पटना-गया रेलखंड पर पुलिस चौकसी की खुली पोल, ट्रेन पलटने की साजिश किसने रची?
मंगलवार की रात पटना - गया रेलखंड के नेयामतपुर हॉल्ट और बेला स्टेशन के बीच अप लाइन पर एक गांव के समीप असामाजिक तत्वों के गिरोह ने रेलवे ट्रैक पर बड़े आकर का पत्थर का स्लीपर रख दिया था। ड्राइवर की सजगता से बड़ा हादसा टल गया।
देश के विभिन्न रेल मार्ग पर कभी बड़े पत्थर तो कभी गैस सिलेंडर रखकर ट्रेन या मालगाड़ी पलटने की कोशिश करने वाले असामाजिक तत्वों ने फिर एक नाकाम प्रयास किया। इस बार दानापुर रेल मंडल का एक प्रमुख पटना-गया रेलखंड में दशहरा पूर्व असमाजिक तत्वों ने इस तरह कोशिश की है, जो इस प्रमुख रेलखंड में रेल पुलिस के चौकसी के दावे की पोल खोल दी है। रेलवे ट्रैक पर एक बड़ा कंक्रीट स्लीपर रखने के मामले में बेला थाने में अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। जहानाबाद रेल थानाध्यक्ष दीप नारायण यादव ने गुरुवार की शाम प्राथमिकी दर्ज होने की पुष्टि की है।
रेल थानाध्यक्ष ने बताया कि बेला थाने की पुलिस के अलावा जहानाबाद रेल थाने की पुलिस ऊक्त हरकत करने वाले तत्वों को चिन्हित करने की कोशिश कर रही है। खबर के अनुसार मंगलवार की रात पटना - गया रेलखंड के नेयामतपुर हॉल्ट और बेला स्टेशन के बीच अप लाइन पर एक गांव के समीप असामाजिक तत्वों के गिरोह ने रेलवे ट्रैक पर बड़े आकर का पत्थर का स्लीपर रख दिया था। रात में पटना से रांची-हटिया जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेन जहानाबाद रेलवे स्टेशन से खुलने के बाद अपने गति में थी। ट्रेन के ड्राइवर की नजर रेलवे ट्रैक पर रखे कंक्रीट स्लीपर पर पड़ी और उन्होंने काफी सूझबूझ और तत्परता के साथ ट्रेन को रोक दिया था, जिससे बड़ी दुर्घटना होने से हादसा टल गया।
ट्रेन के ड्राइवर ने इसकी सूचना जहानाबाद स्टेशन के रेलवे कर्मियों को दी थी। बताया गया है कि जिस बड़े आकर का स्लीपर रेलवे ट्रैक पर रखा गया था, वह एक साजिश के तहत कहीं से लाया गया था और ट्रेन हादसा कराने की नियत से उसे अप लाइन पर रखा गया था। यहां गंभीर बात है कि बड़े साइज का पत्थर का स्लीपर जब्त किया गया है उसे किसी एक आदमी द्वारा उठाकर नहीं लाया जा सकता। उसे रेलवे ट्रैक तक लाने में कई लोग शामिल होंगे।
पटना - रांची - हटिया एक्सप्रेस ट्रेन के चालक की पैनी नजर से फिलहाल बड़ा हादसा तो टल गया लेकिन इतना स्पष्ट हो गया कि पटना-गया रेलखंड में आरपीएफ हो या जीआरपी चौकसी बरतने के दावे की कलई खुल गयी। खासकर दशहरा जैसे पर्व पर रेलवे ट्रैक पर या ट्रेनों में नियमित गश्ती करने के रेलकर्मियों के दावे खोखले साबित हो गए।