बिक्रम ट्रॉमा सेंटर शुरू करने को मिली एनओसी

बिक्रम स्थित ट्रॉमा सेंटर को तत्काल शुरू करने की कवायद तेज हो गई है। स्वास्थ्य विभाग ने आईजीआईएमएस को एनओसी दे दिया है। बिक्रम स्थित ट्रॉमा सेंटर को स्थानांतरण के संबंध में विभाग ने संस्थान से...

हिन्दुस्तान टीम पटनाTue, 12 June 2018 06:20 PM
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बिक्रम स्थित ट्रॉमा सेंटर को तत्काल शुरू करने की कवायद तेज हो गई है। स्वास्थ्य विभाग ने आईजीआईएमएस को एनओसी दे दिया है। बिक्रम स्थित ट्रॉमा सेंटर को स्थानांतरण के संबंध में विभाग ने संस्थान से टेक्निकल फिजिबिलिटी असेस्मेंट व प्रोजेक्ट रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा है।

आईजीआईएमएस द्वारा बिक्रम ट्रॉमा सेंटर को संस्थान से टैग करने का अनुरोध विभाग से किया गया था। स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए सैद्धांतिक सहमति दे दी है। ट्रॉमा सेंटर को हस्तांतरण करने के लिए आईजीआईएमएस पटना एक्ट में संशोधन किया जाना है। इसके लिए जल्द से जल्द संस्थान को प्रोजेक्ट रिपोर्ट उपलब्ध कराना होगा।

दिल्ली एम्स के ट्रांसप्लांट यूनिट के हेड डॉ. वी शिनु समेत आईजीआईएमएस की टीम अभी तक तीन बार ट्रॉमा सेंटर का निरीक्षण कर चुकी है। टीम ने यह निर्णय लिया था कि मौजूदा ट्रॉमा सेंटर को तत्काल शुरू किया जा सकता है। अगर सरकार अनुमति दे देती तो इसे दीपावली से पहले शुरू किया जा सकता है। ऐसे में बिहार सरकार ने भी अनुमति दे दी है। उम्मीद है कि बिक्रम स्थित मौजूदा ट्रॉमा सेंटर को अद्यतन कर जल्द ही इसे शुरू किया जा सकता है।

चूंकि पहले से ट्रॉमा सेंटर बना हुआ है। तत्काल शुरू करने के लिए जिन संसाधानों की जरूरत पड़ेगी उसे पूरा कर शुरू किया जा सकता है। इसके लिए आईजीआईएमएस ने दो प्रस्ताव तैयार किया है। पहला प्रस्ताव तत्काल शुरू करने के लिए था। जिसमें छह बेड का आईसीयू और 50 सपोर्टिव बेड होंगे। इसमें करीब 25 करोड़ रुपये की लागत आएगी। वहीं दूसरे प्रस्ताव के तहत नए लुक में 200 बेड का सुपर स्पेशियलिटी ट्रॉमा सह हॉस्पिटल होगा। इसे तैयार करने में करीब 100 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

तत्काल शुरू करने के लिए है जरूरी

एक्सरे मशीन, सिटी स्कैन, पैथोलॉजी, ब्लड बैंक, अल्ट्रासाउंड, न्यूरो सर्जन और ऑर्थोपेडिक सर्जन की जरूरत पड़ेगी। मौजूदा सेंटर को मरम्मत कर एसी लगानी पड़ेगी। तीन ओटी बनानी पड़ेगी। जिसमें दो न्यूरो और ऑर्थो के लिए होगा और एक सामान्य ओटी की जरूरत पड़ेगी। साथ ही डॉक्टर समेत अन्य मेडिकल स्टाफ की जरूरत पड़ेगी। इन सब के लिए आईजीआईएमएस का नियंत्रण होगा। कम से कम छह महीने का समय लगेगा। यह ट्रॉमा सेंटर टाईप-2 तरह का होगा।

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