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हिसुआ में दो पक्षों में हुई रोड़ेबाजी और मारपीट

हिसुआ की चितरघट्टी पंचायत के चंद्रशेखर नगर में मंगलवार की सुबह सामुदायिक भवन निर्माण स्थल पर अवैध कब्जा कर निर्माण को लेकर दो पक्षों में जमकर रोड़ेबाजी और मारपीट हुई। जिसमें सुरेंद्र मांझी के बेटे...

Newswrap हिन्दुस्तान, नवादाWed, 2 Sep 2020 01:11 PM
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हिसुआ की चितरघट्टी पंचायत के चंद्रशेखर नगर में मंगलवार की सुबह सामुदायिक भवन निर्माण स्थल पर अवैध कब्जा कर निर्माण को लेकर दो पक्षों में जमकर रोड़ेबाजी और मारपीट हुई। जिसमें सुरेंद्र मांझी के बेटे रविंद्र मांझी सहित कई लोग जख्मी हो गए। यह मामला कई दिनों से उलझा हुआ था। 24 अगस्त से लगातार कब्जा और अतिक्रमण को लेकर मुखिया, जिला पार्षद, ग्रामीण और संवेदकों ने प्रशासन को आवेदन दिया, लेकिन प्रशासनिक पहल नहीं होने से मामला उलझ गया।

जानकारी के अनुसार, बिहार दलित मिशन के तहत अभिकरण संगठन कार्य प्रमंडल-01 से गांव की सरकारी भूमि पर सामुदायिक भवन का निर्माण किया जाना है, लेकिन इस भूमि पर कब्जा है। कब्जा करने वाले निर्माण नहीं होने दे रहे हैं। वहीं उक्त भूमि पर कब्जा करने वाले और अतिक्रमण कर निर्माण का काम शुरू कर दिया है। इसी का विरोध करने पर मामला मारपीट तक पहुंच गया। सैकड़ों की संख्या में लोग जुटकर एक दूसरे पक्ष पर रोड़ेबाजी करने लगे। घटना के बाद स्थानीय प्रशासन सीओ, थानाध्यक्ष आदि दल-बल के साथ पहुंचकर मामले को नियंत्रण किया। तनाव को देखते हुए पुलिस प्रशासन कैंप कर रहा है।

तीन दिन पहले उड़सा गांव में भी उलझा था मामला

तीन दिन पहले हिसुआ के उड़सा गांव में भी आम रास्ता और रैयती भूमि पर सामूहिक कब्जा करने को लेकर मामला उलझा था। वहां भी लोग अनियंत्रित हुए और दो दिनों तक मामला गहराया रहा। मामला उलझने पर स्थानीय प्रशासन ने नियंत्रण कर काम को रोकवा दिया, लेकिन ठोस हल अभी तक नहीं निकला है।

विकास मित्र के प्रतिवेदन पर हुआ जमीन का चयन

सामुदायिक भवन निर्माण के लिए भूमि का चयन विकास मित्र के द्वारा प्रतिवेदन देने के बाद सीओ ने एलॉउट का प्रस्ताव दिया था। सालों से यह मामला उलझा हुआ है। संवेदक दीपक कुमार ने भी सीओ को आवेदन देकर भूमि पर से कब्जा हटवाने की मांग की थी।

2017 से दिया जा रहा आवेदन

इस मामले में जिप अध्यक्षा, जिला पार्षद, मुखिया, ग्रामीण लगातार 2017 से आवेदन दे रहे हैं। मुखिया पारो देवी ने जून 2017, सितंबर 2018 और फरवरी 2019 को डीएम को आवेदन दिया। तत्कालीन जिला पार्षद अध्यक्ष पुष्पा देवी ने 06 फरवरी, 2019 को, जिला पार्षद वीरेंद्र कुमार सिंह ने फरवरी 2019 में डीएम को आवेदन दिया। इधर मुखिया और जिला पार्षद ने लगातार 24 अगस्त, 25 अगस्त, 26 अगस्त, 28 अगस्त 2020 को आवेदन दे रहे हैं। सैकड़ों ग्रामीणों और वार्ड सदस्यों के हस्ताक्षर से भी आवेदन दिया गया। संवेदक दीपक कुमार ने भी सीओ को आवेदन दिया, लेकिन इसके बाद भी प्रशासन ठोस फैसला लेकर इस पर संज्ञान नहीं लिया। इस मामले में सीओ नीतेश कुमार ने कहा कि फिलवक्त मामले पर नियंत्रण कर लिया गया है। आम राय और वरीय अधिकारियों के दिशा निर्देश से निर्णय लिया जाएगा। कानून हाथ में लेने वाले लोगों पर कार्रवाई की जाएगी।

प्रशासन की उदासीनता की वजह से उलझा मामला

मामले और विवाद को लेकर तत्कालीन जिला पार्षद पुष्पा देवी, हिसुआ पश्चिमी जिला पार्षद वीरेंद्र कुमार सिंह, मुखिया पारो देवी ने कई बार डीएम और सीओ को आवेदन दिया, लेकिन अभी तक कोई ठोस हल प्रशासन के द्वारा नहीं निकाला गया। अब जिला पार्षद, मुखिया सहित ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन यदि हल निकालता तो आज यह घटना नहीं होती। प्रशासन की उदासीनता की वजह से मामला उलझा। जब भूमि का प्रस्ताव विकास मित्र और सीओ के द्वारा दिया गया तो विवाद का हल निकलने में परेशानी क्यों? जिला पार्षद वीरेंद्र सिंह ने बताया कि अधिकारियों के कड़ा संज्ञान नहीं लेने की वजह से विकास का काम नहीं हो पा रहा है। मुखिया पारो देवी ने भी अधिकारियों को सूचना देने के बाद हल नहीं निकालने की बात कही।

वर्जन

इस मामले पर प्रशासन ने बराबर संज्ञान लिया है। सीओ और थानाध्यक्ष को स्थल पर पहले भी भेजा गया था और मामले को हल करने की पहल हुई थी। सामुदायिक निर्माण के लिए जमीन एलॉट कर देने के बाद दूसरे पक्ष के द्वारा निजी भूमि होने का दावा किया जा रहा है। अब तो मामला आम राय से कानूनसंगत फैसला लेते हुए ही हल किया जा सकता है। उक्त भूमि पर कब्जा जमाये लोगों को काम नहीं करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन वह आम राय के पहले ही काम कर गलत कर रहा है। इस मामले में जो दोषी है उस पर कार्रवाई की जाएगी।

- उमेश कुमार भारती, सदर एसडीओ, नवादा

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