ओबीसी सर्टिफिकेट विवाद में फंसे पटना एम्स के डायरेक्टर, गोरखपुर AIIMS का अतिरिक्त प्रभार छिना
बेटे के ओबीसी सर्टिफिकेट विवाद के चलते पटना एम्स के निदेशक डॉ. गोपाल कृष्ण पाल से गोरखपुर एम्स का अतिरिक्त प्रभार छिन गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भोपाल एम्स के निदेशक डॉ, अजय सिंह को गोरखपुर AIIMS का अतिरिक्त चार्ज दिया है।
बेटे के ओबीसी सर्टिफिकेट विवाद में पटना एम्स के डायरेक्टर डॉ गोपाल कृष्ण पाल से गोरखपुर एम्स का अतिरिक्त प्रभार छीन लिया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के कार्यालय से जारी हुए आदेश के मुताबिक अब भोपाल एम्स के निदेशक डॉ अजय सिंह को गोरखपुर AIIMS का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। आपको बता दें 24 सितंबर को हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के बाद, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने गैर-क्रीमी लेयर ओबीसी प्रमाणपत्र जारी करने में अनियमितताओं की शिकायतों की जांच के लिए उसी दिन तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। और एक हफ्ते के भीतर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है।
बिहार सरकार ने 10 सितंबर को डॉ. पाल के बेटे को ओबीसी-एनसीएल प्रमाणपत्र जारी करने के मामले में भी जांच शुरू की थी। अधिकारियों ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा स्वतंत्र रूप से की गई दोनों जांचें जारी हैं। डॉ. पाल के बेटे ऑरो प्रकाश पाल के ओबीसी प्रमाण पत्र में खामियों की जांच के लिए पटना के डीएम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। डॉ. ऑरोप्रकाश पाल को पटना से दो ओबीसी (NCL) प्रमाणपत्र जारी किए गए। पहला 13 जनवरी को फुलवारीशरीफ ब्लॉक के राजस्व अधिकारी और दूसरा 27 अप्रैल को दानापुर के राजस्व अधिकारी ने जारी किया था। एचटी के पास उनके दोनों ओबीसी (NCL) प्रमाणपत्रों की प्रतियां हैं।
आपको बता दें पटना से जारी ओबीसी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर डॉ. ऑरोप्रकाश को 30 अगस्त को गोरखपुर एम्स में माइक्रोबायोलॉजी में तीन वर्षीय स्नातकोत्तर एमडी (डॉक्टर ऑफ मेडिसिन) पाठ्यक्रम में ओबीसी कैटेगरी के तहत प्रवेश मिला। जबकि से उनके पिता डॉ. पाल नॉन क्रीमी लेयर में नहीं आते हैं। सोशल मीडिया पर ओबीसी (नॉन क्रीमी लेयर) प्रमाणपत्र के आधार पर उनकी नियुक्ति की खबर आने के बाद, डॉ. ऑरो प्रकाश पाल ने 3 सितंबर को एमडी पाठ्यक्रम से इस्तीफा दे दिया। डॉ. पाल ने कहा कि उनके बेटे ने 3 लाख रुपये का जुर्माना भरने के बाद इस्तीफा दे दिया और गोरखपुर एम्स छोड़ दिया है। क्योंकि उसे सब्जेक्ट पसंद नहीं आया। 10 नवंबर को अगले INI-CET(राष्ट्रीय महत्व संस्थान-कॉमन एंट्रेंस टेस्ट) की तैयारी करने का फैसला किया है।
पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) के निदेशक डॉ बिंदी कुमार के बेटे डॉ कुमार हर्षित राज ने गुरुवार शाम एम्स पटना में फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी (एफएमटी) विभाग में ट्यूटर के पद से इस्तीफा दे दिया। यह वरिष्ठ चिकित्सा संकाय सदस्यों के बच्चों के बीच दूसरा इस्तीफा था, जो पटना में प्राधिकारी पदों पर थे और जिनके पास ओबीसी-एनसीएल प्रमाण पत्र थे। पटना एम्स के निदेशक डॉ. पाल ने कहा, डॉ. राज ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए कल शाम इस्तीफा दे दिया। मैंने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और उन्हें कार्यमुक्त कर दिया है।
100 में से 55 अंक हासिल करने के बाद एफएमटी में चयनित चार ट्यूटर्स में तीसरे सबसे कम अंक प्राप्त करने के बाद, डॉ. राज ने एक वर्ष के लिए अस्थायी आधार पर ट्यूटर पद के लिए ओबीसी-एनसीएल श्रेणी के तहत आवेदन किया था। हालांकि, धर्म परिवर्तन के बाद उन्हें अनारक्षित श्रेणी (यूआर) में नियुक्त किया गया था चयन समिति के निर्णय से यूआर वर्ग को ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) की सीट पर नियुक्ति मिली। डॉ. पाल ने कहा, 30 मई, 2023 को साक्षात्कार के लिए चुने गए उम्मीदवारों में कोई ईडब्ल्यूएस आवेदक नहीं था। इसलिए, चयन समिति ने सर्वसम्मति से ईडब्ल्यूएस सीट को यूआर श्रेणी में बदलने का फैसला किया था। इस मामले पर डॉ. राज के पिता और आईजीआईएमएस के निदेशक डॉ. बिंदी कुमार कोई प्रतिक्रिया अभी तक सामने नहीं आई है।
पटना एम्स के निदेशक डॉ पाल की बेटी अरोपप्रज्ञा पाल, जो एम्स पटना में एफएमटी में सीनियर रेजिडेंट के रूप में तीन साल से कार्यरत हैं। उन्होने भी पिछले साल ओबीसी-एनसीएल श्रेणी के तहत आवेदन किया था। हालांकि, उन्हें यूआर श्रेणी में चुना गया, क्योंकि उन्होने 100 में 89 अंक हासिल किए थे। जिसमें एक लिखित परीक्षा शामिल थी, जिसमें 80 में से 74 अंक हासिल किए, और 20 अंकों का साक्षात्कार लिया, जिसमें उसे 15 अंक मिले। एम्स पटना के चिकित्सा अधीक्षक द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, वो एसआर के रूप में चुने गए शीर्ष चार उम्मीदवारों में टॉप पर रहीं।
आपको बता दें कार्मिक और पेंशन मंत्रालय के मुताबिक केंद्रीय और राज्य सेवाओं (सीधी भर्ती) के समूह ए/क्लास-1 अधिकारियों के बेटे और बेटियां क्रीमी लेयर के दायरे में आते हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश में ओबीसी के लिए 27% आरक्षण के लाभ के हकदार नहीं हैं।