Hindi NewsBihar NewsPatna NewsNati Mansuri Rice Farmers Preferred Choice in Patna for 25 Years

धान की खेती में अब भी किसानों की पहली पसंद है नाटी मंसूरी

पटना जिले में 60 फीसदी किसान नाटी मंसूरी धान की खेती कर रहे हैं। यह धान 150 से 160 दिनों में तैयार होता है और प्रति हेक्टेयर 60 से 70 क्विंटल उत्पादन देता है। नाटी मंसूरी की मांग किसानों में अधिक है...

Newswrap हिन्दुस्तान, पटनाFri, 17 Jan 2025 04:59 PM
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पिछले 25 सालों से धान की प्रजाती में नाटी मंसूरी किसानों के लिए आज भी पसंदीदा बना हुआ है। पटना जिले में 60 फीसदी किसान नाटी मंसूरी की खेती कर रहे हैं। 40 फीसदी ही अन्य उन्नत प्रजातियों की खेती की ओर रूख कर रहे। पटना जिला कृषि पदाधिकारी के अनुसार आज भी नाटी मंसूरी धान का कोई जोड़ नहीं है। अन्य प्रजातियों की अपेक्षा नाटी मंसूरी धान का पैदावार अधिक देता है। यह धान 150 से 160 दिनों में तैयार हो जाता है। इसका उत्पादन प्रति हेक्टेयर 60 से 70 क्विंटल है। चावल मध्यम किस्म का होता है। जिससे बाजार में अच्छी डिमांड रहती है। दूसरे किस्म की धान में समय भी अधिक लगता और उत्पादन भी कम है। जिससे किसानों को नुकसान की संभावना रहती है। इसलिए किसानों के बीच नाटी मंसूरी धान की एमटीयू-7029 प्रजाति की मांग अधिक है।

कम खेत में अधिक पैदावार से बना हुआ पंसदीदा

नाटी मंसूरी का पैदावार सबसे अधिक है। जिसके कारण किसानों के बीच पसंदीदा बना हुआ है। किसानों के बीच कहावत भी है कि सब धान के बनल, नाटी मंसूरी के बिगरल उत्पादन बराबर रहता है। जिन किसानों के पास कम जमीन है, उसके लिए यह धान फायदेमंद है। एक हेक्टेयर में 70 क्विंटल से अधिक का उत्पादन है।

पानी की खपत अधिक होती

नाटी मंसूरी भरपूर पानी वाली धान है। विक्रम के किसान नीरज कुमार कमल ने बताया कि यह धान जितना पानी में डूबा रहेगा उत्पादन उतना ज्यादा होगा। हर धान की प्रजातियों से नाटी मंसूरी की उत्पादन क्षमता ज्यादा है। इसमें खाद का उपयोग कम होता है। इसकी नर्सरी रोहिणी नक्षत्र यानी जून के पहले सप्ताह में करनी चाहिए। 20 से 25 दिनों के बाद आद्रा नक्षत्र जून के अंतिम सप्ताह तक इसकी रोपनी कर लेना चाहिए। जिससे धान का उत्पादन रिकॉर्ड तोड़ होगा।

नाटी मंसूरी में चावल 70 प्रतिशत तक निकलता

नाटी मंसूरी चावल का स्वाद भी बेहद अच्छा होता है। नौबतपुर के किसान अजय कुमार ने बताया कि इस धान की कुटाई के बाद चावल 67 से 70 प्रतिशत निकलता है। यह हाईब्रिड प्रजाति नहीं है। नाटी मंसूरी के अलावा कई हाईब्रिड प्रजाति की धान है। वह 120 दिनों में तैयार होता है, लेकिन उत्पादन इससे आधा है। किसान कम खेत में अधिक पैदावार के लिए नाटी मंसूरी की खेती कर रहे हैं। इसमें किसानों को ज्यादा मुनाफा भी है।

कोट:-

पटना जिले में किसानों के बीच नाटी मंसूरी धान की एमटीयू-7029 प्रजाति की मांग अधिक है। 60 फीसदी खेती नाटी मंसूरी की हो रही है। इसका उत्पादन अन्य हाइब्रिड प्रजातियों से दोगुना है। किसानों को इसमें फायदा बहुत है। जिसके कारण 25 सालों से यह धान किसानों के लिए पसंदीदा बना हुआ है।

विकास कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी पटना

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