बनमनखी में बने डगरे और सूप से दिल्ली-मुंबई समेत कई राज्यों में छठ पर्व
बनमनखी, संवाद सूत्र। बनमनखी, संवाद सूत्र। बनमनखी के कुशल कारीगरों द्वारा निर्मित डगरा, सूप एवं छिट्टा से दिल्ली, मुंबई समेत कई अन्य शहरों में बिहार औ
बनमनखी, संवाद सूत्र। बनमनखी के कुशल कारीगरों द्वारा निर्मित डगरा, सूप एवं छिट्टा से दिल्ली, मुंबई समेत कई अन्य शहरों में बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग छठ पर्व मनाते हैं। यहां के व्यापारी बड़े पैमाने पर इसका निर्यात देश के विभिन्न शहरों में करते हैं। बनमनखी निवासी व्यापारी प्रकाश शाह कहते हैं कि यहां से प्रत्येक वर्ष छठ पर्व के सीजन में 3 महीने पहले से ही माल जाना शुरू हो जाता है। एक-एक व्यापारी कम से कम 10 से 20 लाख रुपए का माल इस इलाके से थोक में खरीद कर ले जाते हैं। बनमनखी के डगरा, सूप, टोकरी, कोनियां, की डिमांड पंजाब, दिल्ली, चंडीगढ़, मुंबई, गुजरात, कोलकाता, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश समेत देश के कहीं शहरों एवं महानगरों में है। माल बाहर भेजने वाले व्यापारी प्रकाश शाह बोधन तिगरू कन्हैया राजाराम समेत कई व्यापारियों ने बताया कि यहां से टोकरी 150 रुपए प्रति पीस कोनिया ₹70 प्रति पीस डगरा₹60 प्रति पीस के हिसाब से खरीद कर ले जाते हैं और वहां अपनी कीमत बता कर बेचते हैं उन्होंने बताया कि छठ के सीजन में प्रत्येक वर्ष हम लोगों को अच्छी कमाई हो जाती है। इसी से अपना रोजगार चलता है। हम लोग छठ पर्व का एक वर्ष तक इंतजार करते हैं। बाहर के व्यापारी हम लोगों को पहले से अपनी डिमांड बताते हैं तथा कांटेक्ट में रहते हैं उसी के अनुरूप हम लोग अपना माल तैयार रखते हैं।
- बनमनखी के थोक व्यापारी ग्रामीण इलाके में जाकर खरीदते हैं माल :
- बनमनखी में टोकरी डागरा सूट के व्यापारी ग्रामीण इलाकों में जाकर अपनी डिमांड के हिसाब से कुशल कारीगरों द्वारा अपना माल तैयार करवाते हैं और वहां से खरीद कर स्टॉक करते हैं। व्यापारी बताते हैं कि माल तैयार करवाने के लिए कारीगरों को दो-तीन महीना पहले ही एडवांस पेमेंट भी करना पड़ता है फिर भी डिमांड के हिसाब से माल नहीं मिल पाता है
-यहां दशकों से छठ में बांस से डगरा ,सूप, टोकरी ,बनाते हैं कारीगर :
-बनमनखी के कारीगर दशकों से यहां डागरा बनाते हैं। कई परिवार ऐसे हैं इसके कोई पुस्त लगातार इस काम को करते आ रहे हैं और अपनी जीविका चला रहे हैं। यहां के कारीगर छठ में डगरा,टोकरी सूप,कोनियां, आदि बनाते हैं वहीं पर्व खत्म होने के बाद शादी ब्याह के लिए डाला,डाली,फुलडाली, गर्मियों में बस से बने पंखे बच्चों के खिलौने आदि सालों भर बनाकर अपनी जीविका चलाते हैं यहां रेलवे स्टेशन पर अन्य दिनों में भी यहां बने डगरा, कोनियां घूम घूम कर बेचते लोग आपको मिल जाएंगे जो अपना काम वर्षों से करते आ रहे हैं।
-इलाके में मशहूर है नेपाली टोला में बना बेंत का सूप,डगरा:
-बनमनखी अनुमंडल क्षेत्र के धरहरा चकला बनाई पंचायत अंतर्गत नेपाली टोला ऐसा गांव है जहां सैकड़ों नेपाली परिवार बेंत के बने डगरा कोनिया एवं अन्य उत्पाद अपने हाथ से बनाते हैं तथा उसे नजदीकी बाजार बनमनखी में बेचते हैं अपनी मजबूती एवं दुरुस्त कारीगरी के लिए इस गांव का बना बांस का डदरा कोनिया तथा सूप काफी मशहूर है। खासकर छठ पर्व के दौरान इस गांव में बने बांस के उत्पादन की डिमांड अचानक बढ़ जाती है। लोग इस गांव के बने सामान का नाम सुनते हीं तुरंत खरीद लेते हैं। खास बात यह है कि इस गांव में बने उत्पाद की पहचान देखने से ही अलग होती है जिसको बनाने में इस गांव के हीं कारीगर को महारथ हासिल है।
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