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बुराई और असत्य अधिक समय तक नहीं टिकतेह्

मीरगंज नगर पंचायत में माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापना के लिए आयोजित राम कथा एवं महायज्ञ से समूचा क्षेत्र आध्यात्मिक रस में डूबा हुआ है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ यज्ञ मंडप की परिक्रमा कर रही है, और...

Newswrap हिन्दुस्तान, पूर्णियाMon, 24 Feb 2025 03:06 AM
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बुराई और असत्य अधिक समय तक नहीं टिकतेह्

मीरगंज, एक संवाददाता। मीरगंज नगर पंचायत अंतर्गत मीरगंज सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापना को लेकर आयोजित राम कथा एवं महायज्ञ को लेकर मीरगंज सहित समूचा क्षेत्र आध्यात्मिक रस से सरोबार है। रविवार को सुबह से ही महायज्ञ स्थल पर पूजा एवं यज्ञ मंडप की परक्रिमा करने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। श्रद्धालु जय श्री राम, जय हनुमान, जय शिव, जय माता दी आदि के जयकारे लगाते हुए यज्ञ मंडप की परक्रिमा कर रहे थे। वहीं आचार्यों द्वारा वैदिक मंत्रोंच्चारण की गूंज से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है। यज्ञ स्थल पर जगह जगह भव्य पंडाल में बनाई गई देवी देवताओं की भव्य प्रतिमा का दर्शन कर श्रद्धालु भाव विभोर हो रहे हैं। दूर दराज के इलाकों से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने की भी व्यवस्था की गई है पेयजल का उत्तम प्रबंध किया गया है। मौके पर आयोजित राम कथा में दूर-दूर से आए हुए संत महात्माओं का संगीतमय प्रवचन सुन श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो रहे हैं। मौके पर आयोजित राम कथा में कथावाचक रश्मि मश्रिा ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि बुराई और असत्य अधिक समय तक नहीं टिकते, अंततः धर्म की विजय होती है। उन्होंने श्रोताओं से राम कथा में राम के जन्म से लेकर उनके वनवास, सीता के अपहरण, रावण पर विजय और अयोध्या वापसी तक की घटनाओं का वर्णन है। राम कथा से हमें शक्षिा मिलती है कि हमें राम की तरह अपने माता-पिता, गुरुजनों की भावनाओं को पूरा-पूरा सम्मान करना चाहिए। इस कथा से हमें साहस और बुद्धि से प्रत्येक कठिनाइयों का सामना करने की प्रेरणा मिलती है। विपरीत परस्थितिियों में धैर्य बनाए रखना भी इस कथा के माध्यम से हम सीखते हैं। राम कथा के माध्यम से अपनी बुरी आदतों को बदलने का प्रयास करें। उन्होंने गुरु की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सच्चे सदगुरू का मिलना परम प्रभु सर्वेश्वर मिलने के समान है। जब हमारे जीवन में पूर्ण एवं सद्धि आध्यात्मिक गुरु का आगमन होता है, तो वे हमें ज्ञान का दव्यि नेत्र प्रदान करते हैं, जिसके माध्यम से हम अपने भीतर उतरकर अपने प्रभु राम का अनुभव कर सकते हैं। उन्होंने कहा मनुष्य शरीर क्षणिक एवं क्षणभंगुर है। गुरू ही जीवन का दर्शन है। गुरू से सत्य साधना की युक्ति जानकर मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। आत्मा की सच्ची शांति और परम कल्याण का मार्ग केवल सद्गुरु की शरण में और सत्संग, भजन, साधना में ही निहित है। सद्गुरु की शरण में ही आत्मिक आनंद और मुक्ति का मार्ग है। उन्होंने कहा जिस प्रकार तन के लिए भोजन और वस्त्र जरूरी है इस प्रकार मन के सुख शांति के लिए सत्संग भजन कीर्तन अनिवार्य है। जब तक भजन कीर्तन नहीं करेंगे तब तक ईश्वर के प्रति श्रद्धा नहीं जागेगी और श्रद्धा के बगैर सार प्रयास निरर्थक होगा।

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