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माता सिद्धिदात्री के पूजन और हवन के साथ वासंतिक नवरात्र संपन्न

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। वासंतिक नवरात्रि के अंतिम दिन रविवार को महानवमी पर श्रद्धालुओं ने आदिशक्ति के नौंवें स्वरूप माता सिद्धिदात्री की विधि-विधान से आराधना की।

Newswrap हिन्दुस्तान, नवादाMon, 7 April 2025 11:56 AM
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माता सिद्धिदात्री के पूजन और हवन के साथ वासंतिक नवरात्र संपन्न

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। वासंतिक नवरात्रि के अंतिम दिन रविवार को महानवमी पर श्रद्धालुओं ने आदिशक्ति के नौंवें स्वरूप माता सिद्धिदात्री की विधि-विधान से आराधना की। घरों और पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं ने दुर्गा सप्तशती व दुर्गा चालीसा का पाठ किया। इसके बाद व्रतधारियों ने हवन-पूजन का विधान पूरा किया। जबकि इस विधान के बाद कन्या भोज कराया। कन्याओं को भोज के बाद दक्षिणा देकर ससम्मान विदा किया गया। इधर, शहर के मालगोदाम छाय रोड स्थित पूजा पंडाल समेत प्रसाद बिगहा दुर्गा मंडप, प्रख्यात गोवर्धन मंदिर, स्टेशन रोड स्थित देवी मंदिर, मालगोदाम छाय रोड स्थित देवी मंदिर, मालगोदाम रेलवे सुरक्षा बल कैम्पस स्थित देवी मंदिर, मिर्जापुर देवी मंदिर, शोभपर स्थित दुर्गा मंदिर आदि देवी मंदिरों में भी भक्तों ने पूजन कर मन्नतें मांगी। नवमी पर किया कन्या पूजन, खीर का प्रसाद बांटा आद्याशक्ति की आराधना के पर्व नवरात्रि के अंतिम दिन महानवमी मनाई गई। नवरात्रि में चल रहे धार्मिक कार्यक्रमों का समापन कर पूर्णाहुति की गई। जगह-जगह कन्या पूजन और छोटे स्तर पर भंडारों का आयोजन किया गया। वहीं, नवरात्रि में स्थापित की गई दुर्गा प्रतिमाओं को विदाई दी गई। कई परिवारों में कुलदेवी की पूजा की गई। इस मौके पर माता जी को और हवनकुंड को खीर का भोग लगाया गया। जबकि खीर को प्रसाद के रूप में वितरित किया गया। विधिपूर्वक किया गया कन्या पूजन श्रद्धालुओं ने विधिपूर्वक कन्या पूजन किया। इसके लिए कहीं 12 तो कहीं नौ कन्याएं आमंत्रित की गयीं। विधान के अनुसार, सात साल के नीचे की कन्याओं को पूजन के निमित्त आमंत्रित किया गया। श्रद्धालुओं ने अपने हाथों से घुटनों से नीचे तक उनके पैर साफ किए। पैर धो कर आसान पर बिठाया। थाली परोसी और इसमें गंगाजल ले कर वापस फिर से पैर धोए। इसके बाद उनके पैर की उंगलियों को हल्दी और कुमकुम लगाया। सभी कन्याओं को मावे का प्रसाद शुरुआत में खिला कर अध्ययन की सामग्री समेत अन्य चीजों का दान दिया। इस विधान को कई दंपति ने भी पूरा किया। श्रद्धालु पति-पत्नी ने कन्याओं के पैर के ऊपर माथा रखकर आशीर्वाद लिया।

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