कोर्ट में मुकदमों की अर्जी की होगी ई-फाइलिंग
-कोर्ट में मुकदमों की अर्जी की होगी ई-फाइलिंग पूर्णिया, कार्यालय प्रतिनिधि। सिविल कोर्ट में मुकदमों की अर्जी के लिए ई-फाइलिंग की सुविधा शुरू की जा रही
पूर्णिया, कार्यालय प्रतिनिधि। सिविल कोर्ट में मुकदमों की अर्जी के लिए ई-फाइलिंग की सुविधा शुरू की जा रही है। इसमें कोर्ट में दाखिल होने वाली अर्जियां बेवसाइट के माध्यम से दाखिल किए जाएंगे। वहीं इन अर्जियों के साथ लगने वाले कोर्ट फी का भुगतान भी ऑनलाइन किया जायेगा। इस दिशा में कार्रवाई तेज कर दी गई है। फिलहाल प्रधान जिलाजज की अदालत में यह फाइलिंग होगी जिसकी शुरुआत बुधवार से होगी। हालांकि शुरुआत के दिनों में केवल जमानत की अर्जियां ही दाखिल किए जाएंगे मगर आने वाले दिनों से इसका दायरा बढ़ाया जाएगा और उसके बाद अन्य अदालतों के लिए भी यह सुविधा उपलब्ध होगी। सोमवार को इस तकनीक की जानकारी बार एसोसिएशन के वकीलों को दी गई। सिविल कोर्ट के मास्टर ट्रेनर मास्टर ट्रेनर सुमित श्रीवास्तव, सुशांत कुमार एवं रमेश कुमार एसोसिएशन में आकर दर्जनों वकीलों को इसकी जानकारी दी। इस दौरान प्रोजेक्टर के माध्यम से ई-फाइलिंग से जुड़े तकनीकी पहलूओं की चर्चा की गई। अधिवक्ताओं ने भी ट्रेनर से कई सवाल किए।
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-रिकॉर्ड का स्वचालित डिजिटलाइजेशन:
-ट्रेनर ने बताया कि यह सिस्टम ऑनलाइन शिकायत, लिखित बयान, जवाब और मामलों से संबंधित विभिन्न आवेदनों को दाखिल करने के लिए विकसित एक संपूर्ण समाधान है। देश के किसी भी उच्च न्यायालय या जिला न्यायालय में सिविल और आपराधिक दोनों तरह के मामले दाखिल किए जा सकते हैं। इसे अधिवक्ताओं एवं वादियों को शामिल करते हुए व्यापक समूह तक पहुंचने के लिए अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में डिज़ाइन किया गया है। इससे समय, पैसा, अधिवक्ताओं और मुवक्किलों की यात्रा की बचत होगी। एक तरफ अदालत में शारीरिक रूप से जाने की आवश्यकता को कम होगी। दूसरी तरफ मामले के रिकॉर्ड का स्वचालित डिजिटलेजन हो जाएगा। इस नई व्यवस्था में कागज के उपयोग को कम करके पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डालने का प्रयास किया जा रहा है।
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-ई-फाइलिंग सिस्टम के साथ पंजीकरण:
-इसमें सबसे पहले अधिवक्ताओं या वादी को पंजीकरण करना होगा। पंजीकरण के लिए https://filing.ecourts.gov.in लॉगिन करना होगा। इसमें मांगी जा रही जानकारी को भरने के बाद प्रक्रिया पूर्ण होगी। इसके बाद मुकदमें की अर्जी एवं दस्तावेजों को स्कैन कर पीडीएफ बनाकर अपलोड करना होगा। अपलोड होते ही सिस्टम द्वारा इसकी जांच के बाद एक नंबर जेनरेट होगा और पूरा दस्तावेज संबंधित न्यायालय में स्वत: चली जाएगी।
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