VTR से सटे मानपुर में नेपाली हाथी का आतंक; कई घर किए ध्वस्त, ग्रामीणों ने छिपकर बचाई जान
वाल्मीकिनगर टाइगर प्रोजेक्ट जंगल से सटे मानपुर क्षेत्र में बीते पांच दिनों से हाथी उत्पात मचा रहा है। शनिवार को कई घरों को तबाह कर दिया, ग्रामीणों ने छिपकर जान बचाई। बताया जा रहा है कि हाथी गुड़ की खुशबू से आकर्षित होकर गांव पहुंच रहा है।
पश्चिमी चंपारण में वाल्मीकिनगर टाइगर प्रोजेक्ट जंगल से सटे मानपुर व भंगहा थाना क्षेत्र में बीते पांच दिनों से हाथी उत्पात मचा रहा है। नेपाल से भटककर वीटीआर के मंगुराहा वनक्षेत्र के जंगल में एक हाथी पहुंच गया है। शुक्रवार की रात चक्रसन गांव में घुसकर हाथी ने उत्पात मचाया। गांव के हरकिशुन उरांव और हारुन देवान के घर को हाथी ने ध्वस्त कर दिया। हाथी के चिंघाड़ने और घर ध्वस्त होने की आवाज पर हरकिशुन उरांव जगे। किसी तरह अपने नवजात पोते समेत परिवार के लोगों को लेकर गांव से भागे। ग्रामीण हरकिशुन उरांव, दिलीप उरांव, इम्तियाज शेख, इस्लाम शेख, भुलाई यादव, आकाश उरांव, धनराज महतो, असगर गदी, एनुल शेख, नेयाज शेख, हदीस गद्दी, प्रमोद साह, विंध्याचल पासवान, छन्नू उराव, दुखा उरांव, विकास उरांव, राजेश उरांव आदि ने बताया कि हाथी लौकर गांव से होते हुये शुक्रवार की रात को चक्रसन गांव में घुस गया। यहां पहुंचते चिंघारते हुए उत्पात मचाने लगा। जो भी सामने पड़ा उसे हाथी ने तबाह कर दिया।
इस दौरान हारुन देवान व हरकिशुर उरांव के घर को भी ध्वस्त कर दिया। यदि दोनों घरों के लोग समय पर नहीं जगे होते तो जान-माल की भारी क्षति हो सकती थी। इधर, सूचना पर वनविभाग के कमी रात में ही घटनास्थल पहुंचे और घटना की जांच की। वीटीआर के डायरेक्टर नेशामणि के ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि हाथी की निगरानी में 30 कर्मियों की टीम कर रही थी। हाथी कक्ष संख्या-72 के जंगल में पहुंच गया है। हाथी से हुई क्षति का मुआवजा पीड़ितों को दिलाया जाएगा। वन विभाग की सक्रियता से हाथी ने किसी बड़ी क्षति को अंजाम नहीं दिया है। उसपर नजर रखी जा रही थी।
नेपाली हाथियों ने वीटीआर से की वापसी
वीटीआर के वनक्षेत्र में नियमित अंतराल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले नेपाल से आए मेहमान हाथियों के झुंड का वापस अपने वतन नेपाल की सीमा में प्रवेश करने की सूचना है। हाथी के वापस नेपाल चले जाने की खबर से वनकर्मियो ने राहत की सांस ली है। नेपाली हाथियों का झुंड वाल्मीकिनगर वन क्षेत्र और गोनोली वन क्षेत्र में चहलकदमी कर रहा था। जिससे दोनों वन क्षेत्र के अधिकारियों और कर्मियों की नींद उड़ गई थी । कारण की स्वभाव से आक्रामक और गुस्सैल होने के कारण यह हाथी नुकसान पहुंचाने से गुरेज नहीं करते हैं। वीटीआर में आए नेपाली हाथी अब वापस नेपाल की तरफ कूच कर गए हैं। पगमार्क के मुताबिक ऐसा वन विभाग का मानना है ।
जानकारो की माने तो नेपाली क्षेत्र में हाथियों के भोजन में कमी होने के चलते हीं हाथी वीटीआर की सीमा में प्राय प्रवेश कर जाते हैं। नेपाल के चितवन नेशनल पार्क( राष्ट्रीय निकुंज) की खुली सीमा वीटीआर से मिली जुली है। समानांतर घना जंगल के साथ ही पानी की उचित व्यवस्था नेपाल के हाथियों को खासी भाती है। यह बिहार का एक मात्र सबसे बड़ा समृद्ध और जैव विविधता वाला क्षेत्र है।वीटीआर जैव विविधता के मामले में काफी समृद्ध माना जाता है। पर्यावरण के दृष्टिकोण से इस जैव विविधता को भारतीय संपदा और अमूल्य पारस्थिति के धरोहर के तौर पर माना जाता है। इस बाबत पूछे जाने पर गोनौली वनक्षेत्र पदाधिकारी राजकुमार पासवान ने बताया कि हाथियों ने वापस नेपाल का रुख कर लिया है।
गुड़ की सुगंध पर इलाकों में पहुंच रहे हाथी
रेंजर सुनील पाठक ने बताया कि हाथी भंगहा और मानपुर थाना क्षेत्र के कई गांवों में घरों को ध्वस्त किया है। यह हाथी हमलावर नहीं है। हाथी भोजन की तलाश में जंगल से निकलकर रिहायशी इलाकों में पहुंच रहा है। गन्ना उसका पसंदीदा भोजन है। इसके साथ अवैध गन्ना क्रसर चलाने और गुड़ बनाने के दौरान उससे निकलने वाली सुगंध से हाथी आकर्षित हो रहे हैं। जिससे बार-बार हाथी इस क्षेत्र में आ रहा है। चक्रसन गांव में भी हाथी क्रसर के पास पहुंचा था। यहां आगजनी कर उसे शिकारबास नदी होते हुए जंगल लौटा दिया गया है। लोगों को रात में जंगल के करीब नहीं जाने की हिदायत दी जा रही है। घरों और फसलों को हुए नुकसान का मुआवजा दिलाने के लिए कार्रवाई की जाएगी।