बाबर के एनकाउंटर के बाद बिखर गया था मोची गैंग
-हिन्दुस्तान फॉलोअप : -आमजनों के साथ पुलिस में भी था मोची गैंग का खौफ पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। शनिवार सुबह बायसी के ताराबाड़ी में कुख्यात डकै
पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। शनिवार सुबह बायसी के ताराबाड़ी में कुख्यात डकैत सरगना सुशील मोची के एनकाउंटर में खात्मे के साथ सीमांचल खासकर महानंदा-कनकई बेसिन के दियारा क्षेत्र में पच्चीस साल से आतंक का एक बड़ा अध्याय खत्म हो चुका है। इस इलाके के लोगों ने राहत की पहली सांस तीन महीने पहले अमौर के गरहरा में कुख्यात मोची के शागिर्द बाबर के एनकाउंटर में सफाए के साथ ली थी। गैंग के दायें हाथ के रूप में शुमार बाबर के एनकाउंटर के बाद गैंग पूरी तरह बिखर गया था। बताया जा रहा है कि बाबर की मौत के बाद सुशील मोची के गुर्गों में पुलिस का खौफ ऐसा समाया कि कई गुर्गे गैंग से अलग हो गए। यही कारण है कि बाबर की मौत के बाद सुशील मोची बदला लेने की फिराक में था। बाबर की मौत के सदमे से उबर कर उसने सबसे पहले बिखरे साथियों को एकत्र किया। जिसके बाद किशनगंज में डाके की घटना को अंजाम देकर अपनी मौजूदगी सीमांचल में दिखायी। कहते हैं कि मोची गैंग का खौफ आमजनों के साथ पुलिस में भी था। जिसके कारण इस गैंग का हौसला दिन- प्रतिदिन बढ़ता गया। शनिवार को एक बड़े आपराधिक घटना को अंजाम देने के लिए दियारा इलाके में वह प्रवेश कर ही रहा था कि पुलिस ने ना केवल घटना को होने से बचा लिया, बल्कि सुशील मोची के खौफ को लोगों से जेहन से सदा के लिए निकाल दिया।
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