दुनिया के बाजार से सीधे जुड़ रहे गांवों के किसान
हिन्दुस्तान खास : पूर्णिया, धीरज। सीमांचल और कोसी के गांवों के किसान अब दुनिया के बाजार से सीधे जुड़ रहे हैं। किसानों को ग्लोबल मार्केट से जोड़ने में
पूर्णिया, धीरज। सीमांचल और कोसी के गांवों के किसान अब दुनिया के बाजार से सीधे जुड़ रहे हैं। किसानों को ग्लोबल मार्केट से जोड़ने में डाक विभाग की अहम भूमिका है। सीमांचल और कोसी का मखाना, बंबू प्रोडक्ट, कपड़ा, आयुर्वेदिक दवा और परवल का पौधा अब डाक के माध्यम से देश-विदेश तक पहुंचाया जा रहा है। इससे सीमांचल और कोसी के प्रोडक्ट की ग्लोबल ब्राडिंग तो हो ही रही है, बिचौलिये के बगैर किसान अपना प्रोडक्ट देश-दुनिया में बेचकर मुनाफा भी अधिक कमा रहे हैं। इस दिशा में पहल करते हुए सभी जिला में डाक निर्यात केंद्र भी खोला गया है। इसका सीमांचल और कोसी के हजारों किसानों को फायदा मिलने लगा है। बस किसानों को वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन कराना है। सब कुछ ऑनलाइन है। सिंगल विंडो सिस्टम के तहत काम हो रहा है। विदेश जाने वाला प्रोडक्ट अगर फूड आइटम है तो इसके लिए लाइसेंस की जरूरत होती है। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान से बातचीत में डाक विभाग बिहार परिमंडल का पोस्ट मास्टर जनरल पूर्वी प्रक्षेत्र मनोज कुमार ने बताया कि हर जिले में डाक निर्यात केंद्र है। निर्यात केंद्र का किसानों को काफी लाभ मिल रहा है। बिहार के प्रोडेक्ट की ग्लोबल ब्रांडिंग हो रही है। साथ ही किसानों को उनके प्रोडक्ट का दोगुना और तीन गुणा दाम मिल रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें बिचौलिये की कोई भूमिका नहीं रह जाती है।
-पूर्णिया से जा रहा परवल का पौधा, देश भर के लोग ले रहे स्वाद :
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किसानों को जागरूक करने के लिए पोस्ट मास्टर जनरल पूर्णिया भी आये। दिवाली के दिन वह श्रीनगर, जलालगढ़ और गढ़बनैली के वैसे किसानों से भी मिले, जो डाक निर्यात केंद्र के माध्यम से अपना प्रोडक्ट देश-दुनिया में भेजते हैं। उनकी परेशानी को समझे। उनसे सुझाव भी लिया। वह भोला पासवान शास्त्री कृषि कॉलेज भी गए। यहां भी मखाना वैज्ञानिकों से मुलाकात हुई। सुपर फूड मखाना को ग्लोबल मार्केट तक पहुंचाने की दिशा में डाक विभाग की पहल की उन्हें जानकारी दी गयी। इसी तरह परवल के किसानों की समस्या सुनने के बाद उन्हें पैकिंग के बारे में बताया गया। ताकि सामान देश-दुनिया तक पहुंचाने में सहूलियत हो। क्योंकि यहां से परवल का पौधा देश के अलग-अलग कोने में भेजा जाता है। पूर्णिया के परवल के पौधे से देश के कई राज्यों के लोग इस सब्जी का स्वाद समझने लगे हैं।
-निर्यात की सुविधा में मील का पत्थर :
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निर्यातकों को अपने निर्यात लेनदेन और भुगतानों पर बेहतर दृश्यता मिलेगी, जिससे निर्णय लेने की क्षमता बढ़ेगी। डीएनके पोर्टल का उपयोग करने वाले निर्यातकों को समय पर आईजीएसटी रिफंड और बैंकों की ई-बीआरसी सुविधा का लाभ उठाने के लिए आइसगेट पोर्टल पर अपना एडी कोड पंजीकृत करना होगा और सटीक बैंक खाता विवरण प्रदान करना होगा। पंजीकरण प्रक्रिया बैंक विवरणों की पुष्टि करने और रिफंड के सीधे क्रेडिट की सुविधा के लिए महत्वपूर्ण है। यह एकीकरण डाक नेटवर्क के माध्यम से निर्यात की सुविधा में एक मील का पत्थर है।
-छोटे किसान और कामगारों के लिए डीएनके अहम :
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डाक घर निर्यात केंद्र (डीएनके) का उद्देश्य वाणिज्यिक निर्यात को बढ़ावा देना है। डाक घर निर्यात केंद्रों के साथ ये केंद्र निर्यातकों को डाक बिल ऑफ एक्सपोर्ट की ई-फाइलिंग, सेल्फ-बुकिंग, इलेक्ट्रॉनिक कस्टम्स क्लीयरेंस, पैकेजिंग, फ्री पिक अप, ट्रेस एंड ट्रैक, वॉल्यूम-आधारित छूट और हैंड होल्डिंग, सपोर्ट और गाइडेंस निर्यातकों सहित कई प्रकार की सेवाएं प्रदान करते हैं। छोटे किसानों और कामगारों के लिए डीएनके काफी अहम है।
-यह डाक्यूमेंट चाहिए :
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-डाक घर निर्यात केंद्र में रजिस्ट्रेशन के लिए किसानों को जीएसटी सर्टिफिकेट, इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट कोड, पेन कार्ड और आधार कार्ड की जरूरत होती है।
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