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सहकारी बैंकों के ग्राहकों को मिलेगी डिजिटल सेवाएं

अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के तहत सहकारी बैंकों का दायरा बढ़ाया जा रहा है। डिजिटल सेवाएं शुरू करने के लिए केंद्रीय सहकारी बैंकों का अपग्रेडेशन किया जा रहा है। 13 समितियों को बैंक मित्र के रूप में...

Newswrap हिन्दुस्तान, पटनाSun, 16 March 2025 07:01 PM
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सहकारी बैंकों के ग्राहकों को मिलेगी डिजिटल सेवाएं

अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष में सहकारी बैंकों का दायरा बढ़ाया जा रहा है। सहकारी समितियों से जुड़े सदस्यों के खाते खोलकर खाताधारकों की संख्या बढ़ाई जा रही है। इसके साथ ही सहकारी बैंकों में डिजिटल और ऑनलाइन सेवा की सुविधा देने की कवायद शुरू की गई है, जिसके लिए केन्द्रीय सहकारी बैंकों को अपग्रेड किया जा रहा है। केन्द्रीय सहकारी बैंक मुख्यालय और शाखाओं के आईटी अप्रगेडेशन के लिए एजेंसी के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अगले वित्तीय वर्ष में इसे पूरा करने का लक्ष्य है। सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने भी पिछले दिनों हुई समीक्षा बैठक में इस संबंध में निर्देश दिए हैं। अपग्रेडेशन के बाद सहकारी बैंक डिजिटल सुविधाएं देने में सक्षम होंगे। इसके ग्राहकों को अन्य बैंकों की तरह ही आधुनिक तकनीकी सेवाओं का लाभ मिलेगा। इससे इन बैंकों के कामकाज में पारदर्शिता आएगी। समिति सदस्यों तक सरकारी योजनाओं का फायदा पहुंचाना सरल होगा। बदलते बैंकिंग परिवेश में बैंक व्यवसाय के ऊपर समुचित निगरानी रखने, लगातार निरीक्षण करने, साइबर फ्रॉड की रोकथाम के लिए भी यह जरूरी है।

बैंक मित्र बन रहे पैक्स : पैक्सों और अन्य सहकारी समितियों के कारोबारी दायरा बढ़ने के साथ ही सहकारी बैंकों के व्यवसाय में वृद्धि हो रही है। इस कारण बैंकों के कामकाज में पारदर्शिता लाना जरूरी है। पैक्सों को बैंक मित्र बनाया जा रहा है। अब तक 13 समितियों को बैंक मित्र के रूप में विकसित किया जा चुका है। ये समितियां मोतिहारी, दरभंगा, मधेपुरा, सहरसा, वैशाली और पाटलिप़त्र शाखा से जुड़ी हैं।

खातों की संख्या बढ़ाई जा रही : सहकारी बैंकों के खातों में वृद्धि की जा रही है। इसलिए भी ग्राहकों की जरूरतों के लिए ऑनलाइन सेवा की मांग की जा रही थी। केन्द्रीय सहकारी बैंकों को संबंधित जिले की सभी दुग्ध समितियों और सदस्यों का खाता खोलना है। इसके अलावा उन किसानों का भी खाता खोलने का लक्ष्य है, जो धान, गेहूं और दलहन को पैक्सों और व्यापार मंडलों पर बेचते हैं। ऑनलाइन सेवा मिलने के बाद सहकारी बैंकों के खातों की संख्या में भी वृद्धि होगी।

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