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बोले पटना : खेलने का जुनून तो है पर प्रशिक्षण कहां लें

खेल के क्षेत्र में बेटियों की रुचि बढ़ रही है, लेकिन छोटे शहरों में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। पटना की महिला खिलाड़ी खेलों में करियर बनाने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन परिवार और समाज के...

Newswrap हिन्दुस्तान, पटनाSat, 22 Feb 2025 05:56 PM
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बोले पटना : खेलने का जुनून तो है पर प्रशिक्षण कहां लें

खेल के क्षेत्र में बेटियों की रुचि भी बढ़ रही है और वे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपनी प्रतिभा, मेहनत और संघर्ष के बल पर अपनी पहचान बना रही हैं। महानगरों में तो महिला खिलाड़ियों को कुछ हद तक अनुकूल माहौल मिल जाता है, पर छोटे शहरों में उनके लिए राह आसान नहीं होती है। पटना की कई लड़कियां खेल के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहती हैं। उनका कहना है कि परिवार और समाज के स्तर पर उन्हें प्रोत्साहन मिले तो वे भी पदक लाकर राज्य का नाम रोशन करेंगी। आज ‘बोले पटना में पढ़िए महिला खिलाड़ियों की समस्याओं के बारे में। पीटी उषा, पीवी सिंधु, साइना नेहवाल, मैरी कॉम, साक्षी मलिक.. ... ऐसे कई नाम हैं जिन्होंने खेल जगत में ऊंचा मुकाम हासिल किया। इन्होंने भारत का नाम तो दुनिया में रोशन किया ही, इनकी सफलता ने लड़कियों को खेल जगत में आने के लिए प्रेरित भी किया। यही वजह है कि खेलकूद के क्षेत्र में लड़कियों की भागीदारी बढ़ी है। महिला खिलाड़ियों का कहना है कि यदि उन्हें घर-परिवार, समाज और सरकार से प्रोत्साहन की अपेक्षा है।

ज्योति का कहना है कि महिला खिलाड़ियों के लिए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए, जिसकी बिहार में कमी दिखती है। उन्होंने कहा कि स्कूल के स्तर पर लड़कों को खेल के प्रति प्रोत्साहित किया जाता है, लेकिन छात्राओं की भागीदारी अपेक्षाकृत कम होती है। सरकारी स्कूलों में हाल के दिनों में इस दिशा में सार्थक प्रयास किया जा रहा है।

दरअसल महानगरों में हालात थोड़े अलग हैं लेकिन छोटे शहरों में आज भी कई परिवार लड़कियों को खेल के क्षेत्र में भेजने से हिचकिचाते हैं। इसकी जगह उन्हें पढ़ाई पर ध्यान देने की नसीहत दी जाती है या बालिग होने पर शादी का दवाब बनाया जाता है। उन्हें सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ता है। इस दोहरे दबाव के कारण कई प्रतिभाशाली महिला खिलाड़ी अपने अरमान को बीच में ही छोड़ने को मजबूर होती हैं।

नंदनी कुमारी कहती है, महिला खिलाडियों का जीवन बहुत संघर्षमय होता है। पहले तो घर समाज के बंधनों से लड़ना पड़ता है। गर्मी, धूप, धूल, बरसात में अभ्यास करना पड़ता है। चयन प्रक्रिया बहुत कठिन है। इसमें लैंगिग भेदभाव का सामना करना होता है। घर-परिवार की सोच रहती है कि खेल कूद में लड़कियों का कोई भविष्य नहीं होता। गंभीर चोट लग जाए तो शादी में रूकावटे आ सकती हैं। खिलाड़ियों को अपना सपना छोड़कर घर गृहस्थी बसाने का दवाब डाला जाता है। समाज को यह सोचना होगा कि महिला खिलाड़ियों की खेलकूद में भागीदारी न केवल खेलों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में भी सहायक होगा।

खेल मैदानों में जगह नहीं मिलती : महिला खिलाड़ी बताती हैं कि पटना में खेल मैदानों की संख्या कम है, और जो हैं उनमें ज्यादातर लड़के अभ्यास करते हैं। इससे महिला खिलाड़ियों को अक्सर खेल मैदानों में खुलकर अभ्यास करने का मौका तक नहीं मिल पाता है। इससे उनकी तैयारियों पर असर पड़ता है। इसके अलावा, लड़कों की तुलना में महिला खिलाड़ियों को कम सुविधाएं और संसाधन मिलते हैं, जो उनके खेल के विकास में बाधा उत्पन्न करता है।

शिकायतें

1. पटना में कई स्टेडियम हैं, लेकिन महिला खिलाड़ियों के अभ्यास के लिए जगह की कमी है

2. निजी स्कूलों में छात्रों की तुलना में छात्राओं को प्रोत्साहन नहीं मिलता

3. सामाजिक रूढिवादी सोच महिला खिलाड़ियों के अवसर कम कर देते हैं

4. बिहार में महिलाओं के लिए क्रिकेट खेलने की अच्छी व्यवस्था और अवसर कम है

5. पटना में विभिन्न खेलों में महिला कोचों की संख्या न के बराबर है

सुझाव

1. स्टेडियम और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में महिला खिलाड़ियों के लिए अभ्यास की जगह तय हो

2. महिला खिलाड़ियों को सुरक्षित आवास, परिवहन, सुरक्षा अधिकारी और अन्य सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए

3. समाज को महिलाओं के प्रति अपना नजरिया बदलने की जरूरत है

4. टूर्नामेंट व मैचों के आयोजन को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि खिलाड़ी को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिले

5. महिला ट्रेनरों को भी नियुक्त किया जाना चाहिए, क्योंकि पुरुष ट्रेनरों से वे असहज महसूस करती है

महिला क्रिकेटरों को मिले संसाधन

खिलाड़ियों का कहना है कि बिहार में अब महिला खिलाड़ियों के लिए खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन होने लगा है। पहले महिलाओं को खेलों में अपनी प्रतिभा दिखाने के अवसर कम ही मिलते थे। हालांकि अब भी बड़े स्तर पर तैयारी करने के लिए महानगरों की ओर रुख करना पड़ता है। वहीं महिला क्रिकेटरों के लिए आवश्यक सुविधाएं और संसाधन की समस्या है। बिहार में महिला चैंपियनशिप के आयोजन को बढ़ाना चाहिए। महिला क्रिकेटर के लिए आवश्यक सुविधाएं और संसाधन प्रदान करने के लिए सरकार के साथ क्रिकेट से जुड़े संगठनों को मिलकर काम करना चाहिए।

सरकारी प्रोत्साहन मिला तो महिला खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ा

र खेल का अपना महत्वत है किसी को क्रिकेट खेलना पसंद है तो किसी को कबड्डी, खोखो, वालीबॉल आदि। कुछ लोग शौकिया तौर पर खेलते हैं। तो कुछ इसमें अपना भविष्या बनाना चाहते हैं। पहले क्रिकेट, फुटबॉल, वालीबॉल, बॉक्सिंग जैसे खेल पुरुष प्रधान हुआ करते थे पर पिछले कुछ दशकों में महिलाओं ने इन खेलों में इतिहास रचा है। चाहे ओलंपिक में पदक जीतना हो या राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय खेलों में देश का नाम ऊंचा करना हो, आज महिला खिलाड़ी सफलता हासिल कर रही हंै। बिहार की महिला खिलाड़ी भी अब पीछे नहीं हैं। इसका सबसे बड़ा कारण उन्हें सरकारी तौर पर प्रोत्साहन, मदद मिलना है। इससे वह अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त हैं। साथ ही उन्हें बेहतर सुविधाएं भी मिल रही हैं। इससे पहले महिलाओं के लिए खेल जगत में कदम रखना किसी चुनौती से कम नहीं रहा है। उन्हें अक्सर नाजुक और कोमल समझा जाता है। ऐसे में उनका मैदान में कड़ा प्रशिक्षण और परिश्रम करना उनके परिवार के सदस्यों को गंवारा नहीं होता है। पर आज मानसिकता बहुत हद तक बदली है। इसके पीछे के कारण खेल के प्रति जागरूकता, बढ़ती सहूलियत और रोजगार के अवसर है। महिला क्रिकेटर ज्योति कुमारी कहती हैं, मैं पिछले 6 वर्षों से क्रिकेट खेल रही हूं। पहले के मुकाबले क्रिकेट में लड़कियों का भी रुझान बढ़ा है। उन्हें अपने घर से भी प्रोत्साहन मिल रहा है। समाज के नजरिए में बदलाव आया है। जिला क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन सरकार इसी वर्ष से करवाने जा रही है।

बिहार के सबसे बड़े स्टेडियम मोइनुल हक में हो चुके कई मैच

बिहार का सबसे पुराना स्टेडियम है मोइनुल हक स्टेडियम। इसका निर्माण 1969 में पटना के राजेंद्र नगर में हुआ था। इसे पहले डॉ. राजेंद्र प्रसाद स्टेडियम के नाम से जाना जाता था 17 से 19 नवंबर 1976 को यहां भारत और वेस्टइंडीज की महिला टीमों के बीच तीन दिवसीय टेस्ट खेला गया था। यहां महिलाओं का पहला एक दिवसीय मैच 5 जनवरी 1978 को भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेला गया था। 22 दिसंबर 1997 को भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच आखिरी महिला वनडे मैच यहां हुआ था। स्टेडियम की क्षमता 25,000 है।

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