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पुलिस लाइन में बवाल: तीन पुरुष व दो महिला पुलिस उपद्रव के मास्टरमाइंड

लोदीपुर पुलिस लाइन में शुक्रवार को हुए महिला रंगरूटों के उपद्रव के मामले में आला अधिकारियों ने शनिवार को दिनभर जांच की। जांच बेहद गोपनीय रखी गई। सूत्रों की मानें तो उपद्रवी रंगरूटों की भीड़ का...

पटना। वरीय संवाददाता Sun, 4 Nov 2018 09:52 AM
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लोदीपुर पुलिस लाइन में शुक्रवार को हुए महिला रंगरूटों के उपद्रव के मामले में आला अधिकारियों ने शनिवार को दिनभर जांच की। जांच बेहद गोपनीय रखी गई। सूत्रों की मानें तो उपद्रवी रंगरूटों की भीड़ का नेतृत्व करने वालों की पहचान की जा रही है। अब तक तीन पुरुष और दो महिला रंगरूटों के नाम सामने आए हैं, जिन्होंने मास्टरमाइंड की भूमिका निभाई है। 

साफ है कि किसी दूसरे के कहने पर ही इन्होंने सिपाहियों को भड़काया, फिर उन्हें लाइन में एकत्र होने को कहा। इन सभी के अलावा अन्य मास्टरमाइंड के नाम भी खंगाले जा रहे हैं। वहीं, मृत सिपाही सविता कुमारी पाठक के भाई ने हिंसक विरोध नहीं किया था। वह चुपचाप बहन के शव के पास बैठा रहा। इससे पहले एसएसपी मनु महाराज, एसपी सिटी सेंट्रल अमरकेश डी, एसपी सिटी पश्चिमी रवींद्र कुमार सहित कई पुलिस अधिकारी दिन से लेकर रात तक मामले की पड़ताल करते रहे। हर पहलू को बारीकी से खंगाला गया।

एफआईआर होते ही भूमिगत हुए उपद्रवी
एफआईआर दर्ज होते ही उपद्रवी पुलिसवाले अंडरग्राउंड हो गए। चार एफआईआर बुद्धा कॉलोनी थाने में दर्ज की गई है। एक बुद्धा कॉलोनी थानेदार मनोज मोहन, दूसरी पीरबहोर थानेदार गुलाम सरवर, तीसरी लाइन डीएसपी मो. मसलेहउद्दीन और चौथी प्राथमिकी एक प्राइवेट गाड़ी के चालक ने कराई है। इन सभी में जान से मारने की नीयत से हमला करने, सरकारी सामान को नुकसान पहुंचाने, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने, ऑन ड्यूटी पुलिसवालों की पिटाई करने सहित अन्य धाराएं लगाई गई हैं। एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, 88 पुरुष और 73 महिला रंगरूटों को नामजद किया गया है। इन सभी की पहचान वीडियो क्लिप और फोटो से की गई है। इसके अलावा पांच सौ अज्ञात रंगरूटों पर भी एफआईआर दर्ज की गई है। 

खोजकर तोड़ा गया सीसीटीवी कैमरे का डीवीआर 
उपद्रवी सिपाहियों ने पुलिस लाइन में लगे सीसीटीवी कैमरे के डीवीआर को खोजकर तोड़ डाला। तफ्तीश में यह बात सामने आई है कि लाइन डीएसपी मो. मसलेहउद्दीन के कमरे में घुसते ही सबसे पहले वहां रखे सारे डीवीआर तोड़ दिए गए। पुलिस लाइन में लगे कैमरों का डीवीआर डीएसपी के कमरे में ही रहता है। इसकी जानकारी उपद्रवी जवानों को थी। इन डीवीआर को बनवाने की कोशिश की जा रही है, ताकि फुटेज मिल सके। 

खंगाला जा रहा सीडीआर
जांच में कॉल डीटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) पर आला अफसरों की नजर है। पुलिस विभाग में निचले स्तर पर कुछ नामचीन लोग भी जांच के दायरे में हैं। हालांकि इसे बेहद गोपनीय रखा जा रहा है। बीते शुक्रवार की सुबह किसने और कब रंगरूटों से बातचीत की इस पर भी नजर है। 

कई जवानों ने पिछले दरवाजे से की पैरवी
खुद को उपद्रव जांच की आंच से बचाने के लिए कई रंगरूटों ने अफसरों के दरवाजे के चक्कर भी काटने शुरू कर दिए हैं। कड़ी कार्रवाई की भनक लगते ही जवान कुछ अफसरों के यहां गए। हालांकि वहां से उन्हें तत्कल वापस जाने को कह दिया गया।

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