विवि शिक्षकों-कर्मियों को नियमित वेतन बनी है चुनौती
विश्वविद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों को समय पर वेतन का भुगतान नहीं हो पा रहा है, जिसके कारण दो-तीन महीने का वेतन बकाया है। शिक्षा विभाग ने उन पांच विश्वविद्यालयों को वेतन देने की सहमति दी है,...
विश्वविद्यालयों के शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को नियमित रूप से समय पर वेतन भुगतान चुनौती बनी हुई है। आलम यह है कि हर बार की तरह इस बार भी दो-तीन महीने का वेतन बकाया रह गया है। फिर शिक्षा विभाग के द्वारा सशर्त वेतन राशि जारी होती है। इस बार भी अक्टूबर के बाद का वेतन बकाया है। इस संबंध में विभागीय पदाधिकारी बताते हैं कि पे-रोल मैनेजमेंट पोर्टल पर सभी शिक्षकों, कर्मियों और पेंशनधारियों की पूरी सूची और उनके वेतनमान अपलोड नहीं होने तथा इसमें त्रुटि पाये जाने के कारण उक्त स्थिति उत्पन्न हुई है। कई बार के रिमाइंडर के बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है। इसको लेकर ही विभाग के द्वारा फिर से अलग-अलग विश्वविद्यालयों के पदाधिकारियों को बुलाया गया है और पूरी जांच की जा रही है। छह जनवरी को विभाग ने विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया कि शिक्षकों और गैरशिक्षकेत्तर कर्मियों का विस्तृत ब्योरा देने के बाद ही वेतन राशि जारी की जाएगी। इसको लेकर आठ से 17 जनवरी तक विश्वविद्यालयों की बैठक बुलायी गयी है।
पांच विश्वविद्यालयों को वेतन देने पर सहमति
शिक्षा विभाग ने उन पांच विश्वविद्यालयों को वेतन राशि जारी करने पर सहमति प्रदान की है, जिनके द्वारा यह प्रमाणपत्र दिया गया है कि पे-रोल मैनेजमेंट पर दी गयी सारी जानकारी सही है। इन विश्वविद्यालयों में पूर्णिया, बीआरए मुजफ्फरपुर, मौलाना मजहरूल हक अरबी-फारसी, भीमराव आंबेडकर मधेपुरा और जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा शामिल हैं। इन विश्वविद्यालयों को नवंबर से लेकर जनवरी तक तीन महीने की वेतन राशि भेजने का निर्णय लिया गया है। जल्द ही इस संबंध में आदेश जारी किये जाने की उम्मीद है। पदाधिकारी बताते हैं कि जो भी विश्वविद्यालय उक्त प्रमाणपत्र देंगे, उन्हें वेतन राशि जारी करने पर विभाग विचार करेगा।
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