Hindi Newsबिहार न्यूज़Prashant Kishor provoking Bihar voters to vote against BJP JDU RJD while praising Modi Nitish Lalu

मोदी, नीतीश, लालू की तारीफ करके BJP, JDU, RJD के ही खिलाफ वोटर को भड़का रहे प्रशांत किशोर

  • बिहार विधानसभा चुनाव में अब एक साल से कम का समय बचा है। प्रशांत किशोर का नया दल जन सुराज पार्टी मैदान में है। चुनावी रणनीति बनाने के उस्ताद प्रशांत किशोर नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार और लालू यादव की तारीफ करके भी वोटर को भाजपा, जेडीयू और राजद के खिलाफ भड़का रहे हैं।

Ritesh Verma लाइव हिन्दुस्तान, पटनाTue, 8 Oct 2024 09:40 AM
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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के वो वोटर, जो एक को हराने के लिए दूसरे को वोट करते हैं, उनको विकल्प देकर बिहार में जन सुराज पार्टी की सरकार बनाने का सपना देख रहे प्रशांत किशोर मीठा हमला कर रहे हैं। पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर एक तरफ नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार और लालू यादव की तारीफ करते हैं तो दूसरी तरफ उसी प्रशंसा पर सवार होकर वोटर को भड़काने की कोशिश करते हैं। राजनीति में व्यंग्य की शैली का इस्तेमाल कम हो रहा है। राजनीतिक कटुता इतनी बढ़ गई है कि विरोधी पर चोट करने के लिए तारीफ को हथियार बनाने के उदाहरण अब कम दिखते हैं।

प्रशांत किशोर को इसमें कोई दिक्कत नहीं हो रही क्योंकि वो इन सबके साथ चुनावी रणनीतिकार के तौर पर अलग-अलग दौर में काम कर चुके हैं। और व्यंग्य के निशाने पर सिर्फ ये प्रमुख पार्टियां ही नहीं, वोटर भी होते हैं। बिहार के बच्चों की पढ़ाई और उनके लिए नौकरी-रोजगार के मसले को प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी की राजनीति का मूल मंत्र बनाया है। सारी बातें उसके संदर्भ में ही की और कही जा रही है। पीके को मालूम है कि धर्म और जाति की चुनावी राजनीति में उनके पास तीसरा आधार खड़ा करने की चुनौती है जिसके बिना कुछ खास हो नहीं सकता।

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प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी की स्थापना के दौरान मौजूद लोगों से कई सवाल पूछे। यही बात वो अपनी पदयात्रा के दौरान गांव-गांव में कर रहे हैं। वो हर जगह लोगों से पूछते हैं- बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा और रोजगार होना चाहिए या नहीं। प्रश्न उछालने के बाद पीके कुरेदते हैं और पूछते हैं कि बच्चों का चेहरा याद करिए और बताइए कि आपने बच्चों की पढ़ाई और रोजगार के लिए वोट दिया है क्या? पीके इसके बाद वोटर को समझाते हैं कि चाहते सब हैं कि पढ़ाई और रोजगार होना चाहिए लेकिन वो मिला नहीं क्योंकि आपने उसके लिए वोट नहीं दिया। फिर वो मोदी, नीतीश और लालू की तारीफ वाले तंज पर उतर आते हैं।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ में पीके कहते हैं कि पांच किलो अनाज के लालच में आपने मोदी और भाजपा को वोट दिया। तो 1 किलो अनाज चुराकर भी 4 किलो मिल रहा है। वोट दिया LPG सिलेंडर के लालच में तो सिलेंडर का दाम 1000 हो या 1200 रुपया हो, सिलेंडर घर-घर बांटा गया है। वोट दिया हिन्दू और मुसलमान बनकर। चुनाव से पहले लोगों ने कहा कि हमारी दशा कुछ भी रहे, गांव की दशा कुछ भी हो, पहले अयोध्या में मंदिर बनना चाहिए। तो गांव में नाली या गली नहीं बनी, स्कूल-अस्पताल नहीं बना, फैक्ट्री नहीं लगी, लेकिन अयोध्या में राम जी का मंदिर बना। वोट दिया मोदी का भाषण सुनकर कि गुजरात में बहुत विकास किए हैं। गुजरात में तो विकास हो रहा है। पूरे देश का पैसा लेकर मोदी गुजरात के गांव-गांव में फैक्ट्री लगा रहे हैं। बिहार से बच्चे गुजरात में जाकर नौकरी-मजदूरी कर रहे हैं।

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पीके फिर लालू यादव पर आते हैं और बताते हैं कि लोगों ने कहा कि कुछ भी हो, लालू के राज में पिछड़ों, गरीबों, वंचितों को आवाज और सम्मान मिला। लालू के राज में सड़क, बिजली, पानी नहीं मिला, पढ़ाई और रोजगार नहीं हुआ। लेकिन ये मानने में कोई गुरेज नहीं है कि लालू यादव के राज में गरीबों और पिछड़ों को आवाज और सम्मान मिला है।

अब बारी नीतीश कुमार की जिनकी पार्टी जेडीयू में प्रशांत किशोर शामिल हुए, उपाध्यक्ष बने और अंत में निकाल दिए गए। प्रशांत किशोर लोगों से कहते हैं कि आपने नीतीश कुमार को वोट दिया कि सड़क, बिजली, पानी चाहिए। नीतीश के राज में बिजली का बिल 2000 आए या 6000 रुपया, स्मार्ट मीटर भले आपके गर्दन को दबाकर लगाया जा रहा है लेकिन घर-घर बिजली आ रही है।

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प्रशांत किशोर ये भी कहते हैं कि आपको लगता है कि सारे नेता धूर्त हैं, सबने आपको ठगा है तो इसकी क्या गारंटी है कि आप पढ़ाई या रोजगार के लिए वोट देंगे तो वो मिल जाएगा। फिर वो यह बताते हैं कि वोट चाहे आप लालू को दीजिए या नीतीश को, मोदी को या जन सुराज को, किस बात के लिए वोट दे रहे हैं, ये जरूरी है। आपने अब तक जिस बात पर वोट दिया है, वो मिला है। कभी पढ़ाई-रोजगार के लिए वोट ही नहीं दिया।

पीके समझाते हैं कि वोट किसे देते हैं, इसका महत्व नहीं है। महत्व इस बात का है कि वोट किस बात के लिए देते हैं। अनाज के लिए वोट दिया तो अनाज मिल रहा है। मंदिर के लिए वोट दिया तो मंदिर बन गया है। आवाज के लिए वोट दिया तो लालू के राज में आवाज मिला। बिजली के लिए वोट दिया तो नीतीश के राज में घर-घर बिजली आई है। गुजरात के विकास के लिए वोट दिया तो गुजरात में विकास हुआ है।

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फिर वो काम की बात पर आते हैं और कहते हैं कि आपने एक बार भी पढ़ाई और रोजगार के लिए वोट नहीं दिया इसलिए बिहार के बच्चे अनपढ़ और मजदूर रह गए। और फिर कहते हैं कि बच्चों के लिए वर्ल्ड क्लास पढ़ाई और रोजगार चाहिए तो पढ़ाई और रोजगार के लिए वोट दीजिए। बच्चों का विकास चाहिए तो बच्चों के लिए वोट देना होगा।

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