नियमित पौष्टिक भोजन व टीकाकरण से चार साल में चार फीसदी घटे कम वजन वाले बच्चे
राज्य के आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के वजन पर ध्यान दिया जा रहा है। पिछले चार वर्षों में कम वजन वाले बच्चों की संख्या 26% से घटकर 22% हो गई है। गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार देने से नवजातों के...

शारीरिक विकास के लिए वजन का होना जरूरी है। जब वजन अच्छा रहेगा तभी बच्चे का शारीरिक विकास अच्छे से होगा। कुछ ऐसा ही ध्यान राज्य के आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों पर रखा जा रहा है। पिछले चार सालों में आंगनबाड़ी केंद्र के चार फीसदी बच्चों का वजन पहले की अपेक्षा बेहतर हुआ है। जहां 2022 में केंद्र के 26 फीसदी बच्चों का वजन उनके उम्र के हिसाब से कम था। वहीं 2023 में 25 फीसदी, 2024 में 23 फीसदी और इस वर्ष मई 2025 में आंगनबाड़ी केंद्र में अब 22 फीसदी ही बच्चे कम वजन के है। नियमित पौष्टिक भोजन और बच्चों का टीकाकरण का असर है कि बच्चों का शारीरिक विकास हो रहा है।
छह महीने पूरे होने पर बच्चें को पूरक भोजन भी दिया जाता है। इससे बच्चों में कुपोषण की संभावना कम हो रही है। पौष्टिक आहार लेने से बच्चों में सकारात्मक बदलाव हो रहा है। बच्चों को क्या खिलाना है। विटामिन, प्रोटीन, वसा, आयरन आदि की कितनी मात्रा देनी है। इन तमाम चीजों की सूची भी बनायी गयी है। हर आंगनबाड़ी केंद्र पर एक साल से छह साल तक के बच्चों के लिए साप्ताहिक आहार तालिका बनी है। इसी के अनुसार बच्चों को खाना दिया जाता है। गर्भवती महिलाओं के पौष्टिक आहार से नवजात को मिलती है सुविधा : आंगनबाड़ी केंद्र में गर्भवती महिलाओं को नियमित पौष्टिक आहार दिया जाता है। इसका असर नवजात के जन्म पर हो रहा है। जहां तीन साल पहले आंगनबाड़ी केंद्र 30 फीसदी बच्चे जन्म से ही कम वजन के होते थे। इस वर्ष 20 फीसदी बच्चे ही कम वजन के पैदा हुए हैं। राज्य में एक लाख 15 हजार आंगनबाड़ी केंद्र है। इसमें 95 लाख के लगभग बच्चे पंजीकृत हैं। पांच लाख के लगभग गर्भवती महिलाएं हैं। गर्भवती महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। इसका कारण नियमित पौष्टिक खाना और समय पर टीकाकरण है। नियमित जांच होने से गर्भवती महिलाओं को गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य की जानकारी नियमित मिलती है। बॉक्स हर बच्चे पर किया जा रहा फोकस : आंगनबाड़ी केंद्र में हर बच्चे पर फोकस किया जा रहा है। एक साल के जिन बच्चों का वजन कम होता है, उन पर अधिक फोकस किया जाता है। ऐसे बच्चों के आहार पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इनके वजन की माप भी नियमित होती है। ऐसे बच्चों के वजन को सही करने के लिए आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका को प्रशिक्षण दिया जाता है।
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