बागों में छाया आम का मंजर, किसान गदगद, होगी बंपर पैदावार
नवादा जिले में आम के बागों में इस वर्ष मंजर की छटा शानदार है, जिससे किसान खुश हैं। 450 हेक्टेयर में आम की खेती होती है और औसत उत्पादन 2250 टन है। कृषि मौसम वैज्ञानिक रौशन कुमार ने उन्नत खेती के लिए...
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नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। इस वर्ष आम के बागों में नई शुरुआत हो गयी है। फूलों यानी मंजर की छटा कृषि क्षेत्र की खुशहाली को बयां कर रही है। इस वर्ष बागों में आम के मंजर काफी अच्छे लगे हैं। निश्चित रूप से अभी तक मौसम काफी बेहतर बना हुआ है। आगे के मौसम पर आम की फसल और फलन पर सब कुछ निर्भर रहेगा। लेकिन वर्तमान में जिले भर में आए आम के मंजर से किसान गदगद हैं। नवादा जिले में 450 हेक्टेयर में आम की खेती होती है। 05 टन प्रति हेक्टेयर आम की उत्पादकता नवादा जिले में है। 2250 टन आम का औसत उत्पादन नवादा जिले में होता है। 05 हजार परिवार जिले में आम की खेती से जुड़े हैं। इन परिवारों में इस वर्ष आए मंजर से बेहद खुशी है। सामान्य तथ्य यह है कि आम द्विवार्षिक फल है, जो एक वर्ष बाद कर बेहतर फलन देता है। चूंकि गत वर्ष आम की फसल बेहतर नहीं रही थी इसलिए इस वर्ष आम के बेहतर फलन की बारी है। इस लिहाज से भी इस वर्ष आम उत्पादक किसानों का भला होता नजर आ रहा है। बेहतर उत्पादन की स्थिति में इस वर्ष आम की कीमतें भी नियंत्रित रहने की संभावना है। यानी उम्मीद है कि कम पैसे में अधिक से अधिक आम का स्वाद जिले वासी चख पाएंगे। आम की उन्नत खेती के लिए सही समय पर उचित कृषि प्रबंधन को आवश्यक बताते हुए कृषि मौसम वैज्ञानिक रौशन कुमार कहते हैं कि विशेष रूप से नए बागों की देखभाल और उन पेड़ों के लिए सावधानी बरतनी आवश्यक होती है, जिनमें फूल आने वाले होते हैं। सही पोषण प्रबंधन, सिंचाई और कीट एवं रोग नियंत्रण के उपाय अपनाकर अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने बताया कि नए बागों में प्रारंभिक देखभाल करना अत्यंत आवश्यक होता है ताकि पौधे स्वस्थ रूप से विकसित हो सकें। इसके लिए बाग के चारों ओर की घास-फूस, पुआल या पॉलीथीन की मल्चिंग को हटाकर हल्की जुताई-गुड़ाई करना चाहिए। इससे मिट्टी में वायु संचार अच्छा होगा और पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर होगा। खाद एवं उर्वरक प्रबंधन भी जरूरी कृषि मौसम वैज्ञानिक रौशन कुमार ने कहा कि यदि पौधा एक वर्ष का है, खाद और उर्वरक प्रबंधन भी जरूरी है। 50-55 ग्राम डाई-अमोनियम फॉस्फेट, 85 ग्राम यूरिया, 75 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश, 05 किग्रा अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद को पौधे के चारों ओर (कैनोपी के अनुसार) रिंग बनाकर प्रयोग करना जरूरी है। यह मात्रा प्रति वर्ष के आधार पर गुणा करके दी जानी चाहिए। इसके साथ ही सिंचाई प्रबंधन के तहत हल्की-हल्की सिंचाई करना फायदेमंद रहता है। अधिक पानी देने से जड़ सड़न एवं अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। दीमक नियंत्रण पर रहे विशेष जोर आम की फसलों के लिए दीमक नियंत्रण पर विशेष जोर जरूरी है। यदि बाग में दीमक की समस्या है, तो क्लोरोपाइरीफॉस 20 ईसी 2.5 मिली प्रति लीटर पानी की दर से मुख्य तने और आस-पास की मिट्टी में छिड़काव करना अनिवार्य है। इधर, फूल आने वाले पेड़ों की देखभाल के लिए जरूरी है कि कीट एवं रोग नियंत्रण के तहत हापर एवं अन्य कीटों के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड (17.8 एसएल) 1 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। फफूंदजनित रोगों (चूर्णिल आसिता) से बचाव के लिए हेक्साकोनाजोल 1 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव जरूरी है। यदि मंजर खुलकर नहीं आ रहे हैं, तो घुलनशील सल्फर फफूंदनाशक 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। एक बार फूल खिलने के बाद किसी भी प्रकार के कीटनाशक या फफूंदनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे परागण प्रभावित होता है। फूल से फल बनने की अवस्था में किसी भी प्रकार की सिंचाई नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे फूल झड़ सकते हैं और फल बनने की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। ----------------------- वर्जन : फल लगने के बाद झड़ने से बचाव के लिए प्लानोफिक्स 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव जरूरी है। इससे फलों का झड़ना कम होगा और उनकी गुणवत्ता बेहतर होगी। फल मक्खी एवं अन्य कीट नियंत्रण के लिए मिथाइल यूजीनॉल फेरोमोन ट्रैप 15 ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। फल लगने के बाद बाग की मिट्टी को हमेशा हल्का नम रखना चाहिए। नियमित रूप से हल्की सिंचाई करना चाहिए, लेकिन जलभराव से बचना जरूरी है। -रौशन कुमार, कृषि मौसम वैज्ञानिक, केवीके, सोखोदेवरा, कौआकोल, नवादा।
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