जिले के कारोबारियों का संकट कभी नहीं बन सका चुनाव का मुद्दा
किराना समेत दैनिक उपभोग वाले सामान सबकी जरूरत हैं। सबसे जरूरी जरूरत हैं। इसके बिना किसी का काम नहीं चल सकता। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि कोई भी विपरीत परिस्थिति हो, किराना दुकानदारों को इस संकट...
किराना समेत दैनिक उपभोग वाले सामान सबकी जरूरत हैं। सबसे जरूरी जरूरत हैं। इसके बिना किसी का काम नहीं चल सकता। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि कोई भी विपरीत परिस्थिति हो, किराना दुकानदारों को इस संकट रूबरू नहीं होना पड़ता होगा। लेकिन शहर के गोला रोड स्थित मंडी के कारोबारी समेत जिला मुख्यालय के तमाम कारोबारियों की व्यथा सुन कर यकीन हो जाएगा कि वह भी अपने नुमाइंदे की अनदेखी का खामियाजा भुगतने को बाध्य हैं।
कारोबारी कहते हैं कि अब पारम्परिक तरीके से कारोबार का जमाना नहीं रहा। अब जमाना काफी आगे जा चुका है। ऐसे में तमाम आधुनिक सुविधाओं का लाभ लेकर कारोबार को ऊंचाई पर ले जाने का वक्त आ गया है। लेकिन ऐसी कोई सुविधा उन सब को उपलब्ध नहीं रहना उनकी तरक्की की राह की बाधा बनी हुई है। आज तक ट्रेडिशनल तरीके से कारोबार में पड़े रहने के लिए सीधे-सीधे कारोबारी अपने क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को दोषी मानते हैं।
कारोबार का उन्नयन कभी नहीं बनता चुनावी मुद्दा
कोरोना काल में परेशान व्यापारियों ने निराश स्वर में कहा कि कारोबार का उन्नयन कभी भी चुनावी मुद्दा नहीं बन सका है। सबसे दु:खद तो यह है कि राजनीति कारोबारी के लिए कभी नहीं सहायक रही लेकिन राजनीति चमकाने के लिए जब भी बाजार बंद करने की बारी आती है तो राजनीतिज्ञों को कारोबार ठप करना सबसे पहले सूझ जाता है। कारोबारियों ने खुल कर कहा कि लॉकडाउन के बाद अब चुनाव का झमेला सामने है। न चाहते हुए भी दोहरी मार खानी पड़ रही है। ऐसे में सभी तरह के कारोबारियों खासकर दैनिक उपयोग की वस्तुओं का कारोबार करने वालों को आचार संहिता में छूट मिलनी चाहिए, ताकि वह आसानी से अपनी व्यापारिक गतिविधियां जारी रख सकें। व्यापारियों का कहना है कि लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन चुनाव में सबसे ज्यादा परेशान हम ही होते हैं। आचार संहिता के चलते निश्चित धनराशि ही लेकर चल सकते हैं। इसमें हमें छूट मिलनी चाहिए। इससे छोटे व्यापारी बिना किसी परेशानी के अपना व्यापार कर सकें क्योंकि उनके पास अब भी इंटरनेट आदि की व्यवस्था नहीं है, जिससे वह नेट बैंकिंग की सुविधा का लाभ ले सकें।
कोई नहीं सुनता कारोबारियों की
जिला मुख्यालय स्थित गोला रोड से लेकर मेन रोड, पुरानी बाजार और शहर की सभी मुख्य मंडी तथा जिले भर के कारोबारियों ने कहा कि कारोबार के उन्नयन के लिए बैंकिंग का सीधा लाभ दिलाना बेहद जरूरी है, जो हो नहीं पा रहा है। बैंक कारोबारी के गुडविल पर सहयोग तो करता है लेकिन उनकी जरूरतों को पूरा करने में हमेशा हिचकता है। बैंक अपने नियमों से बंधा होने के कारण ऐसा करता है तो यह गलत भी नहीं है लेकिन सरकार के नुमाइंदे अगर हमारी बात सरकार तक पहुंचाए और बैंक को अपनी गारंटी पर हमें सहूलियत भरी दरों पर लोन मुहैया कराए तो कारोबार बढ़ने में जरा सी भी बाधा नहीं रहेगी। आखिरकार यह प्रदेश को मजबूती देने वाला कदम ही साबित होगा।
उद्योगों को बढ़ावा देने पर जोर
अनेक कारोबारियों ने कहा कि पारम्परिक कारोबार को नया अंदाज देने के लिए नई सरकार बड़ी-बड़ी इंडस्ट्री के अलावा छोटे-छोटे उद्योगों को भी बढ़ावा दे। हमारी यह मांग जिले के संदर्भ में बहुत पुरानी है। अक्सर जनप्रतिनिधियों तक यह बात उचित माध्यम से पहुंचायी जाती रही है लेकिन सुनी-अनसुनी कर दिए जाने से कुछ भी भला नहीं हो पा रहा है। कारोबार को संजीवनी मिलेगी तो कारोबारी संतुष्ट होंगे और कारोबारी संतुष्ट होंगे क्षेत्र विकास की पटरी पर दौड़ेगा। यह जनप्रतिनिधियों की भी उपलब्धि होगी। जाहिर है इसका फायदा उन्हें आने वाले हर चुनाव में मिलेगा। वह अपनी जीत के लिए हमेशा आश्वस्त रहेंगे।
मंडियों को सुविधायुक्त बनाना है जरूरी
शहर की सभी प्रमुख मंडी खास कर गोला रोड, पुरानी बाजार आदि आज भी पुरातन लुक में ही हैं। मंडियों को सुविधायुक्त बनाने की सोच किसी भी जनप्रतिनिधि में नहीं दिखती है। यूरिनल और सुलभ शौचालय का निर्माण कारोबारियों और बाजार आए ग्राहकों को सुविधा दे सकती है लेकिन इसपर किसी का ध्यान नहीं रहता।
कुछ ठान रखा है कारोबारियों ने
इस बार कारोबारी मतदाताओं में जागरूकता देखने को मिल रही है। व्यापारी मतदाता कहते हैं हमारी जिसे चिंता नहीं, उसकी चिंता हम ही क्यों करें? सीधी बात यह है कि जो हमारी सुनेंगे, उन्हें ही हम चुनेंगे। टैक्स अधिभार आदि कम कराने से लेकर अधिकारियों द्वारा शोषण पर रोक की जरूरत है। जो जनप्रतिनिधि और सरकार व्यापारी हित में सरकार काम करेगी, उसी को वोट किया जाएगा अन्यथा बाजी पलटने में भी देर नहीं होगी।
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