45 मिनट बाद हुआ..., लाठी खाने से पहले निकल जाने के आरोपों पर क्या बोले प्रशांत किशोर
वहां से निकलने के 45 मिनट बाद मुझे जानकारी मिली कि पुलिस ने वहां वाटर कैनन किया और फिर लाठीचार्ज किया गया।मैं कहना चाहता हूं कि प्रशांत किशोर नहीं हटे बल्कि प्रशांत किशोर के हटने के बाद लाठीचार्ज हुआ है।
जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर पर आरोप लग रहे थे जब रविवार को पटना में बीपीएसी छात्रों पर लाठीचार्ज हुआ तब पीके उससे पहले ही वहां से निकल गए। अब प्रशांत किशोर ने मीडिया के सामने आकर अपने ऊपर लग रहे आरोपों का जवाब दिया है। प्रशांत किशोर ने बताया कि वो जेपी गोलंबर से निकल कर वो गांधी मैदान आए थे और फिर 45 मिनट बाद लाठीचार्ज हुआ था। आरोपों पर सफाई देते हुए प्रशांत किशोर ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई बातें कही।
सोमवार को प्रशांत किशोर ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए की। इसके बाद प्रशांत किशोर ने अपने साथ मौजूद कुछ छात्रों का परिचय करवाते हुए दावा किया कि यहां मौजूद छात्र इस धरना प्रदर्शन के कोर मेंबर है और धरना प्रदर्शन पर शुरू से बैठे रहे हैं। इसके बाद पीके ने कहा कि यहां मौजूद छात्र रविवार को हुए छात्र संसद से ही चुन कर आए हैं।
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पीके ने सबसे पहले जेपी गोलंबर पर बिना परमिशन छात्र संसद करने को लेकर जवाब दिया। प्रशासन का कहना है कि जेपी गोलंबर पर छात्र संसद की इजाजत नहीं दी गई थी, इसके बावजूद वहां छात्र संसद किया गया। इसपर पीके ने कहा कि परसो प्रशासन को सूचित किया गया था कि चूकि गर्दनीबाग धरनास्थल पर जगह कम है। छात्र एक साथ बैठ कर बातचीत करना चाहते हैं। इसलिए छात्र गांधी मैदान में गांधी मूर्ति के पास बैठ कर तय करेंगे कि आगे का रास्ता क्या होगा। सरकार का पहला कहना है कि हमने परमिशन नहीं लिया। यह बिल्कुल गलत है। परमिशन का कोई सवाल ही नहीं है।
गांधी मैदान सार्वजनिक जगह है और वहां लोग दौड़ने, बैठने और बातचीत के लिए तो जाते ही रहते हैं। ये बच्चे कहां जाएंगे बात करने? यह छात्र धरना प्रदर्शन नहीं बल्कि वहां बातचीत करने जा रहे थे। सारे छात्र वहां जमा हुए थे। किसी ने कोई उपद्रव नहीं किया, कोई तोड़फोड़ नहीं हुआ, हल्ला-हंगामा नहीं हुआ। छात्रों ने अपने आगे के कार्यक्रम को तय किया। इसके बाद यह तय हआ कि हम अपनी मांगों का ज्ञापन सरकार को देंगे।
जेपी गोलंबर तक मार्च पर बोले प्रशांत किशोर
पीके ने बताया कि गांधी मैदान स चलने से पहले दो फैसले हुए। यह निर्णय लिया गया कि हम लोग कोई भी ऐसी गतिविधि नहीं करेंगे जिसको सरकार अवैध कहे। हम लोग पैदल चलेंगे और कोई तोड़फोड़ नहीं होगा। हमें जहां रोका जाएगा हम वहीं बैठ जाएंगे। हम गांधी मैदान से निकले हैं। वहां 10,000 से ज्यादा छात्र मेरे साथ निकले थे। इसके अलावा भी कई छात्र आए थे।
जब हम जेपी गोलंबर पहुंचे तब वहां पुलिस ने हमलोगों को रोका। सारे छात्र वहां शांति से बैठे थे। उस दौरान हम लोगों ने वहां के प्रशासन से बातचीत की थी। पहला प्रस्ताव प्रशासन से यह आया कि बीपीएससी के सचिव मिलने को तैयार हैं। लेकिन छात्रों ने इससे इनकार कर दिया। इसके आधे घंटे के बाद बताया कि मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा छात्रों के प्रतिनिधि से मिलने के तैयार हैं।
हम 45 मिनट तक बैठे रहे - पीके
प्रशांत किशोर ने बताया कि वहां हमने तय कि पांच साथी मुख्य सचिव के यहां जाकर बातचीत करेंगे। पीके कहा कि इसके बाद उन्होंने वहां बैठे छात्रों सेअपील की थी कि अब यहां से जिसको घर जाना हो वो घर जाएं और जिसको गांधी मैदान जाना हो वो वहां चले जाएं। पीके ने दावा किया कि मैंने बिस्कोमान पर फिर मीडिया से यह बातें बताई थी।
पीके ने कहा, 'बिस्कोमान से गांधी मैदान वापस जाकर हम 45 मिनट बाद तक बैठे रहे। जिन छात्रों ने हमारी बात सुनी थी वो सब छात्र हमारे साथ वापस गए। आधे से ज्यादा लोग चले गए। 1000-2000 लोग वहां टिके रहे। उसमें अलग-अलग मत के लोग थे। उनका मानना था कि कि अब यहां से वापस नहीं जाएंगे। हालांकि हमलोगों की ओर से प्रयास किया जा रहा था कि वो लोग गांधी मैदान में चले। इनमें से कुछ छात्र नेता आए और कुछ नहीं आए।
वहां से निकलने के 45 मिनट बाद मुझे जानकारी मिली कि पुलिस ने वहां वाटर कैनन किया और फिर लाठीचार्ज किया गया।मैं कहना चाहता हूं कि प्रशांत किशोर नहीं हटे बल्कि प्रशांत किशोर के हटने के बाद लाठीचार्ज हुआ है। लेकिन ये गलत है, सरासर गलत है और जिन लोगों ने भी छात्रों पर लाठीचार्ज किया है उन्होंने गलत किया है।