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जिन अफसरों पर लगा जुर्माना वे चले गए, अब वेतन से होगी वसूली

जो अधिकारी बिना जुर्माना दिए चले गए हैं, उनके वेतन से वसूली की जाएगी। लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम के तहत पांच अधिकारियों पर आठ साल पहले जुर्माना लगाया गया था, लेकिन उन्होंने राशि जमा नहीं की। अब डीएम...

Newswrap हिन्दुस्तान, पटनाFri, 25 April 2025 07:07 PM
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जिन अफसरों पर लगा जुर्माना वे चले गए, अब वेतन से होगी वसूली

जो अफसर बिना जुर्माना दिये चले गये उनके वेतन से वसूली की जाएगी। लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम के तहत सही तरीके से काम नहीं करने वाले जिले के पांच अधिकारियों आठ साल पहले जुर्माना लगाया गया था। कार्यकाल में वे जुर्माना की राशि राज्यकोष में जमा नहीं की और जिले से स्थानांतरित होकर दूसरी जगह चले गए। समीक्षा हुई तो यह मामला प्रकाश में आया। अब इन अधिकारियों को वहां पत्र भेजा जा रहा है, जहां ये पदस्थापित हैं। डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने प्रभारी पदाधिकारी लोक शिकायत निवारण से कहा है कि ऐसे अधिकारियों के वेतन से राशि की वसूली करें। नौ फरवरी 2015 को पंडारक के तत्कालीन सीओ विपिन बिहारी सिंह पर भू-स्वामित्व प्रमाण पत्र समय पर नहीं बनाने के आरोप में 1063 रुपये का जुर्माना लगाया गया था। यह कार्रवाई बाढ़ अनुमंडल के तत्कालीन डीसीएलआर की अनुशंसा पर की गई थी। 21 मई 2018 को धनरुआ के सीओ कुमारी अनुकंपा पर समय पर दाखिल खारिज नहीं करने के आरोप में 2500 रुपये का जुर्माना लगाया गया था। सीओ पर लापरवाही बरतने का आरोप मसौढ़ी के तत्कालीन डीसीएलआर की अनुशंसा पर की गई थी। 31 जुलाई 2015 को चरित्र प्रमाण पत्र समय पर नहीं बनाने के आरोप में बाढ़ थाना के दारोगा संतलाल यादव पर 750 रुपये जुर्माना लगाया गया था। इसी प्रकार राजीवनगर थाने में तैनात दारोगा श्याम नारायण सिंह पर 13 नवंबर 2016 को 500 रुपये का जुर्माना लगाया गया था। गर्दनीबाग थाने के निरीक्षक सिरदेंदु शरत पर तीन जुलाई 2017, और 11 सितंबर 2017 को क्रमश: 1500 रुपये, 250 रुपये और 1750 रुपये का जुर्माना लगाया गया, लेकिन ये सभी अधिकारियों ने जुर्माने की राशि को जमा नहीं किया। इन पांच अधिकारियों से 8313 रुपये जुर्माना की राशि बकाया है। गत सोमवार को डीएम ने लोक सेवाओं के अधिकार अधिनियम के तहत क्या कार्रवाई हुई है इसकी समीक्षा की गई थी तो यह बात सामने आई थी। बता दें कि पिछले तीन साल में पटना जिले के 100 से अधिक अधिकारियों पर लापरवाही के आरोप में जुर्माना किया गया है, इसमें सबसे अधिक अंचलाधिकारी शामिल है। इसमें अतिक्रमण और दाखिल खारिज के मामले समय पर नहीं करने का आरोप था।

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