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नेपाल से मुक्त कराए गए वारिसलीगंज के बंधक मजदूर

नेपाल के सप्तरी जिला स्थित पत्थरगाड़ा ईंट भट्ठे पर बंधक बनाकर रखे गए मजदूरों को नेपाल सरकार के सहयोग से छुड़ा लिया गया। इनमें दो गर्भवती महिलाओं समेत एक 25 दिन पहले पैदा हुई एक बच्ची भी शामिल है। नौ...

हिन्दुस्तान टीम नवादाSat, 24 June 2017 07:14 PM
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नेपाल के सप्तरी जिला स्थित पत्थरगाड़ा ईंट भट्ठे पर बंधक बनाकर रखे गए मजदूरों को नेपाल सरकार के सहयोग से छुड़ा लिया गया। इनमें दो गर्भवती महिलाओं समेत एक 25 दिन पहले पैदा हुई एक बच्ची भी शामिल है। नौ परिवारों के कुल 45 लोगों को बेहद मशक्कत के बाद नवादा लाया जा सका है। सभी मजदूर महादलित संवर्ग के मांझी, मुशहर एवं राजवंशी समाज के हैं। बेहद कष्टकारी जीवन जीने को बाध्य कर दिए गए इन लोगों को नेपाल सरकार ने रेस्क्यू कर ईंटभट्ठे से छुड़ाया। नेपाल सरकार ने बिहार स्थित सुपौल डीएम को सभी मजदूर सौंप दिए। सुपौल डीएम के प्रयास से सुपौल सदर एलईओ रणविजय कुमार, किशनपुर प्रखंड के एलईओ सुशील कुमार यादव तथा निर्मली प्रखंड के बीईओ अमित कुमार केशरी द्वारा सभी को नवादा लाया जा सका। सभी मजदूर नवादा श्रम एवं प्रवर्तन पदाधिकारी जागृति प्रभात को सौंप दिए गए। सुपौल से लेकर नवादा लाने के बाद तक के सफर में सभी अधिकारियों ने मजदूरों के खाने-पीने की व्यवस्था की। नवादा के बाद मजदूरों को वारिसलीगंज एलईओ दीपक कुमार, गोविंदपुर एलईओ बबलू कुमार एवं नरहट एलईओ देवेन्द्र प्रसाद ने वारिसलीगंज स्थित सौर दरियापुर स्थित उनके घरों तक पहुंचाया। मौके पर तटवासी समाज न्यास की समन्वयक संगीता कुमारी और उप समन्वयक रवि रंजन एवं हर्ष राज मौजूद थे। पुरानी बातें याद कर डर जा रहे मजदूरबंधक बना कर रखे गए सभी मजदूरों के चेहरे पर अब भी दहशत के साए हैं। पुरानी बातों को याद कर वे भयभीत हो जाते हैं। श्रम विभाग के परिसर में बैठे मजदूर आपस में ऐसे बातें करते दिखे जैसे अब भी सकते में हों। पचीस दिन की बच्ची को गोद में लिए लक्ष्मी देवी ने कहा कि जिन हालात में इस बच्ची ने जन्म लिया है, भगवान वह दिन किसी को न दिखाए। हम सभी बंधक की जिंदगी जी रहे थे, ऐसे में बच्ची का जन्म वहीं भट्ठे पर ही हुआ। कोई अन्य चिकित्सीय सुविधा तक नहीं दी गयी। सात माह की गर्भवती कारी देवी और आठ माह की गर्भवती हीना देवी ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि कई बार दर्द जैसी परेशानी झेलनी पड़ी पर इलाज के लिए तरसते रह गए। कुंदन मांझी, चंदन मांझी, रामस्वरूप मांझी आदि परिवार के मुखिया ने बताया कि हर घड़ी यही चिंता खाए जाती थी कि हमारा क्या होगा। हम सभी दिन-रात बस इसी फिक्र में रहते थे कि पता नहीं अब अपने घर जा सकेंगे कि नहीं। अपने परिवार से मिल सकेंगे भी या नहीं। अब लौट आए हैं तो हमारी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। इन मजदूरों को छुड़ाया गया नौ परिवारों के कुल 45 लोगों को छुड़ाया जा सका है। कुंदन मांझी और उसकी पत्नी गीता देवी, साली रूनी कुमारी व पुत्र करमवीर मांझी, चंदन मांझी, उसकी पत्नी बुधनी देवी, साली लालो कुमारी, पुत्र मोहित व किशन व भाई टुन्नी मांझी, रंजीत मांझी, उसकी पत्नी लक्ष्मी देवी, पुत्री शिवानी, सोहानी व सिर्फ 25 दिन की राजनन्दनी, रामस्वरूप मांझी, उसकी पत्नी सरिता देवी, पुत्री राखी, काजल, रानी व चांदनी तथा पुत्र अजय मांझी व सोनू मांझी, लालजीत मांझी, उसकी पत्नी कारी देवी और पुत्र गुलशन, मिश्रीलाल राजवंशी, उसकी पत्नी सुनीता देवी, पुत्र लालजीत व पुत्री निशा, भगत मांझी व उसकी पत्नी मालो देवी को छुड़ाने में सफलता मिली है। इनके अलावा राजेश मांझी, उसकी पत्नी हीना देवी, पुत्र सूरज व पुत्री दुलारी, मिथिलेश मांझी, उसकी पत्नी क्रांति देवी, पुत्र बादल मांझी, अखिलेश मांझी, विकास मांझी व पवन मांझी, पुत्री सुगन्ता कुमारी एवं बहू सुनीता देवी को भी छुड़ाया गया है। लेबर ठेकेदार के विरुद्ध होगी कार्रवाईवारिसलीगंज स्थित चकवाय निवासी लेबर ठेकेदार विनोद राम के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। श्रम एवं प्रवर्तन पदाधिकारी जागृति प्रभात ने बताया कि लालो मांझी की सूचना पर वारिसलीगंज पुलिस ने स्वत:संज्ञान लेते हुए विनोद राम के खिलाफ एक मामला दर्ज कर लिया है। लेबर ठेकेदार द्वारा मजदूरों की मजदूरी को लेकर ईंटभट्ठा मालिक के साथ उपजे विवाद के बाद मजदूरों को उनके हाल पर छोड़ दिया था। ईंटभट्ठा मालिकों का कहना था कि जब तक 45 लाख रुपए का हिसाब नहीं होगा तब तक मजदूरों को भट्ठे पर छोड़ा नहीं जाएगा।

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