर प्रकाश रंजन दीन शामिल है। कमेटी आउटसोर्सिंग स्टाफ के मामले में गहन तहकीकात कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी और विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपेगी, जिसपर विश्वविद्यालय के द्वारा कार्रवाही की जायेगी।
इधर पूर्णिया विश्वविद्यालय बनाओ संघर्ष समिति के संस्थापक एवं राष्ट्रीय जनता दल के जिला प्रवक्ता डॉ. आलोक राज ने बताया कि आउटसोर्सिंग कर्मियों को श्रम संसाधन विभाग के नियमानुकूल भुगतान नहीं किया जा रहा है। साथ ही साथ वेतनमान से टैक्स की कटौती की जा रही है जिससे आउटसोर्सिंग कर्मियों को कम भुगतान हो रहा है। साथ ही साथ एजेंसी के द्वारा भी सही भुगतान कर्मियों को नहीं किया जा रहा है। आउटसोर्सिंग पर जो कर्मियों को रखा जा रहा है,उसमें आरक्षण नीति का पालन नहीं किया जा रहा है और आउटसोर्सिंग एजेंसी का जो चयन महाविद्यालय के द्वारा किया गया है,वह भी नियमों अनुकूल नहीं किया गया है। इन सभी आरोपों पर विश्वविद्यालय ने एक कमेटी का निर्माण किया है,जो कमिटी इन सभी बिंदुओं पर जांच कर कर अपनी रिपोर्ट देगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर जो भी लोग दोषी होंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी।
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