इंडिया के सामने एकजुटता के प्रदर्शन की चुनौती होगी
बिहार के आम चुनाव में एनडीए 225 सीटें जीतने का लक्ष्य रख रहा है, जबकि महागठबंधन के सामने कई चुनौतियाँ हैं। हाल के उपचुनाव में महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है, जिससे उनके एकजुटता में दरार आ गई है। राजद...
बिहार के आम चुनाव में अगले साल क्या होगा? एनडीए 225 पार का लक्ष्य हासिल करेगा या महागठबंधन 2020 का अपना प्रदर्शन दोहरा पाएगा? इन सवालों पर कयासों का दौर जारी है। लेकिन, हाल के सियासी घटनाक्रम ने महागठबंधन की चुनौतियां बढ़ा दी हैं। नवंबर, 2024 में जो उपचुनाव हुए हैं, उसे सेमीफाइनल कहा जा रहा था। उसमें बिहार के इंडिया ब्लॉक को बड़ा झकटा लगा था। उसकी बड़ी चुनौती नये साल में विधानसभा का आम चुनाव है। अभी जब उपचुनाव से सीख लेकर एकजुटता के साथ तैयारी करने का वक्त था, तब इस गठबंधन में बिखराव नजर आने लगा है। राजद और कांग्रेस की अटूट दोस्ती में दरार दिखने लगा है। खासकर राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी गठबंधन के नेतृत्व पर। ऐसे में आम चुनाव इसके लिए अग्नीपरीक्षा होगी। दूसरी तरफ एनडीए अपनी एकजुटता का प्रदर्शन करने में कोई मौका नहीं चूक रहा है। लगातार प्रदेश अध्यक्षों की बैठक रहो रही है। नीतीश कुमार पांचों दलों के प्रखंड स्तर से राज्य तक के संगठन प्रमुखों से सीधी बात कर चुके हैं। 15 जनवरी से इनका साझा जिला कार्यकर्ता सम्मेलन शुरू हो रहा है।
नवंबर चार सीटों के उपचुनाव हुए। इनमें तीन सीटों पर इंडिया गठबंधन का कब्जा था। राजद के पास दो और एक माले के पास थी। इंडिया गठबंधन को भारी झटका लगा और उसकी तीन सीटें निकलकर एनडीए की झोली में चली गयी। जीत का अंतर भी बड़ा रहा।
2020 में हुए विधानसभा के आम चुनाव में महागठबंधन ने एनडीए के सामने बड़ी चुनौती पेश की थी। उस समय वीआईपी इसके साथ नहीं थी और लोजपा एनडीए से अलग चुनाव लड़ रही थी। उस चुनाव में परिणाम भी करीब का रहा। बहुमत एनडीए को मिला पर दोनों गठबंधनों में सीटों का अंतर कम था। एनडीए 125 तो महागठबंधन ने 110 सीटें जीती थीं। इस बार एनडीए पहले से ज्यादा सशक्त है। चिराग की लोजपा रामविलास पार्टी एनडीए में मजबूती से है। एनडीए ने एक बड़ा लक्ष्य 225 पार का रखा है। इसे हासिल करने की सधी हुई रणनीति पर वह काम कर रहा है। यह भी तय हो चुका है कि नीतीश कुमार के चेहरे पर ही अगला चुनाव लड़ा जाएगा।
दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन में राष्ट्रीय कप्तान के सवाल पर राजद और कांग्रेस की दूरी बढ़ी है। राजद ने ममता बनर्जी को इसका संयोजक बनाने की वकालत कर डाली। इससे साफ हो गया कि दोनों दलों के दो दशक पुराने रिश्ते में दरार पड़ चुकी है। कांग्रेस ने राजद के तर्क पर सशक्त जवाब भी दिया है। इसके बाद से बिहार में दोनों दलों में संवादहीनता की स्थिति है। इंडिया ब्लॉक की कोई साझा बैठक पिछले कई महीनों से नहीं हुई है। इस गठबंधन की सभी पार्टियां अपने-अपने हिसाब से कार्यक्रम चला रही हैं। तेजस्वी यादव पार्टी कार्यकर्ताओं से संवाद करने की यात्रा पर निकले हुए हैं। इस यात्रा में गठबंधन के अन्य दलों के नेताओं से उनकी मुलाकात नहीं हो रही है। इस संवादहीनता का बड़ा असर अगले चुनाव के दौरान एकजुटता पर पड़ सकता है।
इस बीच बिहार के चुनाव में वैकल्पिक राजनीति का नारा देकर उतरी जनसुराज के सुप्रीमो प्रशांत किशोर एड़ी चोटी की मेहनत कर रहे हैं। दावे भी उनके बड़े-बड़े हैं। लेकिन, विधानसभा की चार और विधान परिषद की एक सीट पर हुए उपचुनाव में उनकी पार्टी को कोई सफलता नहीं मिली। हालांकि, पहली बार चुनाव में उतरी इस पार्टी को विधानसभा की चारों सीटों पर दस प्रतिशत वोट मिले। वहीं, विधान परिषद के उपचुनाव में यह दूसरे नंबर पर रही। माना जा रहा है कि विधानसभा उपचुनाव में इसने इंडिया गठबंधन और विधान परिषद उपचुनाव में एनडीए को नुकसान पहुंचाया। लेकिन, इस अवधारणा से जनसुराज को बड़ी ताकत नहीं मिलेगी। सिर्फ वोट का एक हिस्सा अपनी झोली में डालकर नतीजों को प्रभावित करने की ताकत से सियासत में बड़ी लकीर खींचना संभव नहीं होता है। इसे अपने संगठन को विस्तार देना होगा और अभी से विधानसभा चुनाव की रणनीति बनानी होगी। तभी, कोई फलाफल सामने आ पाएगा।
बहरहाल, एकजुट एनडीए को मजबूत चुनौती इंडिया ब्लॉक तभी दे पाएगा, जब वह समानांतर एकजुटा प्रदर्शित करे सकेगा। बिखरी हुई ताकत और मतभेद का लाभ एनीडए को मिलेगा। अब देखना है कि बिखराव और मतभेद को दूर करने की पहल इंडिया ब्लाॉक में कौन करता है। यह होगा भी या नहीं हो पाएगा। यह सवाल भी उठता है कि अगर राजद और कांग्रेस में दूरी बनी रही तो वामदलों की रणनीति क्या रहेगी? वीआईपी कितनी मजबूती से इनके साथ खड़ा रहेगी। इन सवालों का जवाब आने वाला वक्त देगा। लेकिन, अभी के हालात यही बताते हैं कि अगले चुनाव में इंडिया गठबंधन को बड़ी चुनौती से साबका पड़ने वाला है।
लोकसभा चुनाव में भी विधानसभा चुनाव में मिली सीटों के अनुपात में इंडिया को कम सीटें हासिल हुई हैं। उसे नौ सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। पप्पू यादव निर्दलीय जीते। अभी उनके लिए इंडिया गठबंधन में जगह बन पायी है या नहीं, यह तय नहीं हो पाया है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।