नवादा की कई एपीएचसी पर छायी रही वीरानगी
बिहार सरकार ने बुधवार से सभी अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र खुलने का निर्देश दिया था, लोगों में आस जगी कि कोरोना सहित विभिन्न मरीजों को अब गांव में भी इलाज मिलेगा। कई किलोमीटर दूर जाने की जरूरत नहीं होगी,...
नवादाद। हिटी
बिहार सरकार ने बुधवार से सभी अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र खुलने का निर्देश दिया था, लोगों में आस जगी कि कोरोना सहित विभिन्न मरीजों को अब गांव में भी इलाज मिलेगा। कई किलोमीटर दूर जाने की जरूरत नहीं होगी, लेकिन सरकार के आदेश के पहले दिन ही इसकी धज्जियां उड़ीं। एकाध एपीएचसी को छोड़कर सभी जगहों पर सन्नाटा पसरा रहा। डॉक्टर तो दूर वहां चपरासी तक नजर नहीं आए। हालांकि स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अभी उन्हें इस संदर्भ में कोई आदेश नहीं मिला है।
रोह के मरुई व साथे एपीएचसी 25 दिनों से बंद
रोह। निज प्रतिनिधि
रोह प्रखंड क्षेत्र के मरुई और साथे गांव का अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र करीब पचीस दिनों से बंद है। कोरोना काल में दोनों एपीएचसी के एमबीबीएस डॉक्टर नवादा सदर अस्पताल में प्रतिनियोजित हैं। वहीं मरुई एपीएचसी के आयुष चिकित्सक रोह पीएचसी के कोविड केयर सेंटर में तैनात हैं। दोनों एपीएचसी के बंद रहने से लोग ग्रामीण मेडिकल प्रैक्टिशनर से रोग-बीमारी का इलाज करवा रहे हैं। वहीं गंभीर रूप से बीमार ग्रामीणों को इलाज के लिए नवादा ले जाना पड़ रहा है। कोरोना संक्रमण के बीच सर्दी, खांसी, बुखार से पीड़ित होने का एक जबर्दस्त दौर चला। ऐसी स्थिति में लोगों को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल सका। बीमार लोग ग्रामीण मेडिकल प्रैक्टिशनर के भरोसे अपनी जान बचाने का प्रयास करते नजर आए। खैर किसी प्रकार सर्दी, खांसी, बुखार इत्यादि की समस्या नियंत्रण में आ गई। सरकार ने राज्य के सभी एपीएचसी को खोलने की बात कही है। लेकिन घोषणा के बाद भी बुधवार को रोह की दोनों एपीएचसी में ताले लटके मिले। रोह पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. राजकिशोर प्रसाद ने बताया कि एपीएचसी में सेवा शुरू करने के संबंध में विभागीय आदेश का इंतजार है। फिलहाल मरुई और साथे एपीएचसी के डॉक्टर नवादा में प्रतिनियुक्त हैं। दोनों के वापस लौटने पर मरुई व साथे में स्वास्थ्य सेवाएं बहाल हो जाएंगी।
रजौली में है दो एपीएचसी, दोनों के नहीं हैं भवन
रजौली। एक प्रतिनिधि
रजौली प्रखंड में दो अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, लेकिन दोनों ही अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बहादुरपुर व बसरौन कागज पर चल रहे हैं। दोनों अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का सृजन होने के बाद से आज तक दोनों का कभी भी भवन निर्माण नहीं किया गया है। जिसके कारण दोनों एपीएससी सृजन के बाद से आज तक कागज पर ही संचालित हो रहे हैं। एएनएम, फार्मासिस्ट व चिकित्सक सभी की कागज पर ड्यूटी व कागज पर पेमेंट वाली स्थिति है। इनमें से अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, बहादुरपुर में एक भी स्वास्थ्य कर्मी की पोस्टिंग नहीं रहने के कारण चार-पांच वर्षो पूर्व पंचायत भवन में चलने वाला यह एपीएससी इस समय पूरी तरह से बंद है। वही प्रखंड के सवैयाटांड़ पंचायत स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बसरौन भी कागज पर ही चल रहे हैं। इसका भी अपना कोई भवन नहीं है। हालांकि यहां पर दो एएनएम रिंकू कुमारी व शकुंतला कुमारी पदस्थापित हैं। लेकिन एपीएचसी का भवन नहीं रहने के कारण दोनों ही इस समय प्रतिनियुक्ति पर है। इनमें से एक रिंकू कुमारी एसआईओ, नवादा में प्रतिनियुक्त है तो शकुंतला कुमारी अनुमंडलीय अस्पताल रजौली में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर काम कर रही है। वहीं बसरौन में पदस्थापित एकमात्र चिकित्सक डॉ मुन्ना दुसाद भी अनुमंडलीय अस्पताल में संचालित आइसोलेशन वार्ड में प्रतिनियुक्ति पर कोरोना संक्रमण से ग्रस्त मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
कौआकोल के बरौन एपीएचसी में पसरा रहा सन्नाटा
कौआकोल। एक संवाददाता
कौआकोल के एपीएचसी बरौन में पहले दिन पूरी तरह से विरानगी छायी रही। बुधवार को इस पीएचसी में न तो कोई चिकित्सक पहुंचे और न ही कोई मरीज। दिनभर डॉक्टरों की पहुंचने की आशा लिए मरीज अस्पताल की ओर टकटकी लगाए रहे, पर कोई भी डॉक्टर अस्पताल नहीं पहुंचे। नतीजन सरकार तथा विभाग की घोषणाओं को प्रति लोगों में काफी असंतोष है। गौरतलब है कि सरकार द्वारा राज्य में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कोरोना के मामले बढ़ने पर प्रदेश भर के ग्रामीण क्षेत्रों के सभी एपीएचसी को बंद कर दिया गया था तथा उन स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनात डॉक्टरों को कोविड सेंटरों और डेडिकेटेड सेंटरों पर तैनात किये गये थे। पर स्वास्थ्य विभाग ने फिर से स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ बनाये जाने को लेकर बुधवार से प्रदेश के सभी एपीएचसी में डॉक्टर उपलब्ध रहेंगे, जहां आसानी से लोगों को चिकित्सा सुविधा मुहैया हो सकेगा। पर कौआकोल में ऐसा कुछ नहीं दिखा। और एक भी चिकित्सक अस्पताल नहीं पहुंच सके। जिसको लेकर आम लोगों में भारी निराशा है।
धमौल एपीएचसी से लोगों को नहीं मिला रहा पूरा लाभ
पकरीबरावां। निज संवाददाता
अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र धमौल बुधवार को 1 बजकर 50 मिनट पर बंद पाया गया। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पकरीबरावां के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एम जुबैर ने बताया कि अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र में एक एमबीबीएस डॉक्टर कविता सिंह एवं एक आयुष चिकित्सक रामाकांत निषाद की पोस्टिंग है। डॉ. रामाकांत निषाद की प्रतिनियुक्ति नवादा कोविड जांच सेंटर में की गई है। यहां दो एएनएम की पोस्टिंग है। एक की प्रतिनियुक्ति नवादा कोविड जांच केंद्र में है। बताया गया कि एक डॉक्टर एवं एक एएनएम को यहां केंद्र संचालन की जिम्मेदारी है। धमौल बाजार के कृष्ण राज, संटू सिंह, कमरुलबारी धमौलवी, दिनेश आर्य आदि ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से केंद्र पर टीकाकरण बंद है। लोगों ने कहा कि इस स्वास्थ्य केंद्र से लोगों को पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। स्वास्थ्य केंद्र को नियमित रूप से खोलने एवं सातों दिनों तक 24 घण्टे की स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने की मांग की है। स्वास्थ्य केंद्र में एम्बुलेंस की भी उपलब्धता की मांग की गई है।
मंझवे एपीएचसी में मरीजों का होता रहा इलाज
हिसुआ। निज संवाददाता
हिसुआ प्रखंड में मंझवे स्थित अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र व हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में बुधवार को अन्य दिनों की तरह लोगों के सामान्य बीमारियों का ईलाज हुआ। कोविड से संबधित काम नहीं हुए। वैक्सीन की उपलब्धता नहीं रहने की वजह से वैक्सीनेशन का काम ठप रहा। कोविड जांच आदि का काम नहीं हुए। दो चिकित्सक डॉ अबु सायमा और डॉ रविंद्र कुमार सहित एनएम और स्वास्थ्य कर्मी अस्पताल पहुंचने वाले लोगों का ईलाज करते दिखे। ओपीडी सहित अन्य सेवाएं चालू थी। कोविड से जुड़े लक्ष्णों और मौसमी बीमारियों सर्दी, खांसी, बुखार, वायरल बुखार, बदन दर्द के मरीज सामान्य रूप से आ रहे थे और ईलाज आदी का काम चल रहा था। डॉ अबु सायमा ने बताया कि कोविड काल में सामान्य रूप से लोगों का ईलाज चल रहा है। वैक्सीनेशन और जांच आदि का काम होता रहा लेकिन अभी वैक्सीन की उपलब्ध नहीं रहने से टीकाकरण का काम बंद हो गया है।
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