पटना यूनिवर्सिटी और LNMU को मिलेंगे सौ-सौ करोड़, 'पीएम उषा' से मिला खास दर्जा; BRABU लाइन में
दिल्ली में परियोजना अनुमोदन बोर्ड की बैठक में इस पर सहमति बन गई है। शीघ्र ही इसको लेकर स्वीकृति का पत्र भारत सरकार से प्राप्त होने की उम्मीद है। अनुसंधान विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने पर अब बिहार के इन दोनों विश्वविद्यालयों को 100-100 करोड़ दिये जायेंगे।
बिहार के दो विश्वविद्यालयों ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा (एलएमएनयू) और पटना विवि (पीयू), पटना को अनुसंधान विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने का रास्ता साफ हो गया है। केंद्र सरकार द्वारा संचालित प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम उषा) के तहत यह दर्जा मिलेगा। इसके बाद यहां शोध कार्य और बढ़ेंगे। मुजफ्फरपुर स्थित बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय(बीआरएबीयू) को भी यह दर्जा जल्द मिल सकता है। फिलहाल दोनों विश्वविद्यालयों को यह दर्जा मिलने से राज्य से शिक्षा प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है।
दिल्ली में परियोजना अनुमोदन बोर्ड की बैठक में इस पर सहमति बन गई है। शीघ्र ही इसको लेकर स्वीकृति का पत्र भारत सरकार से प्राप्त होने की उम्मीद है। अनुसंधान विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने पर अब बिहार के इन दोनों विश्वविद्यालयों को 100-100 करोड़ दिये जायेंगे। देशभर के 35 विश्वविद्यालयों को इस वर्ष यह दर्जा दिया जाना है। बिहार के तीसरे विश्वविद्यालय, बीआरए बिहार यूनवर्सिटी, मुजफ्फरपुर को शोध विश्वविद्यालय का दर्जा दिये जाने का मामला भी विचाराधीन है। जल्द ही इस पर भी फैसला हो जाएगा। उसके बाद इस यूनिवर्सिटी को 100 करोड़ की राशि दी जाएगी।
दोनों विश्वविद्यालयों का समृद्ध इतिहास
बिहार के पटना और मिथिला दोनों विश्वविद्यालयों का समृद्ध इतिहास रहा है। यहां शोधकार्यों को अपने संसाधनों से भी पहले से प्रमुखता दी जाती रही है। अनुसंधान कार्य, विश्वविद्यालय का इतिहास तथा केन्द्र सरकार तथा अन्य एजेंसियों से मिली राशि का समुचित उपयोग के मानकों पर खड़ा उतरने के कारण इन्हें पीएम उषा के तहत चयनित किया गया है। इन दोनों विश्वविद्यालयों में छात्र छात्राओं के लिए उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में नए अवसर मिलेंगे। केंद्र सरकार की पहल पर बिहार एक बार फिर शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम गढ़ेगा।