कांग्रेस के निष्क्रिय प्रखंड अध्यक्ष हटेंगे
कांग्रेस ने बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। पुराने प्रखंड अध्यक्षों को हटाकर नए लोगों को जिम्मेदारी दी जाएगी। पार्टी की मजबूती के लिए सामाजिक समीकरण का ध्यान रखा जाएगा। प्रदेश...
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस के कागजी और निष्क्रिय प्रखंड अध्यक्ष हटाए जाएंगे। उनकी जगह नए लोगों को दायित्व सौंपा जाएगा। बिहार कांग्रेस के प्रभारी मोहन प्रकाश ने गुरुवार को सदाकत आश्रम में नवनियुक्त तीन प्रभारी सचिव देवेंद्र यादव, सुनील कुमार पासी, शाहनवाज आलम के बीच दायित्वों का बंटवारा किया तथा प्रखंड समितियों के गठन-पुनर्गठन के लिए अगले दो माह की समय सीमा तय कर दी। सदाकत आश्रम में प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठक में प्रभारी ने लक्ष्य तय कर समय के भीतर संगठन की बुनियाद मजबूत करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी की मजबूती के लिए जनहित और स्थानीय मुद्दों पर आंदोलन करना होगा। राजनीति में शक्ति की पूजा होती है। रोज एक से दो नए व्यक्ति से संवाद का संकल्प लें। अभी बिहार कांग्रेस की समस्या संवादहीनता है। बात होती भी है तो अपने गुट के भीतर ही। यह दीवार तोड़नी होगी। उन्होंने कहा कि प्रखंड अध्यक्षों और समिति सदस्यों के निर्धारण में सामाजिक समीकरण, जाति और धर्म का पूरा ख्याल रखा जाएगा। 10-12 बूथों पर एक मंडल की संरचना होगी। मंडल अध्यक्ष बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) बनाएंगे। वे बीएलए प्रदेश कांग्रेस समिति से जुड़ेंगे। इसके बाद बूथ कमेटी बनेगी।
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि पार्टी की मजबूती के लिए नए प्रखंड अध्यक्ष नियुक्त करना जरूरी है। इनकी नियुक्ति में सामाजिक संरचना के साथ जाति और धर्म का भी ध्यान रखें। उन्होंने विधानसभा चुनाव में 40 से 50 सीटें जीतने की उम्मीद जताई। कहा कि टिकट वितरण आदि में चूक हो जाती है, लेकिन हमें आपसी कटुता भूलकर आगे बढ़ना है। बैठक में सांसद तारिक अनवर, विधानमंडल दल के नेता शकील अहमद खान, पूर्व अध्यक्ष मदन मोहन झा, चंदन बागची, सांसद मनोज कुमार, पूनम पासवान, मुन्ना तिवारी, हरखू झा, कपिलदेव प्रसाद यादव, प्रो.अंबुज किशोर झा आदि मौजूद थे। मंच संचालन कौकब कादरी ने किया।
कांग्रेस को खुद खड़ा होने की जरूरत
बैठक में कई नेताओं ने कहा कि बिहार कांग्रेस को खुद अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए। दूसरे दलों का सहारा लेने के बदले खुद को मजबूत करना जरूरी है। एक सांसद ने भी इसकी पुरजोर वकालत की। कई अन्य नेताओं ने भी कहा कि कांग्रेस को पुरानी मजबूत स्थिति में आने के लिए दूसरे दलों (राजद) का सहारा छोड़ना चाहिए।
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