साइबर फ्रॉड का नया पैंतरा, घोस्ट ग्रुप में जोड़कर ठग रहे, रॉयलिटी इनकम का दे रहे लालच
- शातिर इसको लेकर लिंक भी भेजते हैं। जिनपर क्लिक करते ही मोबाइल या कंप्यूटर का पूरा एक्सेस साइबर अपराधियों के पास चला जाता है। इसके बाद वे नेट बैंकिंग और यूपीआई के सेटअप को रिसेट कर देते हैं। एक्सेस मिलने के कारण ओटीपी भी इन्हें आसानी से प्राप्त हो जाता है।
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बिहार में साइबर फ्रॉड नए नए पैंतरे आजमा रहे हैं साइबर अपराधियों ने अब लोगों को टेलीग्राम के घोस्ट ग्रुप में जोड़कर शिकार बनाना शुरू कर दिया है। शुरू में ये शातिर कुछ रॉयलिटी आमद का प्रलोभन देते हैं। इसके बाद खाते का विवरण लेकर कुछ पैसे भी भेज देते हैं। एक बार खाते का विवरण मिलने के बाद पैसे गायब करने का खेल शुरू हो जाता है।
यही नहीं, ये शातिर इसको लेकर लिंक भी भेजते हैं। जिनपर क्लिक करते ही मोबाइल या कंप्यूटर का पूरा एक्सेस साइबर अपराधियों के पास चला जाता है। इसके बाद वे नेट बैंकिंग और यूपीआई के सेटअप को रिसेट कर देते हैं। एक्सेस मिलने के कारण ओटीपी भी इन्हें आसानी से प्राप्त हो जाता है। इसके बाद ये पैसे की निकासी कर उस नंबर को ब्लॉक या ब्लैकलिस्टेड कर देते हैं, ताकि उसकी मदद से उन्हें ट्रेस नहीं किया जा सके।
बीते दिनों साइबर क्राइम पोर्टल पर लगातार घोस्ट ग्रुप में जोड़े जाने और इसके बाद फ्रॉड की घटनाओं की शिकायत मिली है। दामुचक निवासी रिटायर शिक्षक जितेंद्र कुमार के मोबाइल पर नोटिफिकेशन आया कि उनके नंबर को एक अनजान ग्रुप में जोड़ दिया गया है। उस ग्रुप में पहले से 13 सौ से अधिक सदस्य जुड़े हुए थे। उनके जुड़ते ही ग्रुप में लगातार पैसे प्राप्त होने का स्क्रीनशॉट आने लगा। इसके बाद एक ठग ने मैसेज किया कि यदि वे भी निवेश करेंगे तो रकम एक दिन में ही दोगुनी हो जाएगी।
शुरू में उन्हें एक हजार रुपये निवेश करने का लालच दिया और कुछ देर बाद ही दो हजार रुपये खाते में लौटा दिए। इसी लालच में फंसकर उन्होंने 55 हजार रुपये निवेश किया। इसके बाद उनके नंबर को ब्लॉक कर दिया। उन्होंने साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत की है। इस प्रकार के आधा दर्जन से अधिक मामले फरवरी में आए हैं। एलएस कॉलेज में पढ़ने वाले एक छात्र और उनके परिवार के चार सदस्यों को भी ग्रुप में जोड़कर ठगी की गयी।