अपहर्ताओं का ठिकाना था किशनगंज, कानकी तक जा पाए
नव्या को अपहरण के बाद किशनगंज के ठिकाने पर ले जाने की साजिश अपहर्ताओं ने रची थी। रास्ते में ही बिहार-बंगाल की सीमा पर कानकी के हटवार से उसे सकुशल बरामद कर लिया गया। देर रात नव्या को परिजनों को...
नव्या को अपहरण के बाद किशनगंज के ठिकाने पर ले जाने की साजिश अपहर्ताओं ने रची थी। रास्ते में ही बिहार-बंगाल की सीमा पर कानकी के हटवार से उसे सकुशल बरामद कर लिया गया। देर रात नव्या को परिजनों को सौंपने के बाद डीआईजी सौरभ कुमार और एसपी विशाल शर्मा ने सदर थाना में बताया कि घटना में शामिल एसयूवी गाड़ी की पहचान होने के बाद खुश्कीबाग चौहान टोला के बलराम चौहान को उठाया गया। उसकी निशानदेही पर पूर्णिया सिटी के चांद,अफजल और सद्दाम उर्फ रूस्तम की गिरफ्तारी हुई। अपराधियों के पास से दो देशी हथियार व 6 कारतूस मिले और दो अपाचे बाइक जब्त की गई। एसपी ने बताया कि गिरफ्तार सारे अपराधी प्रोफेशनल क्रिमिनल हैं और पहले भी जेल जा चुके हैं। अपराधियों ने एसयूवी गाड़ी से बच्ची का अपहरण किया। उसके बाद पुलिस को चकमा देने के लिए शहर के बाहर निकलते ही गाड़ी बदल ली। एसयूवी गाड़ी लेकर बलराम वापस शहर लौट आया। पुलिस ने अपहर्ताओं की दूसरी गाड़ी स्कॉर्पियो को भी जब्त कर लिया है। अपहरण में शामिल आफताब आखिरी वक्त तक बच्ची के साथ था। बिहार-बंगाल सीमा पर नाकेबंदी को देखकर वह घबरा गया। उसी जगह पर वह बच्ची को छोड़कर वहां से फरार हो गया। फिलहाल पुलिस फरार आफताब की तलाश कर रही है। डीआईजी-एसपी बच्ची को घर लेकर आयेनव्या के सकुशल मिलने के बाद डीआईजी सौरभ कुमार एसपी विशाल शर्मा उसे लेकर सीधे गुलाबबाग पहुंचे। गुलाबबाग बच्ची के पहुंचते ही पूर्णिया पुलिस जिंदाबाद के नारे लगने लगे। घर के बाहर लोगों का भारी जमावड़ा हो गया। लोग मुक्तकंठ से डीआईजी व एसपी की प्रशंसा कर रहे थे। वारदात के महज 6 घंटे में बच्ची की बरामदगी पर पूर्णियावासियों ने पुलिस की पीठ थपथपायी। घर पर पहुंचने के बाद नव्या अपने मां-बाप से लिपट गई। परिजनों ने पुलिस को साधुवाद दिया। इसके बाद नव्या ने डीआईजी, एसपी व अन्य पुलिस अधिकारियों को तिलक लगाया और अपने जीवन की रक्षा के लिए आभार प्रकट किया। चश्मदीद सहपाठी ओमशंकर की आंखों से छलके आंसू नव्या के घर पहुंचते ही उसके सहपाठी ओमशंकर की आंखों से आंसू छलक पड़े। स्कूल से घर लौटने के दौरान वह नव्या के साथ था। अपहर्ताओं ने उसे आगे बढ़ने कहा और नव्या को गाड़ी में खींच लिया। उस घटना के बाद से ओमशंकर की हिम्मत के सभी कायल थे। भारी भीड़ होने के बाद भी रात में वह अपने परिजन के साथ नव्या से मिलने पहुंचा था।
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