दो दिवसीय गायत्री महायज्ञ का दीप यज्ञ के साथ हुआ समापन
पूर्णिया पूर्व, एक संवाददाता। महेंद्रपुर गांव में अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा आयोजित नौ कुण्डीय दो दिवसीय गायत्री महायज्ञ क
पूर्णिया पूर्व, एक संवाददाता।महेंद्रपुर गांव में अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा आयोजित नौ कुण्डीय दो दिवसीय गायत्री महायज्ञ के अंतिम दिन शुक्रवार को भी श्रद्धालुओं का ताता लगा रहा। इस दौरान यज्ञ स्थल पर संस्कार, मुंडन, अन्नप्राशन, हवन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संध्या के समय दीप यज्ञ व प्रवचन के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। इस दौरान रामपुर धाम के मुख्य पुजारी सह समाजसेवी शंकर कुशवाहा यज्ञ स्थल पर पहुंचकर कार्यक्रम में शामिल हुए। वही मंचासीन संत महात्माओं ने शंकर कुशवाहा को सम्मानित किया। मौके शंकर कुशवाहा ने कहा कि यज्ञ तो यज्ञ होता है यज्ञ चाहे कोई भी हो। यज्ञ से लोगों की कई तरह की परेशानी खत्म होती है। यज्ञ से समाज का कल्याण भी होता है। वही दूसरी तरफ समाजसेवी जितेंद्र यादव भी कार्यक्रम में शामिल होकर हवन किया। हरिद्वार से आए संत महात्माओं ने वैदिक व गायत्री मंत्रोच्चारण के साथ सभी को हवन आदि कार्यक्रम को कराया। संध्या के समय महिलाओ के द्वारा दीप यज्ञ का आयोजन किया गया। शान्तिकुंज के टोली नायक फुलकुमार पोद्दार ने प्रवचन में कहा कि मनुष्य भटका हुआ देवता है। भगवान हमें देवता बनाने का पूरा प्रयास करते हैं। लेकिन जो व्यक्ति स्वयं ही खुद को बदलने के लिए तैयार नहीं है उसका कुछ नहीं हो सकता है। भगवान कृष्ण ने दुर्योधन को सैकड़ों बार सुधारने की नसीहत दी। लेकिन दुर्योधन ने उनकी एक नहीं सुनी तो वह महाभारत के युद्ध में मारा गया। जमीन में बीज डालने मात्र से पेड़ नहीं बनता, उसे खाद पानी भी देना पड़ता है। हम बदलेंगे तो युग बदलेगा। हम सुधरेंगे युग सुधरेगा। उन्होंने कहा कि यज्ञ भारतीय संस्कृति का आधार है। यज्ञ को सर्वश्रेष्ठ कर्म बताया गया है। भगवान राम का जन्म भी यज्ञ के माध्यम से हुआ।
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