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पक्षियों का धड़ल्ले से हो रहा शिकार, नींद में वन विभाग :

बनमनखी, संवाद सूत्र। बनमनखी, संवाद सूत्र। गुलाबी ठंड की दस्तक के साथ विदेशी पक्षियों का आना शुरू हो गया है। हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर यहां प्रत

Newswrap हिन्दुस्तान, पूर्णियाMon, 9 Dec 2024 12:07 AM
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बनमनखी संवाद सूत्र। गुलाबी ठंड की दस्तक के साथ विदेशी पक्षियों का आना शुरू हो गया है। हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर यहां प्रत्येक साल सैकड़ों प्रजाति के पक्षी कुछ महीनों के प्रवास के लिए पहुंचते हैं। अनुमंडल क्षेत्र का जल ग्रहण वाला बड़ा भूभाग इन पक्षियों का आश्रय स्थल होता है जहां वे कुछ महीनों तक रुक कर जलीय जीवों का शिकार कर अपना पेट भरते हैं। साथ यहां उगाई जाने वाली धान, मक्का एवं तिलहन विदेशी मेहमान पक्षियों को हर साल अपनी ओर आकर्षित करते हैं। बनमनखी अनुमंडल क्षेत्र में इन दिनों विदेश से आए मेहमान पक्षियों का शिकार धड़ल्ले से किया जा रहा है। इसकी भनक तक वन विभाग को नहीं है जिसके कारण शिकारी बेरोकटोक मेहमान पक्षियों एवं विलुप्तप्राय पक्षियों का शिकार कर रहे हैं। गोस्त के शौकीनों के बीच इसकी बिक्री चोरी छिपे की जा रही है। कहा जा रहा है कि होटलों, ढाबों में भी इन पक्षियों के गोश्त परोसे जा रहे हैं। जहां ग्राहक इसके एवज में मुंह मांगी कीमत चुका रहे हैं।

-इन पक्षियों का करते हैं शिकार:- शिकारी लालासर,सिल्ली, वाक,कारण,अधंगा,झिल्ला,चाहा ,सारंग,हरियर,सईबेरियन बगुला,बगेरी, समेत दर्जनों प्रजातियों के देसी पक्षियों एवं विदेशी मेहमान पक्षियों का शिकार कर बेचते हैं।

-रात के अंधेरे में करते हैं शिकार:- पक्षियों का शिकार अक्सर रात में धुंध का सहारा ले कर करते हैं। कहा जाता है कि इन पक्षियों का शिकार करने के लिए शिकारी विशेष तरह के जाल का इस्तेमाल करते हैं। जाल को फसलों के आसपास या पानी वाले इलाकों के आसपास शिकारी लगाते हैं। भोजन की तलाश में आया पक्षियों का झुंड शिकारी के जाल में फंस जाता है। कुछ मिनटों में पक्षी को जब दुबारा होश आता है वह शिकारी की गिरफ्त में होता है।

-शिकारियों का है अंतर जिला नेटवर्क - कहा जाता है कि पक्षियों का शिकार कर बेचने वाले पक्षी के सौदागरों का आसपास के जिलों में नेटवर्क फैला हुआ है जहां शिकारी पक्षियों का शिकार करने के बाद मांग के अनुरूप अलग-अलग प्रजाति के पक्षियों को जिंदा एवं मार कर उनके ग्राहकों तक पहुंचते हैं। शिकारियों का नेटवर्क सहरसा, मधेपुरा, नवगछिया, अररिया ,पूर्णिया, कटिहार आदि जिलों में फैला हुआ है। इन जिलों के शहर ,छोटे बाजार, कश्बों,गांवों तक शिकारियों ने अपना ग्राहक बना रखा है। ऑर्डर आने के बाद सीधे ग्राहकों तक माल पहुंचाते हैं।

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