बोले पटना : छात्रावास आवंटन की आस में जैसे-तैसे रहने को मजबूर छात्र
पटना विश्वविद्यालय के छात्रों को छात्रावास आवंटन में देरी और बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। पुलिस की छापेमारी से असुरक्षा का माहौल बन गया है। छात्र मेस, लाइब्रेरी और पेयजल संकट...
पटना विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान में नामांकन के साथ ही छात्रों को अपने भविष्य के प्रति एक बड़ी उम्मीद जगती है। दूर-दराज क्षेत्रों से आकर शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों के लिए छात्रावास सबसे महत्वपूर्ण आश्रय है। लेकिन इन दिनों छात्रावास का आवंटन नहीं होने से छात्रों को किराये का कमरा लेकर रहना पड़ रहा है। पीयू के छात्रावासों में शुद्ध पेयजल और साफ-सफाई जैसी बुनियादी सुविधाओं तक का अभाव है। छात्रावास में मेस की सुविधा भी नहीं है। छात्रों का कहना है कि छात्रावास आवंटन के पूर्व सभी तरह की सुविधा बहाल की जाए। देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक पटना विश्वविद्यालय के छात्रावासों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। छात्रावासों में मेस, शुद्ध पेयजल और साफ-सफाई तक की व्यवस्था नहीं है। छात्रावासों में पुस्तकालय नहीं होने से छात्रों का अध्ययन कार्य भी प्रभावित होता है। छात्रावास परिसर में रोशनी की उचित व्यवस्था नहीं होने से शाम होते ही अंधेरा पसर जाता है। सूबे के विभिन्न जिलों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय में आए छात्रों को छात्रावास नहीं मिलने से परेशानी होती है। समय पर छात्रावास का आवंटन नहीं होने से छात्रों को निजी छात्रावासों, गेस्ट हाउस या किराये का कमरा लेकर रहना पड़ता है। ऐसे में उनपर अधिक बोझ पड़ता है।
पुलिस की छापेमारी से छात्र परेशान : साइंस कॉलेज के वनस्पति विज्ञान के छात्र रविरंजन कुमार सैदपुर समेत पीयू के अन्य छात्रावासों में अक्सर होने वाली पुलिस छापेमारी पर नाराजगी जाहिर करते हैं। कहते हैं कि सबसे ज्यादा परेशानी छात्रावासों में होने वाली पुलिस छापेमारी से होती है। विश्वविद्यालय को बगैर कोई सूचना दिये पुलिस प्रशासन यहां आ धमकते हैं। इसके पीछे के कारण को लेकर रविरंजन कहते हैं कि यदि छात्रावास के ईद-गिर्द किसी भी प्रकार की कोई आपराधिक घटना होती है तो इसका पूरा ठीकरा यहां रहने वाले छात्रों के सिर फोड़ दिया जाता है। आसपास के व्यापारी तो यहां के छात्रों को सीधे-सीधे गुंडा बताते हैं। छात्रावास की समस्याओं पर बात करते हुए रविरंजन बताते हैं कि पीयू के किसी भी छात्रावास में बुनियादी सुविधा नहीं है।
आश्वासन के बाद भी नहीं हुआ आवंटन : बीएन कॉलेज के छात्र विकास शर्मा छात्रावास आवंटन में हो रही देरी को लेकर काफी नाराज नजर आते हैं। कहते हैं कि पिछले वर्ष बीएन कॉलेज के छात्र हर्ष राज की हुई निर्मम हत्या के बाद से ही पीयू के सभी छात्रावास सील कर दिये गये हैं। आनन-फानन में पुलिस प्रशासन ने छात्रावास खाली भी करवा दिया। ऐसे में दूर-दूर से आकर यहां पढ़ाई करने वाले छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। छात्रावास आवंटन को लेकर पीयू के छात्रों ने आंदोलन तक किया, जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन और राज्यपाल कार्यालय ने आश्वासन दिया था कि इस वर्ष फरवरी माह के पहले सप्ताह में छात्रावास एलॉट कर दिये जाएंगे। लेकिन ये अबतक नहीं हुआ है। मजबूरी में छात्र यहां-वहां गुजारा कर रहे हैं।
पेयजल जलसंकट से जूझ रहे हैं छात्र : साइंस कॉलेज के छात्र अंबेश कुमार झा की दास्तान भी बेहद चौंकाने वाली है। बताते हैं कि पटना विश्वविद्यालय के दो मंजिला कैवेंडिस हॉस्टल में 90 कमरे हैं। इतना छोटा छात्रावास होने के बावजूद यहां बुनियादी व्यवस्था नहीं है। जलापूर्ति के लिये लगे नल और हाथ-मुंह धोने के लिये लगाये गये बेसिन क्षतिग्रस्त हैं। शौचालय और स्नानागार के दरवाजे तक टूटे हुये हैं। पेयजल आपूर्ति की गंभीर समस्या होने के साथ-साथ अन्य कार्यों के लिये भी आवश्यक पानी की किल्लत है। छात्रावास की पहली मंजिल पर पानी आता ही नहीं है। इसके अलावा यहां कई कमरे ऐसे भी हैं जो रहने लायक नहीं हैं। हॉस्टल की सुरक्षा भी गंभीर चिंता का विषय है। यहां नाइट गार्ड तो तैनात हैं, लेकिन दिन के समय कोई सुरक्षाकर्मी की तैनाती नहीं रहती है।
शिकायतें
1. पटना विश्वविद्यालय के छात्रों को छात्रावास आवंटन नहीं होने से रहने का गंभीर संकट है।
2. छात्रावासों में पुलिस की छापेमारी होने से छात्रों के बीच असुरक्षा का भाव रहता है।
3. पीयू के छात्रावासों में मेस या कैन्टीन नहीं होने से खाने-पीने में छात्रों को परेशानी होती है।
4. हॉस्टल में पुस्कालय की कमी और अखबार नहीं आने से छात्रों का शैक्षणिक कार्य प्रभावित होता है।
5. छात्रावासों में शाम के बाद रौशनी की व्यवस्था नहीं होने से छात्र खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं।
सुझाव
1. पटना विश्वविद्यालय के छात्रों को जल्द से जल्द छात्रावास आवंटित किया जाये।
2. छात्रावासों में बेवजह छापेमारी नहीं पड़नी चाहिए। छापेमारी से पूर्व छात्रों को इसकी सूचना दी जाये।
3. पटना विश्वविद्यालयों के हॉस्टल में मेस और कैन्टीन की सुविधा उपलब्ध कराई जाये।
4. सभी हॉस्टल में छात्रों के लिये पुस्कालय और अखबार की व्यवस्था की जाये।
5. पटना विश्वविद्यालय के सभी छात्रावासों में लाइट की उचित व्यवस्था की जाये।
छात्रावासों में लाइब्रेरी की सुविधा नहीं, अखबार भी नहीं आता
पटना विश्वविद्यालय से लाइब्रेरी एंड इंफॉर्मेशन साइंस में स्नातक की पढ़ाई करने वाले आदित्य कुमार छात्रावासों में पुस्तकालय नहीं होने को लेकर मायूसी का इजहार करते हैं। कहते हैं कि पटना विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान में नामांकन होने के साथ ही छात्रों को अपने भविष्य के प्रति एक बड़ी उम्मीद जगती है। दूर-दराज क्षेत्र से यहां आकर शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों, विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिये छात्रावास ही सबसे महत्वपूर्ण आसरा है। ऐसे में यहां पुस्तकालय जैसे महत्वपूर्ण केन्द्र का नहीं होना बेहद अफसोसनाक है। इसके अलावा छात्रावासों में अखबार तक नहीं आता है। ऐसे में छात्रवासों में रहने वाले छात्रों को रोजमर्रा की खबरों, समसामायिक विषयों की जानकारी समेत आवश्यक पुस्तकों की व्यवस्था निजी या व्यक्तिगत स्तर पर करनी पड़ती है।
बोले जम्मिेदार
पीयू के छात्रावासों में अभी मरम्मत का कार्य चल रहा है। मरम्मत कार्य समाप्त होते ही छात्रों को छात्रावास अवांटित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। सरकार ने अलग-अलग छात्रावासों के मरम्मत के लिए राशि उपलब्ध कराई थी। यह कार्य अंतिम चरण में है। उम्मीद है फरवरी के अंतिम सप्ताह तक छात्रावास आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इसकी रिपोर्ट इंजीनियरिंग विभाग से मांगी गई है। पहले से आवंटित छात्रों को छात्रावास एलॉट किया जाएगा। नए छात्रों का आवांटन बाद में होगा। जिला प्रशासन के आदेश के बाद छात्रावास बंद कराया गया था।
-प्रो. अनिल कुमार, छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष, पटना विश्वविद्यालय
छात्रावासों में रहने वाले कई विद्यार्थी पहुंचे ऊंचे मुकाम तक
पटना विश्वविद्यालय के छात्रावासों में रहने वाले कई छात्र कालांतर में अलग-अलग क्षेत्रों में मुकाम हासिल कर चुके हैं। पटना साइंस कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अतुल आदित्य पांडेय भी उन्हीं में से एक हैं। छात्र जीवन की चर्चा चली तो प्रो. पांडेय साइंस कॉलेज के कैवेंडिश, फाराडे और न्यूटन छात्रावास में गुजरे सुनहरे पलों को याद करते हुए अतीत में खो जाते हैं। वह बताते हैं कि वह छात्र जीवन में छात्रावास में तो नियमित रूप से नहीं रहे लेकिन अपने दोस्तों के साथ यहां काफी समय जरूर बिताते थे। प्रो. अतुल आदित्य पांडेय याद करते हैं कि उस जमाने में छात्रावास में आने वाले छात्र बेहद उत्सुकता के साथ उन कमरों को देखते थे, जहां रहने वाले छात्र आगे चलकर प्रसिद्ध डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक या नौकरशाह समेत बड़े पदों पर सुशोभित हुए हों। ये बात छात्रों को काफी प्रभावित करती थी और उन्हें भविष्य में कुछ कर दिखाने की प्रेरणा देती थी। कहते हैं कि उस समय छात्रों और छात्रावास के कर्मियों के बीच काफी आत्मीय संबंध हुआ करता था। यहां के मेस में बने भोजन का अपना अद्भुत स्वाद होता था। यहां समाज के सभी वर्ग के छात्र बगैर किसी भेदभाव के सौहार्द के साथ रहा करते थे। दरअसल छात्रावास में रहने के दौरान छात्र अनुशासन और आत्मनिर्भरता का पाठ सीखते हैं। पूर्व में बड़ी मुश्किल से कमरा आवंटित हो पाता था। इसका एक मानक भी तय था। नियमित रूप से छात्रावासों का निरीक्षण होता था।
राजनीति की नर्सरी भी है पटना विश्वविद्यालय
देश का प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान पटना विश्वविद्यालय को प्रदेश की राजनीति की नर्सरी के तौर पर भी जाना जाता है। यहां से निकलकर कई लोग आज देश-विदेश में अपनी क्षमता का लोहा मनवा रहे हैं। यहां से पढने वाले छात्र आइएएस-आइपीएस से लेकर रा्ज्य के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे हैं। बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, रविशकर प्रसाद, शिवानंद तिवारी आदि कद्दावर नेताओं ने भी अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ से ही की है। यहीं से सियासत की बारीकियों को समझा और देश की राजनीति के शिखर पर पहुंचे।
विवादों से नाता रहा है पीयू के छात्रावासों का
पीयू के सभी छात्रावासों को फिलहाल विवादों के कारण सील कर दिया गया है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब विवि के छात्रावासों को विवाद और आपराधिक घटनाओं के कारण सील किया गया है। अक्सर यहां विभिन्न छात्रावासों के छात्रों के बीच वर्चस्व में हिंसक झड़प होती रही है। इस कारण पुलिस प्रशासन को हस्तक्षेप करते हुए छात्रावासों के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ती है। ऐसा ही मामला बीते वर्ष मई महीने में भी सामने आया था, जब छात्रों के आपसी विवाद के कारण बीएन कॉलेज के छात्र हर्ष राज की 27 मई, 2024 को पटना लॉ कॉलेज परिसर में पीट-पीटकर निर्मम हत्या कर दी गयी थी। हत्याकांड के बाद एक्शन मोड में आते हुये विवि प्रशासन ने सभी व्बायज हॉस्टल को तत्काल प्रभाव से खाली करने का आदेश जारी कर दिया। दो दिन बाद 29 मई को कुलपति ने पत्र जारी कर सभी ब्वायज हॉस्टल को अगले आदेश तक खाली कर सील करने का आदेश जारी किया।
प्रस्तुति: नियाज आलम, फोटो: सुनील सिंह
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