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Hindi Newsबिहार न्यूज़NIRF ranking of Bihar institutions improved Patna IIT got 34th and NIT got 55th position

बिहार के शिक्षण संस्थानों की NIRF रैंकिंग सुधरी, आईआईटी समेत किस कॉलेज को कौनसा स्थान मिला

ओवरऑल देखा जाए तो बिहार के विभिन्न शिक्षण संस्थानों की एनआईआरएफ रैंकिंग में पिछले साल के मुकाबले सुधार आया है। कभी टॉप टेन में रहा आईआईटी पटना को इस साल 34वां स्थान मिला है।

Jayesh Jetawat हिन्दुस्तान, पटनाTue, 13 Aug 2024 05:56 AM
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केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों की बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ 2024) की घोषणा की। इस सूची में बिहार के संस्थानों के कोटिवार स्थान में सुधार आया है। इंजीनियरिंग में आईआईटी पटना को 34वां स्थान मिला है। पिछली बार इसका 41वां स्थान था। वहीं, एनआईटी पटना को इस बार 55वां स्थान मिला है, पिछले साल 56वें स्थान पर था।

मैनेजमेंट कोटि में आईआईएम, बोधगया को 33वां स्थान और लॉ कोटि में चाणक्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को 31वां स्थान प्राप्त हुआ है। एम्स पटना को मेडिकल कोटि में 26वां स्थान तो ओवरऑल रैंकिंग में एम्स पटना को 99वां स्थान है। पिछली बार ओवरऑल कैटेगरी में 106वां स्थान मिला था। आईआईटी पटना का 73वां स्थान है। पिछली बार 66वां स्थान था। एग्रीकल्चर एंड एलाइड सेक्टर कोटि में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी पूसा को 29वां स्थान प्राप्त हुआ है।

इस बार कुल 16 कोटि में संस्थानों की एनआईआरएफ रैंकिंग जारी की गई है। इंफ्रास्ट्रक्चर, फैकल्टी, रिसर्च, प्रकाशन, परफॉरमेंस आदि विभिन्न मानदंडों के आधार पर भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों का मूल्यांकन और रैंकिंग की जाती है। इस साल भी रैंकिंग में आईआईटी का इंजीनियरिंग श्रेणी में दबदबा कायम है। आईआईटी दिल्ली और आईआईटी मुंबई ने श्रेणी में क्रमश दूसरा और तीसरा स्थान बरकरार रखा। मेडिकल कॉलेजों की श्रेणी में एम्स दिल्ली अव्वल रहा।

कभी टॉप 10 में रहा था आईआईटी पटना

इंजीनियरिंग कॉलेजों की एनआईआरएफ की रैंकिंग में आईआईटी पटना की साल दर साल फिसलन जारी है। इस बार रैंकिंग में सात स्थान का सुधार हुआ है, लेकिन कभी टॉप टेन में शामिल रहने वाला संस्थान टॉप 20 में जगह नहीं बना पाया है। राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा में गिरे ग्राफ से इसकी साख पर इस रैंकिंग से भारी असर पड़ सकता है। खुद का रिकॉर्ड ही एक बड़ी चुनौती है, जो वर्ष 2016 में हासिल किया गया था। 2016 में इंजीनियरिंग कोटि में 10वें स्थान पर था। लेकिन, आठ साल बाद की स्थिति यह है कि 34वां स्थान है।

पिछले आठ साल की रैंकिंग पर गौर करें तो अबतक 31 पायदान की गिरावट आई है। 2022 में यह 33वें स्थान पर पहुंच गया। विशेषज्ञ बताते हैं कि रैंकिंग में गिरावट से राष्ट्रीय फलक पर इसका असर तो दिखेगा ही साथ ही छात्रों के द्वारा नामांकन के लिए कैंपस चयन को लेकर अरुचि बढ़ेगी।

यह संस्थान वर्ष 2017 में नौ स्थान नीचे फिसलकर 19वें स्थान पर पहुंचा था। वर्ष 2018 में यह पांच स्थान और नीचे फिसलकर 24वें स्थान पर पहुंचा। 2019 में दो स्थान ऊपर चढ़कर यह 22वें स्थान पर पहुंचा, लेकिन 2020 में चार स्थान की गिरावट के साथ 26वें पायदान पर पहुंच गया। बीच में कुछ सुधार के साथ वर्ष 2021 में इंजीनियरिंग कोटि में 21वें स्थान पर पहुंच गया। लेकिन 2022 में फिर 33वें स्थान पर आ गया। वर्ष 2023 में जारी रैंकिंग में इसकी स्थिति और दयनीय रही और यह पिछले साल की अपेक्षा आठ स्थान नीचे खिसककर 41वें स्थान पर पहुंच गया है। लेकिन इस बार संस्थान इंजीनियरिंग कोटि में 34वें नंबर पर पहुंचा है।

क्या फर्क पड़ता है रैंकिंग का

एनआईआरएफ पांच मानकों पर रैंकिंग करता है। वह संस्थान के पिछले तीन साल के आंकड़ें एकत्रित करता है। इसके अनुसार राष्ट्रीय रैंकिंग निर्धारित करता है। चूंकि हर साल इसकी रैंकिंग जारी होती है। इससे देशभर के संस्थान इस प्रक्रिया में अपनी रुचि और सुविधा से भाग लेते हैं।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे छात्र इन कॉलेजों में दाखिले के लिए कॉलेजों को मिले अंकों को आधार बनाते हैं और फिर कैंपस में दाखिले के लिए अपना मन बनाते हैं।

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