फरवरी के अंत तक दूर होगी पीएमसीएच में बेड की कमी
पीएमसीएच में बेड की कमी से मरीजों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। ठंड के कारण बीमारियों में वृद्धि हुई है, जिससे बच्चे और बुजुर्ग अस्पताल में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। नए वार्ड में बेड की...
पीएमसीएच में बेड की कमी मरीजों पर भारी पड़ रही है। ठंड में बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक की बीमारियां बढ़ी है। बड़ी संख्या में शिशु रोग विभाग से लेकर इमरजेंसी में मरीज इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं। लेकिन बेड की कमी के कारण गंभीर मरीजों को या तो घंटो इंतजार करना पड़ रहा है या फिर दूसरे अस्पताल में जाने को मजबूर हो रहे हैं। शिशु रोग विभाग, स्त्री व प्रसूति रोग विभाग के टूटने से इनको दूसरे भवन में शिफ्ट किया गया है। लेकिन नए वार्ड में बेडों की संख्या लगभग आधी हो गई है। दूसरे निकू, पिकू वार्ड में भर्ती होनेवाले गंभीर बच्चों के लिए भी बेड की संख्या आधी हो गई है। पहले नीकू में 50 और पीकू में 16 बेड थे। अब यह घटकर क्रमश: 30 और 8 हो गई है। ये बेड लगातार भरे रहते हैं। ऐसे में नए मरीजों के आने से इलाज होना मुश्किल हो जाती है। बताया कि नीकू में चार और पीकू में आठ वेंटिलेटरयुक्त बेड हैं। इसकी कमी के कारण सिर्फ गंभीर रूप से बीमार बच्चों को जिनको वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है, दूसरे जगह भेजा जाता है।
फरवरी के बाद 500 बेड का हो सकता है इमरजेंसी
25 फरवरी को पीएमसीएच के निर्माणाधीन दूसरे टावर का उद्घाटन होना है। नौ मंजिले इस टावर में मरीजों के लिए लगभग दो हजार बेड उपलब्ध होंगे। अस्पताल अधीक्षक डॉ. आईएस ठाकुर ने बताया कि इनमें से लगभग 500 बेड अलग-अलग विभाग के इमरजेंसी वार्ड के रूप में रहेंगे। शेष अन्य विभागों के बीच आवंटित होगा। इससे बेडों की संख्या में आई कमी कुछ हद तक दूर हो सकती है। उन्होंने बताया कि 31 जनवरी तक दूसरे ब्लॉक को तैयार करने का अल्टीमेंट निर्माण एजेंसी को दिया गया है। उसके बाद ही कौन विभाग कहां संचालित होगा, निर्णय लिया जाएगा।
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