पहला रोजा रख शुरू की खुदा की इबादत
नवादा में शनिवार शाम चांद दिखने के बाद रविवार को मुस्लिमों ने पहला रोजा रखा। रमजान का महीना शुरू हुआ, जिसमें इबादत और कुरान की तिलावत की जा रही है। रोजेदारों ने इफ्तार के बाद रोजा तोड़ा, खजूर खाकर और...

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। शनिवार की शाम को चांद दिखने के बाद रविवार को मुस्लिमों ने पहला रोजा रखा। इस प्रकार पाक मुकद्दस रमजान माह शुरू हो गया और मुस्लिम धर्मावलम्बी इबादत में रम गए। अपना पहला भोजन यानी कि सेहरी रविवार की अहले सुबह 04:54 बजे फजिर की नमाज से पहले कर सभी ने रोजा की शुरुआत की जबकि शाम को मगरिब की अजान होते ही इफ्तार कर सभी ने 05:53 बजे अपना रोजा तोड़ा। मुसलमानों के लिए बेहद पाक और मुकद्दस रमजान के महीने को रमदान भी कहते हैं, जिसमें रोजा रखने, रात में तराबीह की नमाज पढ़ने और कुरान की तिलावत करने में सभी जुट गए हैं। मस्जिदों में शनिवार की शाम से ही तरावीह शुरू हो गया है, जिसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम धर्मावलम्बी जुट रहे हैं। इधर, इफ्तार की तैयारी में दिन भर जुटे रहे मुस्लिम धर्मावलम्बियों में एक अलग ही उत्साह दिखता रहा। रोजा रखने का असली मतलब सिर्फ भूखे-प्यासे रहना नहीं है बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है। नेशनल इस्लामिक फेस्टिवल फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रवक्ता मौलाना अरशद अफजली ने यह बातें कही और बताया कि इसका मतलब है कि न बुरा देखना है, न बुरा सुनना है और न ही बुरा कहना है। इतना ही नहीं, इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि बोली गई बातों से किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचे। ---------------- सभी ने मिल कर किया इफ्तार नवादा। रविवार की शाम को रोजेदारों ने पहले दिन का रोजा इफ्तार के बाद तोड़ा। रिवाज और कायदे से खजूर खाकर रोजा तोड़ा गया जबकि शर्बत पी कर रोजेदारों ने पकौड़ी आदि व्यंजन खाए। सभी ने यथासंभव गरीबों-मिस्किनों के इफ्तार के लिए भी इंतजामात किए। हर घर में रमजान की खुशियां बांटने का प्रयास मुस्लिम धर्मावलम्बियों द्वारा किया गया।
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