आजादी के दिवानों की धरती कहे जाने वाले कसबा नगर परिषद के मदारघाट आज भी उपेक्षित
कसबा नगर परिषद का मदारघाट आज भी उपेक्षित है, जबकि यह स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण स्थल रहा है। यहां गांधी जी ने 1934 में भूकंप पीड़ितों की सहायता के लिए दान मांगा था। आज इस क्षेत्र में मूलभूत...
: फोटो: आजादी के दिवानों की धरती कहे जाने वाले कसबा नगर परिषद के मदारघाट आज भी उपेक्षित
कसबा एक संवाददाता। गुलामी की जंजीर तोड़े कितने दशक बीत गये, किन्तु आज भी कसबा नगर परिषद का मदारघाट मुहल्ला उपेक्षित है। जबकि कसबा का यह मुहल्ला आजादी के दिवानों की धरती से जाने जाते है। आजादी के पहले इस क्षेत्र की जो अहमियत थी, अब वह नहीं रही। आज भी यह शहरी क्षेत्र मुलभूत सुविधा से वंचित है। सनद रहे कि जिले में आजादी की लड़ाई इसी क्षेत्र से लड़ी जाती थी। जिले के सभी नामचिंन स्वतंत्रता सेनानियों का उस समय मदारघाट आना होता था। आजादी के पहले कसबा का कांग्रेस कार्यालय इसी मदारघाट गौशाला में स्थापित था। जो प्रेमाश्रम के नाम से जाना जाता था। उस समय इस क्षेत्र में पूर्णिया के वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी तथा नेताओं में दारोगा प्रसाद चौधरी, बैद्यनाथ प्रसाद चौधरी, अम्बिका प्रसाद चौधरी, धनुषधारी चौधरी, फणिगोपाल सेन, भाला शास्त्री, जगमोहन मंडल, सूर्यनारायण चौधरी उर्फ टुन्नू बाबू रहकार कांग्रेस का कार्य करते थे। इस क्षेत्र की सबसे खास बात यह है कि सन् 1934 में गांधी जी जब रेल मार्ग से अररिया जा रहे थे तो मदारघाट पुल के नजदीक रेल रूकी थी। गांधी जी ने रेल के डिब्बों से दोनों हाथ निकालकर भूकंप पीड़ितों की सहायता हेतु दान मांगा था। आज भी इस क्षेत्र के पुराने गांधीवादी लोग आजादी की लड़ाई इसी क्षेत्र से लड़े जाने एवं गांधी जी के रूक कर भूकंप पीड़ितों की सहायता हेतु दान मांगे जाने की पल को याद कर रोमांचित हो उठते है। मदारघाट की एक अहम् बात यह भी रही है कि इस क्षेत्र के दक्षिण भाग में उस समय बहुत बड़ी मंडी लगती थी। दूर देशो के कोने - कोने के व्यापारी आकर यहां व्यापार करते थे। लेकिन वक्त के करवट बदलते ही यहां की मंडी उजड़ गयी। अब यह मंडी गुलाबबाग में लगती है। आज यह कसबा नगर परिषद का महत्वपूर्ण मुहल्ला पूरी तरह उपेक्षित है। इस क्षेत्र में अब भी अधिकांश जगहों पर 50 वर्ष पूर्व जो बिद्युतीकरण हुआ था। उसी समय 440 वोल्ट का तार व लोहा पोल दम तोड़ता नजर आ रहा है। सर्विस लाईन में कहीं कहीं कवर तार पोल की अधिक दुरी के कारण लटक रहे है। शुद्ध पेयजल हेतु नगर परिषद के मदारघाट पश्चिमी भाग के दो वार्डों में जल मिनार लगाया गया है। किन्तु पानी वार्ड के लोगों को अबतक नसीब नहीं हो पाया है। वहीं शिक्षा व्यवस्था भी भवन के अभाव में खस्ताहाल है। फकीर चंद्र साह मध्य विद्यालय में मात्र चार कमरे में एक से लेकर वर्ग 8 तक की पढ़ाई होती है। उपर से प्राथमिकम विद्यालय दरगाह टोला भी इसी विद्यालय में समायोजित है। शिक्षक रहते हुए भी कमरे के अभाव में पढ़ाई ठीक ढंग से नहीं हो पाती है वहीं मदारघाट गौशाला पोखर सौदर्यीकरण का कार्य पूर्णत: भ्रष्टाचार का भेट चढ़कर रह गया। वहीं इस संबंध में वार्ड पार्षद अजीत प्रसाद साह उर्फ पंपोल ने कहा कि मदारघाट मुहल्ले के विकास को लेकर सभी कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है। 440 भोल्र्ट के लोहा पोल तार बदले जाने को लेकर बिजली विभाग को लिखा गया है। वहीं विद्यालय में कमरे का अभाव पर उन्होंने कहा कि इसके लिए शिक्षा विभाग को भी लिखा गया है।
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