ज़रूरी है बिहारी कला के इंद्रधनुष की किरणें अन्य राज्यों में भी छटा बिखेरे: राज्यपाल
राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि बिहार की कला एवं संस्कृति को अन्य राज्यों में फैलाने की आवश्यकता है। प्रेमचंद रंगशाला में आयोजित ‘इंद्रधनुष कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि बिहार की सांस्कृतिक...
- राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि ‘बिहारी कला एवं संस्कृति को अन्य राज्यों में फैलाने की आवश्यकता है। - मथुरा, हरियाणा से पहली बार आए हैं कलाकार
पटना, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि।
बिहार कला एवं संस्कृति में बहुत धनी है और आवश्यकता है इसके इंद्रधनुष की किरणें अन्य राज्यों में भी फैलाने की। ये बातें शुक्रवार की शाम प्रेमचंद रंगशाला में आयोजित ‘इंद्रधनुष कार्यक्रम में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कही। बिहार की कला एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बारे में अन्य राज्यों में जाानकारी बहुत कम है , और हम इसकी जानकारी कार्यक्रमों के जरिए ही दे सकते हैं। इससे हम बिहार के प्रति गलत भ्रांति को कम कर सकते हैं।
मौक़ा था पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज तथा कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम “इंद्रधनुष “के पहले दिन का जहां बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर मौजूद थे। राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने दीप प्रज्जवलित कर महोत्सव का औपचारिक उद्घाटन किया। इसके बाद पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के सहायक निदेशक डॉ० तापस सामंतराय ने स्वागत भाषण दिया, जिसके उपरांत रचना पाटिल, भा० प्र० से०, निदेशक, संग्रहालय, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग तथा सीमा त्रिपाठी, भा० प्र० से०, विशेष सचिव, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग ने अपना वक्तव्य दिया। इसके बाद बिहार के माननीय राज्यपाल का भाषण हुआ एवं कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की निदेशक रूबी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
इसके बाद कार्यक्रम की शुरूआत हुई जिसमें पहली प्रस्तुति बिहार की थी। इसमें नृत्य नाटिका यामिनी द्वारा लिखी गई उन्हीं के निर्देशन में नृत्य नाटक ‘एक रिश्ता के कलाकारों ने दी । कलाकारों ने जन्म से लेकर मृत्यु तक के सफ़र में मां गंगा के साक्षात रूप की उपस्थिति को अपने नाटक के ज़रिए बखूबी दर्शाया। इसमें हिंदु धर्म के मुंडन, विवाह, छठ पूजा एवं अंतिम संस्कार जैसे सारे संस्कारों की प्रस्तुति दी। इसके बाद बिहार के कलाकारों ने बिहार गौरव गान की प्रस्तुति की। इसके बाद असम के राजीव कलिता के दल द्वारा बिहू नृत्य प्रस्तुत किया गया, जिसमे देबजीत दास, राज नाथ, अनूप मजुमदार, सहित अन्य ने भाग लिया। कार्यक्रम में बिहार के अलावा हरियाणा, राजस्थान, उड़ीसा, असम, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश से कलाकार आए हैं। इसमें नाच, गान, कवि सम्मेलन, कव्वाली, हस्तशिल्प मेला, खान- पान मेला, पारंपरिक पहनावा प्रदर्शन, चित्रकला कार्यशाला, एवं रंगोली प्रदर्शन आदि कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय संस्कृति को विश्व स्तर पर पहचान दिलाना है तथा पूर्व क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के इस सिग्नेचर फेस्टिवल में भारत के लगभग 400 लोक आदिवासी कलाकार और 10 छोटी हस्तशिल्प दुकानों में 40 शिल्पकार भाग ले रहे हैं। अंत में बिहार की कव्वाली प्रस्तुति के बाद आज के कार्यक्रम का समापन हुआ।
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मथुरा की रहने वाली नेहा ने बताया कि वो पहली बार पटना आई हैं और यहां आकर उन्हें काफी अच्छा लग रहा है। पंद्रह लोगों के इनके ग्रुप ने अपने नृत्य से कृष्ण लीला एवं रास प्रस्तुत करने वाले हैं। इसमें चंदु कृष्ण बने हैं और खुशबु राधा बनी हैं।
हरियाणा की निधि ने बताया कि पहली बार पटना की धरती पर आकर अपने लोक नृत्य फाग की प्रस्तुति कर बहुत अच्छा लग रहा है।
वहीं पश्चिमी उड़ीसा की सुचित्रा दास ने बताया कि वह ‘रासरकेली प्रस्तृत करने वाली है। और इससे पहले भी वो बिहर आ चुकी हैं।
राजस्थान की टीम ढ़ोलक के साथ अपने लोक नृत्य ‘चारी-घूमर बोवाई नृत्य प्रस्तुत करने वाली हैं।
निधी चौरसिया ने बताया कि वो मध्यप्रदेश से आई हैं और अपने नृत्य ‘बधाईप्रस्तुत करने आई हैं।
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